Ragi Ka Aata: इन 7 सुपर फूड्स की झारखंड में होती है बंपर खेती, आज ही बनाएं डाइट का हिस्सा; चमक जाएगी सेहत
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Ragi Ka Aata: इन 7 सुपर फूड्स की झारखंड में होती है बंपर खेती, आज ही बनाएं डाइट का हिस्सा; चमक जाएगी सेहत

Ragi health benefits: मोटे अनाज के आटे का सेवन करने से डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, हार्ट डिजीज, बैड कोलेस्ट्रोल और ब्रेस्ट कैंसर समेत कई बीमारियों का खतरा कम हो जाता है. गौरतलब है कि साल 2018 में भी राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष मनाया गया था. इस साल इसे अंतरराष्ट्रीय लेवल पर मनाया जाएगा.

फाइल फोटो

Benefits of Ragi flour: सर्दियों का मौसम चल रहा है और इस दौरान शरीर की इम्युनिटी कम हो जाती है. शरीर की इम्यूनिटी गिरने से हम तरह-तरह की बीमारियों के शिकार हो जाते हैं. ठंड के मौसम में कब्ज, पेट-दर्द, सर्दी-जुखाम और बुखार समेत कई तरह की बीमारियां हमें अपनी चपेट में ले लेती हैं. सर्दियों में सेहत को ठीक रखने के लिए एक्सपर्ट्स कहते हैं कि अपनी डाइट में थोड़ा परिवर्तन कर देना चाहिए. रेगुलर आटे को अगर आप यहां बताए जा रहे आटे से बदल देते हैं तो इससे आपको कई फायदे मिलते हैं.

इन आटों से बदल दें घर का आटा

आपको बता दें कि मोटे अनाज में ज्वार, बाजरा, रागी, गुंदली, सांवा, कोदो और कंगनी जैसे अनाजों को शामिल किया जाता है. इन मोटे अनाजों की खेती झारखंड में बड़े पैमाने पर की जाती है. इनमें सबसे ज्यादा खाने के लिए बाजरा, रागी और ज्वार का इस्तेमाल किया जाता है. हममें से ज्यादातर के घरों में गेहूं का आटा इस्तेमाल किया जाता है. अगर आप घर के आटे को रागी, बाजरा या ज्वार के आटे से बदल देते हैं तो यह और भी ज्यादा फायदेमंद साबित होता है.  इन अनाजों को उगाने के लिए यूरिया और खतरनाक केमिकल की आवश्यकता नहीं होती है. इनके सिंचाई में भी 30% कम पानी इस्तेमाल होता है. मोटे अनाज के आटे का सेवन करने से डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, हार्ट डिजीज, बैड कोलेस्ट्रोल और ब्रेस्ट कैंसर समेत कई बीमारियों का खतरा कम हो जाता है.

पहले खूब था मोटे अनाज का चलन

आज से करीब 3 से 5 दशक पहले मोटा अनाज खाने का चलन जोरों पर था. मोटे अनाज के सेवन से लोगों का शारीरिक विकास तेजी से होता था और बीमारियां भी कम हुआ करती थीं. आपको बता दें कि साल 2023 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा मिलेट्स वर्ष के रूप में घोषित किया गया है. मोटे अनाज को लेकर लोगों को जागरूक करने की जरूरत सरकार को महसूस हो रही है. गौरतलब है कि साल 2018 में भी राष्ट्रीय मोटा अनाज मनाया गया था लेकिन इस साल इसे अंतरराष्ट्रीय लेवल पर मनाया जाना है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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