DNA on Parliament Winter Session 2023: संसद में विरोध के नाम पर हंगामा करना क्या सांसदों का विशेषाधिकार है. क्या ऐसा करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा सकती.
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Zee News DNA on Parliament Winter Session 2023: संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में विपक्षी सांसदों के निलंबन का दौर जारी रहा. आज लोकसभा से कुल 49 सांसदों को निलंबित कर दिया गया. इससे पहले 14 दिसंबर को लोकसभा और राज्यसभा से 14 सांसदों को निलंबित किया गया था. फिर आजाद भारत में पहली बार एक ही दिन में सोमवार को एक साथ 78 सांसदों को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया. इस तरह मौजूदा संसद सत्र में अबतक लोकसभा और राज्यसभा को मिलाकर कुल 141 सांसदों को Suspend किया जा चुका है जो कि एक Record है.
संसद के अंदर सरकार की नीतियों की आलोचना करना और उनका विरोध करना विपक्ष का लोकतांत्रिक अधिकार होता है. हमारे देश के माननीय सांसद इसे संसद में हंगामा करने का Permit मान लेते हैं और संसदीय मर्यादाओं को लांघ जाते हैं. जिसका इतिहास उतना ही पुराना है, जितना पुराना हमारी संसदीय परंपरा है. विरोध के नाम पर संसद सत्र में हंगामा करने, सत्र चलने में बाधा डालने, Speaker की Chair का अपमान करना संसद में विपक्ष की परंपरा रही है. फिर चाहे सरकार किसी भी पार्टी या गठबंधन की क्यों ना रही हो.
अब तक 141 सांसद सस्पेंड
मौजूदा शीतकालीन सत्र में विपक्ष के सांसदों के इस असंसदीय व्यवहार को दोनों सदनों के Speakers ने बर्दाश्त करने से इंकार कर दिया. इसी का नतीजा है कि विपक्ष के 141 सांसदों को अबतक निलंबित किया जा चुका है. विपक्षी सांसद अपनी हरकतों से बाज आने के लिए तैयार नहीं हैं. संसद से निलंबित होने के बाद विपक्षी सांसद..अब संसद के बाहर भी अपने विरोध के अधिकार का नाजायज़ इस्तेमाल कर रहे हैं.
संसद सत्र से Suspension पर विपक्षी सांसदों का निराश होना या गुस्सा होना तो बनता है. आज संसद भवन के Entry Gate पर बैठकर विपक्षी सांसदों ने अपनी नाराजगी जताई है. इस वीडियो में TMC सांसद कल्याण बनर्जी, राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ की Mimicry कर रहे हैं और राहुल गांधी उनका Video Record कर रहे हैं. इस वीडियो में TMC सांसद कल्याण बनर्जी, जिस तरह राज्यसभा के सभापति का मजाक उड़ा रहे हैं और जिस तरह वहां बैठे विपक्षी सांसद ठहाके लगाकर हंस रहे हैं..वो बेहद आपत्तिजनक भी है और घोर अपमानजनक भी है. विपक्षी सांसदों की बेशर्मी का ये Video हमारे देश के सांसदों की विकृत मानसिकता का सबूत है.
क्या हंगामेबाज सांसदों में होगा सुधार?
क्या राज्यसभा के सभापति का इस तरह अपमान करना विपक्षी सांसदों को शोभा देता है ? इस तरह के सड़कछाप बर्ताव के बाद भी क्या विपक्ष को लगता है कि आम जनता उनकी बात सुनेगी..उनका साथ देगी? सड़क हो या संसद..विपक्षी सांसदों को लगता है कि सरकार के विरोध के नाम पर वो चाहे सारी हदें क्यों ना पार कर दें..उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता. इसी वजह से विरोध के नाम पर हंगामा करने वाले विपक्षी सांसदों को निलंबन की सजा...विपक्षी दल बर्दाश्त नहीं कर पा रहे.
