DNA: राजस्थान में कांग्रेस की 'चुनावी गारंटी' क्यों हो गई फेल? जनता को भा गए मोदी के ये वादे
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DNA: राजस्थान में कांग्रेस की 'चुनावी गारंटी' क्यों हो गई फेल? जनता को भा गए मोदी के ये वादे

DNA on Rajasthan Assembly Result 2023: राजस्थान का रण जीतने के लिए कांग्रेस ने इस बार जमकर वादों की झड़ी लगाई थी. फिर भी पब्लिक ने उसके वादों पर यकीन क्यों नहीं किया. 

DNA: राजस्थान में कांग्रेस की 'चुनावी गारंटी' क्यों हो गई फेल? जनता को भा गए मोदी के ये वादे

Zee News DNA on Rajasthan Assembly Result 2023: राजस्थान में सियासी रिवाज के हिसाब से बीजेपी को बहुमत मिला तो थोड़ी खुशखबरी कांग्रेस के लिए भी आई. कांग्रेस मध्य-प्रदेश के साथ-साथ राजस्थान भले ही हार गई. लेकिन हार के बावजूद कांग्रेस के वोट शेयर में मामूली इजाफा हुआ है. वर्ष 2018 में कांग्रेस का वोट शेयर 39.30 फीसदी था, जोकि वर्ष 2023 में 0.23 फीसदी बढ़कर 39.53 फीसदी हो गया. जबकि वर्ष 2018 में बीजेपी का वोट शेयर 38.77 फीसदी था, जो वर्ष 2023 में 2.92 फीसदी बढ़कर 41.69 फीसदी हो गया है.

पिछले तीन दशक से राजस्थान विधानसभा में दो सियासी रिवाज चल रहे हैं. पहला रिवाज हर पांच साल में सरकार बदलने का है, जबकि दूसरा रिवाज ये कि हर विधानसभा चुनाव में 50 फीसदी मंत्री चुनाव हार जाते हैं. वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में भी दोनों ही रिवाज कायम रहे

राजस्थान में आधे मंत्री हार गए चुनाव

राजस्थान की 115 विधानसभा सीटें जीतकर बीजेपी बहुमत हासिल किया और अब सरकार बना रही है. राजस्थान में इससे पहले वर्ष 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. जबकि 2013 में बीजेपी तो 2008 में कांग्रेस राजस्थान सत्ता में आई थी. दूसरे रिवाज के मुताबिक चुनावी मैदान में उतरे आधे से ज्यादा मंत्री इसबार भी चुनाव हार गए.

कांग्रेस ने इसबार 25 मंत्रियों को टिकट दिया था. इनमें से 68 फीसदी यानी 17 मंत्री चुनाव हार गए. वर्ष 2018 में वसुंधरा राजे के 20 मंत्री हार गए थे. इनमें 12 कैबिनेट और 8 राज्य मंत्री शामिल थे. कांग्रेस के कई मंत्री ऐसे रहे जिनकी हार बड़े अंतर से हुई. इनमें राजस्थान के खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री रहे प्रताप सिंह खाचरियावास भी शामिल हैं.

प्रताप सिंह खाचरियावास 28 हज़ार से ज्यादा वोटों से हार गए. परसादी लाल मीणा 47 हज़ार वोटों से हार गए. कांग्रेस के सालेह मोहम्मद को 35 हज़ार वोटों से हार मिली. वहीं रामलाल जाट 35 हज़ार से ज्यादा वोटों से हार गए.

बीजेपी के 7 में से 3 सांसद बने विधायक

वर्ष 2018 में जिन सीटों पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था, उन सीटों पर जीत सुनिश्चित करने के लिए बीजेपी ने दिग्गजों को उतारा. राजस्थान में कुल 7 सीटों पर पार्टी ने सांसदों को टिकट दिया, जिसमें से 4 को जीत मिली जबकि बीजेपी के 3 सांसद हार गए. बीजेपी के दो सांसद तो तीसरे नंबर पर पिछड़ गए. बीजेपी के सांसद देवजी पटेल 64 हज़ार 983 वोटों से हार गए. दूसरे सांसद भागीरथ चौधरी को 46 हज़ार 111 वोटों से हार मिली.

