DNA: भेष बदलकर लौट आया कोरोना! क्या फिर शुरू होने वाला है मास्क पहनने का दौर?
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DNA: भेष बदलकर लौट आया कोरोना! क्या फिर शुरू होने वाला है मास्क पहनने का दौर?

Covid 19 Update in India: देश में क्या कोरोना फिर भेष बदलकर लौट आया है. केरल में कोरोना का नया वेरिएंट मिला है, जिसे बेहद संक्रामक बताया जा रहा है.

DNA: भेष बदलकर लौट आया कोरोना! क्या फिर शुरू होने वाला है मास्क पहनने का दौर?

Zee News DNA on Coronavirus New Variant: इलाज से बेहतर है सावधानी तो वक्त आ गया है कि आप मास्क पहनना, बार-बार हाथ धोना, Social Distancing अपनाना शुरू कर दें. आप ठीक सोच रहे हैं कि ये सब करने की वजह वही है जो वर्ष 2020 में थी. कोराना वायरस का नया वेरिएंट दुनिया के लिए नया खतरा बनकर आया है. कोविड-19 के इस नए वेरिएंट का नाम है JN.1. 
 
सावधान करने वाली बात ये है कि कोरोना वायरस के इस नए वेरिएंट का पहला मरीज़ केरल में मिल चुका है. अभी तक इस नए वेरिएंट के मरीज़, अमेरिका और चीन में ही देखे गए थे. लेकिन केरल में 8 दिसंबर को इस वेरिएंट से जुड़ा केस सामने आया था. दरअसल 18 नवंबर को उन्यासी वर्ष का एक व्यक्ति कोविड-19 पॉजिटिव पाया गया था.आगे की जांच में पाया गया कि वो इस नए वेरिएंट से पीड़ित था. इस नए वेरिएंट से पीड़ित 1 मरीज की मौत की भी खबर है. अकेले केरल में ही कोविड-19 के 111 नए मरीजों का पता चला है. उनकी जांच हो रही है कि वो किस वेरिएंट से पीड़ित हैं.

क्या फिर शुरू होने वाला है कोरोना का घातक दौर?

आपको याद होगा कि 27 जनवरी 2020 को कोविड-19 का पहला केस, केरल में ही मिला था. उसके बाद से ही लगभग हर प्रदेश में कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों की संख्या सामने आने लगी थी. इस बार भी पहला केस केरल में मिला है. तमिलनाडु के एक व्यक्ति को सिंगापुर में कोरोना के इस नए वेरिएंट से पीड़ित पाया गया था. ये देखते हुए ये माना जा रहा है कि जांच में कुछ और राज्यों में मिले कोरोना संक्रमित व्यक्ति इस नए वेरिएंट से पीड़ित हो सकते हैं. केरल में कोरोना वायरस के नए वेरिएंट से पीड़ित मरीज मिलने पर राज्य सरकार सावधान हो गई है. केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने इसको एक इमरजेंसी मीटिंग की है. इसके अलावा अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन और अन्य व्यवस्थाओं को ठीक करने के निर्देश भी दिए गए हैं.

ये वेरिएंट दुनिया में फैला रहा दहशत

कोविड-19 के शुरूआत से ही वायरस जब-जब अपना रूप बदलता है, उसको एक नया वेरिएंट कहते हुए, कुछ नाम दिए जाते रहे हैं. हर बार नया वेरिएंट पिछले वेरिएंट से ज्यादा खतरनाक होता रहा है. तो अब हम आपको इस नए वेरिएंट से जुड़ी कुछ जानकारी देने जा रहे हैं.

- JN.1 उस नए वेरिएंट का नाम है जो इस वक्त 41 से ज्यादा देशों में फैल चुका है.

- JN.1 वेरिएंट दरअसल ओमिक्रॉन वेरिएंट के परिवार से जुड़ा है. वर्ष 2021 में भारत के अंदर कोरोना की तीसरी लहर का वजह यही ओमिक्रॉन वेरिएंट था.

- JN.1, ओमिक्रॉन के वेरिएंट BA.2.86 जिसे पिरोला कहते हैं, उसका सब वेरिएंट है.