भारतीय राजनीति के इतिहास ऐसा पहली बार हुआ है, जब संसद के किसी एक सत्र में रिकॉर्ड 141 विपक्षी सांसदों का सस्पेंड किया गया है. लेकिन ऐसा लगता है कि विपक्ष को 141 सांसदों के निलंबन की गंभीरता समझ नहीं आई है. विपक्ष के बचे-खुचे सांसद ऐसी हरकतें कर रहे हैं, जिसके बाद उन्हें भी सस्पेंड कर दिया जाये, तो हैरानी नहीं होनी चाहिए.
संसद के किसी सत्र में विपक्ष का हंगामा करना कोई नई बात नहीं है. ऐसा पहले भी होता आया है. दरअसल, विपक्ष को यही लगता है, कि संसद में अपनी बात रखने के लिए हंगामा करना जरूरी है और ये उनका अधिकार है. सरकार से अपनी बात मनवाने के लिए कोई भी हद पार कर जाना उनका हक है. चाहे वो कितना ही बवाल करें, कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता.
विपक्ष को भारी पड़ गया हंगामा
संसद में हंगामा करने वाले सांसद यही सोचते हैं, कि उन्हें जनता ने चुनकर भेजा है. इसलिए वो जनता की बात संसद में रखने के लिए विरोध, हंगामे और बवाल का कोई भी तरीका अपना सकते हैं, लेकिन इसबार विपक्ष को अंदाजा नहीं था, कि सदन में बवाल करना इतना महंगा पड़ जायेगा कि रिकॉर्ड सांसद सस्पेंड कर दिये जायेंगे.
रिकॉर्ड सस्पेंशन के बाद विपक्ष को लगता है कि संसद में उनकी आवाज को दबाया जा रहा है. वो तो संसद की सुरक्षा में हुई चूक को लेकर गृह मंत्री से जवाब मांग रहे थे. संसद की सुरक्षा को लेकर चर्चा चाहते थे. माना कि विपक्ष की ये मांग जायज थी. लेकिन अपनी बात रखने का एक सभ्य तरीका होता है. सरकार का विरोध करना गलत नहीं है, लेकिन उसका भी एक तरीका होता है. जिसे दरकिनार कर विपक्षी सांसदों ने सदन में हंगामा किया.
संसद की सुरक्षा में चूक 13 दिसंबर को हुई थी, इसके अगले दिन यानी 14 दिसंबर को संसद में विपक्ष ने हंगामा किया. तब तक मुद्दा संसद की सुरक्षा में चूक था. लेकिन जैसे ही हंगामा करने वाले सांसद सस्पेंड किये गये, विपक्ष का मुद्दा ही बदल गया.
इतना खर्च होता है सुनवाई पर
अगर, किसी विषय पर सरकार संसद में चर्चा को तैयार नहीं है. तो हंगामा करके सदन की कार्यवाही को बाधित करना कहां तक जायज है. जब संसद की कार्यवाही पर हर मिनट 2.50 लाख रुपये खर्च होते हैं. इस लिहाज से हर घंटे का खर्च 1.50 करोड़ रुपये पहुंच जाता है.
विपक्ष के हंगामे की वजह से संसद की कार्यवाही कई बार बाधित हुई है. इससे हुए आर्थिक नुकसान का अंदाजा लगाया जा सकता है. लेकिन सब जानते हुए विपक्ष का हंगामा कर संसद की कार्यवाही बाधित करना जैसे परंपरा सी बन गई है.
सांसद चाहे सत्ता पक्ष के हों या फिर विपक्ष के. उन्हें देश की आम जनता चुनकर संसद इसलिए भेजती है, ताकि वो संसद में उनकी आवाज को ना सिर्फ उठाये बल्कि किसी समस्या के ठोस समाधान तक पहुंचे. लेकिन जो तस्वीरें संसद से आती हैं. उनमें गंभीर चर्चा कम हंगामा, विरोध और बवाल ज्यादा दिखाई देता है. लेकिन इसबार सभापति की कड़ी कार्रवाई के बाद भी विपक्ष समझने को तैयार नहीं है.