राजस्थान में बीजेपी की जीत इसलिए खास हो जाती है क्योंकि, चुनाव की तारीखों के ऐलान से ठीक पहले तक वसुंधरा राजे पार्टी के कार्यक्रमों से दूरी बनाए हुई थीं. राजस्थान में जब बीजेपी ने परिवर्तन संकल्प यात्रा निकाली, तब वसुंधरा इसमें शामिल नहीं हुई थी. इससे ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि वो पार्टी से नाराज हैं. साथ ही बीजेपी ने कोई मुख्यमंत्री चेहरा पेश नहीं किया था. इससे संदेश दिया गया कि पार्टी पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ेगी.

चुनावी वादों में की गई बीजेपी की कॉपी 

राजस्थान में कांग्रेस की हार और बीजेपी की जीत के पीछे एक बड़ा फैक्टर चुनावी वादे और योजनाएं भी रहे. कांग्रेस ने जो चुनावी वादे किए थे, उनसे ऐसा लगा कि वो बीजेपी की योजनाओं और चुनावी वादों की कॉपी थे. कांग्रेस ने जिन योजनाओं का ऐलान किया उनमें से कोई भी स्कीम ऐसी नहीं थी, जिससे जनता तक सीधा पैसा पहुंचता. बीजेपी ने राजस्थान के लिए जो संकल्प पत्र जारी किया था, उसमें महिला, युवा, बेरोजगार, किसानों पर फोकस था. इस संकल्प पत्र के एक हफ्ते बाद कांग्रेस ने अपनी चुनावी योजनाओं का ऐलान किया. कांग्रेस ने उन्हीं मुद्दों और योजनाओं पर फोकस किया था जो कमोबेश बीजेपी की थी.

चुनाव में रोजगार बड़ा मुद्दा था, बीजेपी ने अपने संकल्प पत्र में 2.50 लाख रोजगार देने का वादा किया, जबकि कांग्रेस ने सत्ता में आने पर 4 लाख रोजगार देने की गारंटी दी. वोटर्स ने बीजेपी के वादे पर भरोसा किया और कांग्रेस को नकार दिया.

एक चुनावी वादा मुफ्त शिक्षा का था. बीजेपी ने केजी से पीजी तक मुफ्त शिक्षा को संकल्प पत्र में शामिल किया. वहीं कांग्रेस ने हर बच्चे को इंग्लिश मीडिया शिक्षा की गारंटी दी. लेकिन मुफ्त शिक्षा पर बीजेपी पास और कांग्रेस फेल हो गई.

जनता ने नकार दिए कांग्रेस के वादे

महिला सुरक्षा को लेकर बीजेपी ने एंटी रोमियो स्क्वॉड, हर जिले में महिला थाना बनाने की बात कही. कांग्रेस ने हर गांव और वार्ड में महिला सुरक्षा प्रहरी नियुक्त करने की गारंटी दी. इस वादे में भी बीजेपी पास हो गई.

बीजेपी ने उज्जवला योजना की लाभार्थियों को 450 रुपये में गैस सिलेंडर देने का वादा किया, कांग्रेस ने सूबे के 1 करोड़ से ज्यादा परिवारों को 500 रुपये में घरेलू गैस सिलेंडर देने की गारंटी दी. सूबे के वोटर्स ने बीजेपी के वादे पर भरोसा जताया.

बीजेपी ने छात्राओं को 12वीं पास करने पर स्कूटी देने का वादा किया, जबकि कांग्रेस ने छात्र-छात्राओं को फ्री लैपटॉप-टैबलेट देने की गारंटी दी. लेकिन कांग्रेस की गारंटी फेल और बीजेपी की गारंटी पास हो गई.

ये वादे भी नहीं आ पाए काम

बीजेपी ने संकल्प पत्र में लखपति दीदी योजना शुरू की, सालाना आय एक लाख रुपये सुनिश्चित करने का वादा किया. कांग्रेस ने महिला मुखिया को सालाना 10 हज़ार रुपये देने की गारंटी दी. लेकिन कांग्रेस की गारंटी फेल हो गई और बीजेपी की गारंटी पास.