राज्यसभा में घटी विपक्ष की ताकत
हर काम का एक तरीका होता..कोई नियम होता है..कोई मर्यादा होती है. सरकार से जवाब मांगने के बहाने विपक्षी सांसदों ने जिस तरह से संसद में सारे नियम सारे कायदे और सारी मर्यादाओं को पार किया है. उसे सही तो नहीं ठहराया जा सकता. अगर विपक्षी सांसदों को ये बात समझ नहीं आई तो हो सकता है कि मौजूदा शीतकालीन सत्र खत्म होते होते..सारे विपक्षी सांसद ही Suspend हो जाएं.
लोकसभा में इस समय 522 सदस्य हैं..जिनमें से 142 विपक्षी सांसद हैं . इन 142 में से पिचानवें..Suspend हो चुके हैं यानी सदन में अब सिर्फ सैंतालिस विपक्षी सांसद बचे हैं. यानी सड़सठ प्रतिशत विपक्षी सांसद Suspend हो चुके हैं. इसी तरह राज्यसभा में अभी कुल दो सौ अड़तिस सदस्य हैं . इसमें विपक्ष के I.N.D.I.A Alliance के पिच्चानवें सांसद शामिल हैं, जिनमें से छियालिस Suspend हो गए हैं. और सदन में सिर्फ उन्नचास बचे हैं. यानी राज्यसभा में I.N.D.I Alliance की 50 प्रतिशत Strength कम हो गई है.
संसद के दोनों सदनों में पहले से ही अल्पमत में चल रहा विपक्ष अब और भी ज्यादा अल्पमत में आ चुका है और सरकार का बहुमत हो चुका है. यानी अब सरकार चाहे तो इस वक्त संसद में कोई भी Bill या प्रस्ताव..बिना बहस या विरोध के आसानी से Pass करवा सकती है. विपक्षी सांसद भी अब यही कह रहे हैं कि उनको Suspend करने के पीछे सरकार की यही मंशा भी है.
'विपक्ष ने विपक्ष में रहने का बना लिया मन'
विपक्षी सांसद अपने Suspension के विरोध में तर्क दे रहे हैं . और इसे लोकतंत्र का अपमान बता रहे हैं और कह रहे हैं कि मोदी सरकार..विपक्ष मुक्त संसद बनाना चाहती है . विपक्ष के इस आरोप के जवाब में प्रधानमंत्री मोदी की तरफ से भी प्रतिक्रिया आई है. बीजेपी संसदीय दल की बैठक में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि -
लगता है कि विपक्ष ने विपक्ष में ही बने रहने का मन बना लिया है . PM मोदी ने कहा कि जिन्होंने संसद की सुरक्षा में सेंध की, कुछ दल, एक तरह से उनके समर्थन में आवाज उठा रहे हैं, ये सेंधमारी की तरह ही खतरनाक है . और ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.
प्रधानमंत्री मोदी के कहने का मतलब ये है कि जिस तरह दो लड़कों ने संसद की सुरक्षा में सेंध लगाई...उसी तरह विपक्ष..भारत के लोकतंत्र और संसद की मर्यादा और परंपरा में सेंध लगा रहा है...
लेकिन फिर सवाल ये है कि विपक्ष का तो काम ही होता है सरकार का विरोध करना . तो फिर विपक्षी सांसदों को Suspend कैसे किया जा सकता है . ऐसे तो विपक्ष, सरकार से सवाल ही नहीं पूछ पाएगा, सरकार का विरोध ही नहीं कर पाएगा . ये बिलकुल सही बात है लेकिन जैसा कि हमने पहले भी कहा कि सरकार का विरोध करने का भी एक तरीका होता है, संसद के भी नियम होते हैं जिनको तोड़ने का अधिकार ना सत्ता पक्ष को होता है और ना विपक्ष को . संसद की एक Rule Book होती है जिसके आधार पर ही Speaker सदन को चलाते हैं.
इन नियमों के आधार पर हुई कार्रवाई
लोकसभा की Rule Book के Rule 373 में प्रावधान है कि अगर लोकसभा स्पीकर को लगता है कि कोई सांसद लगातार सदन की कार्यवाही में बाधा डाल रहा है तो उस सांसद को उस दिन के लिए या बाकी बचे पूरे सत्र के लिए Suspend किया जा सकता है.
Rule 374 के मुताबिक अगर लोकसभा में किसी सांसद ने Speaker's Chair यानी आसन की मर्यादा तोड़ी हो और जानबूझकर Speaker का अपमान किया हो तो Speaker, सदन में उस सांसद को Suspend करने का प्रस्ताव रखते हैं और सदन उसपर Voting करता है.
दिसंबर 2001 में Rule Book में Rule 374A जोड़ा गया, जिसके तहत, अगर कोई सांसद, स्पीकर के आसन के पास आकर या सभा में नारे लगाकर, कार्यवाही में जानबूझकर बाधा डालता है, तो उसे संसद सत्र की 5 बैठकों या पूरे सत्र से Suspend किया जा सकता है.
संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में अबतक जिन एक सौ इक्तालिस विपक्षी सांसदों को Suspend किया गया है, उन्होंने ये तीनों Rules तोड़े हैं. संसद की सुरक्षा में सेंध पर सरकार से जवाब मांगने के बहाने संसद को चलने से रोका है, आसन का अपमान किया है, नारेबाजी की है, और तख्तियां लेकर सदन में हंगामा मचाया है. यहां तक कि संसद के बाहर भी Mimicry करके राज्यसभा के उपसभापति पद का अपमान किया है.
पहले भी हो चुकी है ऐसी कठोर कार्रवाई
जिसका नतीजा ये हुआ है कि संसद के इतिहास में पहली बार एक सत्र में इतने ज्यादा सांसदों को Suspend किया गया है. लेकिन ऐसा कोई पहली बार नहीं हुआ है कि विपक्ष के हंगामे और असंसदीय व्यवहार की वजह से सांसदों को निलंबित किया गया हो.
अब से पहले एक साथ सबसे ज्यादा सांसदों को Suspend करने का रिकॉर्ड राजीव गांधी सरकार के दौरान का है . जब वर्ष उन्नीस सौ नवासी में लोकसभा से विपक्ष के तरेसठ सांसदों को एक साथ Suspend किया गया था. Suspend हुए सांसद, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या पर ठक्कर कमीशन की रिपोर्ट को संसद में पेश करने के दौरान हंगामा कर रहे थे.
क्या सस्पेंड होना सम्मान की बात है?
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— Zee News (@ZeeNews) December 19, 2023
जनवरी 2019 में भी मोदी सरकार के कार्यकाल में लोकसभी स्पीकर सुमित्रा महाजन ने 2 दिन में 45 विपक्षी सांसदों को Suspend किया था. Suspend हुए TDP के सांसद..आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग करते हुए हंगामा कर रहे थे जबकि तमिलनाडु के AIADMK सांसद कावेरी नदी पर प्रस्तावित एक बांध का विरोध कर रहे थे.
लेकिन अबकी बार सांसदों के Suspension के सारे Record टूट गए हैं क्योंकि इस बार एक दिन में सबसे ज्यादा सांसदों को Suspend किया गया है और एक सत्र में भी सबसे ज्यादा सांसद Suspend हुए हैं. लेकिन इतिहास गवाह है कि Suspend होने से विपक्षी सांसदों को कोई फर्क नहीं पड़ता.
कांग्रेस के निलंबित सांसद शशि थरुर ने अपनी Elite Class English में Tweet किया है कि सदन से निलंबित होना उनके लिए सम्मान की बात है. यानी विपक्षी सांसद, संसद से Suspend होने को अपना सम्मान समझते हैं. इस बार भी यही हो रहा है. विपक्षी सांसद..निलंबित होने की खुशी मनाते हुए देखे जा रहे हैं.