बीजेपी ने वादा किया कि सत्ता में आने पर गेहूं की MSP बढ़ाकर 2700 रुपये प्रति क्विंटल की जायेगी, साथ ही बोनस देने का वादा किया. जबकि कांग्रेस ने MSP को लेकर कानून बनाने की गारंटी दी. बीजेपी की गारंटी पास हुई और कांग्रेस की फेल हो गई.

बीजेपी की योजनाओं की जिस तरह कॉपी करके राजस्थान में कांग्रेस ने गारंटी दी, उसे राजस्थान के मतदाताओं ने नकार दिया. जबकि बीजेपी बाजी मार गई. यानी कांग्रेस से ज्यादा राजस्थान के लोगों को बीजेपी के चुनावी वादों पर भरोसा जताया.

कौन बनेगा अगला मुख्यमंत्री

राजस्थान में बीजेपी बड़े अंतर से हासिल की है, लेकिन इस जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा यानी सूबे का मुख्यमंत्री कौन होगा. इसे लेकर अभी तक सार्वजनिक तौर पर कोई घोषणा नहीं की गई है. वैसे मुख्यमंत्री की रेस में कुल 7 दावेदार माने जा रहे हैं.

सीएम की रेस में पहला नाम पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का है. जबकि दूसरा नाम बाबा बालकनाथ का है. तीसरा नाम जयपुर के शाही परिवार की दीया कुमारी का माना जा रहा है. सीएम के दावेदारों में चौथा नाम गजेंद्र सिंह शेखावत का भी है. सीएम पद के लिए अर्जुनराम मेघवाल को भी दावेदार माना जा रहा है. छठे नंबर पर किरोडी लाल मीणा और सातवें पर सीपी जोशी सीएम पद के दावेदार हैं.

वसुंधरा राजे की तगड़ी दावेदारी

सभी सात नामों में सबसे आगे पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान की कद्दावर नेता वसुंधरा राजे सिंधिया का नाम शामिल है. मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान होने से पहले पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपना आवास पर टी-पार्टी आयोजित की, जिसमें उन्होंने नवनिर्वाचित विधायकों को बुलाया और बड़ी संख्या में विधायक पहुंचे भी. इन विधायकों ने पार्टी आलाकमान से वसुंधरा को सीएम बनाये जाने की मांग की है. इसलिए सियासी गलियारों में वसुंधरा की टी-पार्टी को उनके शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है. 

वसुंधरा राजे राजस्थान की कद्दावर और लोकप्रिय नेता हैं. बीजेपी को राज्य में दो बार बड़ी जीत दिलाने में भूमिका है. वर्ष 1984 बीजेपी से राजनीतिक करियर शुरू किया था. धौलपुर से पहली बार वसुंधरा राजे विधायक चुनीं गई थीं. वर्ष 2003 में वसुंधरा राजे राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी. तीन बार विधानसभा और 5 बार लोकसभा के लिए चुनी गई हैं. 

बाबा बालकनाथ की भी चर्चा

बाबा बालकनाथ को राजस्थान के योगी के रुप में जाना जाता है. इसलिए बाबा बालकनाथ को भी सीएम का प्रबल दानवेदार माना जा रहा है. माना जा रहा है कि राजस्थान में उत्तर-प्रदेश की तरह एक और योगी का उदय हो सकता है. अलवर से सांसद बाबा बालकनाथ राजस्थान के लोकप्रिय नेता हैं. बाबा बालकनाथ को एक मजबूत हिंदुत्व वाला नेता माना जाता है. बाबा बालकनाथ अपनी विवादास्पद टिप्पणियों के लिए जाने जाते हैं.

इसलिए माना जाता है कि बीजेपी बाबा बालकनाथ को मुख्यमंत्री बना सकती है, हालांकि सीएम के नाम पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है. इस रेस में एक और नाम केंद्री मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का है. 

गजेंद्र सिंह शेखावत भी प्रमुख चेहरा

चुनाव अभियान में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत प्रमुख चेहरा थे और चुनाव के दौरान सभी नाराज नेताओं को साथ लाने में कामयाब रहे थे. सूबे में गजेंद्र शेखावत की मजबूत पकड़ भी है. लेकिन सूबे के मुखिया का ताज किसके सिर सजेगा इसका फैसला बीजेपी को करना है, जिसे लेकर मंथन भी चल रहा है.

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