- 21 नवंबर को World Health Organisation ने 'पिरोला' वेरिएंट को VARIANT REQUIRING GLOBAL ATTENTION घोषित किया था. यानी WHO ने पूरे विश्व को Omicron के 'पिरोला' वेरिएंट को लेकर सावधान रहने की अपील की थी.

- WHO ने विश्व को सावधान इसलिए किया था क्योंकि इस VARIANT में अबतक 40 से ज्यादा Mutation हो चुके हैं. JN.1 वेरिएंट, कोविड-19 का पहला ऐसा वेरिएंट है, जो इतनी तेजी से बदल रहा है.

- JN.1 वेरिएंट में डराने वाली बात ये भी है कि कोरोना वैक्सीन से मिली Immunity इस वेरिएंट पर काम नहीं करती. यानी अगर आपने कोरोना वैक्सीन ली भी है, तो भी आप इस वेरिएंट से पीड़ित हो सकते हैं.

अमेरिका में मिला था इस वेरिएंट का पहला मरीज

कोरोना वायरस के JN.1 वेरिएंट का पहला मरीज अमेरिका में मिला था, लेकिन उसके बाद इंग्लैंड, फ्रांस, आइसलैंड, चीन और सिंगापुर जैसे देशों में भी ये फैल चुका है.  अकेले अमेरिका में कोरोना संक्रमित मरीजों में 15-30 प्रतिशत मरीज, इसी वेरिएंट से संक्रमित हैं. सितंबर में JN.1 का पहला मरीज, अमेरिका में मिला था. इस वक्त अमेरिका में JN.1 वेरिएंट सबसे तेजी से फैलने वाला कोरोना वायरस बना हुआ है. अमेरिकी सरकार के मुताबिक JN.1 वेरिएंट, कोरोना वायरस के पुराने वेरिएंट्स के मुकाबले ज्यादा तेजी से फैलने वाला वेरिएंट है. हालांकि अमेरिकी सरकार का कहना है कि इसपर कोरोना संक्रमण से संबंधित दवाइयां काम करेंगी.

सिंगापुर में पिछले एक हफ्ते में 56,000 से ज्यादा संक्रमित मिले हैं. माना जा रहा है कि वहां पर कोरोना के बढ़ते मामलों की वजह यही नया JN.1 वेरिएंट ही है. सिंगापुर के स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने सभी नागरिकों के लिए ट्रैवल एडवायजरी भी जारी की है. यही नहीं अपने सभी नागरिकों को Mask पहनने की अपील की है.
भारत में भी इस वेरिएंट के मरीज मिलने शुरू हो गए हैं. कोरोना संक्रमण से जुड़ी जांच लगातार चल रही है. बहुत मुमकिन है कि देश के कई हिस्सों में कोरोना वायरस की जांच ना भी हो रही हो. इसीलिए अभी से एक्टिव होने ज़रूरत है.

कोरोना के 1700 एक्टिव मरीज

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि देश में अबतक कोरोना के करीब 4 करोड़ 50 लाख मरीज रिपोर्ट हो चुके हैं.जिसमें से करीब 4 करोड़ 44 लाख मरीज ठीक हो चुके हैं. देश में कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों का रिकवरी रेट यानी ठीक होने की दर करीब 98 प्रतिशत है. जो काफी अच्छी कही जा सकती है. देश में रविवार को यानी कल करीब 330 नए कोरोना संक्रमित मरीज मिले हैं. फिलहाल देश में कोरोना संक्रमण से पीड़ित करीब 1700 एक्टिव मरीज हैं.

देखा जाए तो इनमें JN.1 वेरिएंट के कितने मरीज होंगे, ये जांच के बाद पता चलेगा. लेकिन इतना तय है कि ओमिक्रॉन की तरह ही उसका JN.1 वेरिएंट, तेजी से संक्रमण फैलने में सक्षम है. यही वजह है कि केरल में इस वेरिएंट से पीड़ित मरीज मिलते ही, राज्य सरकार तुरंत एक्टिव हो गई है. कोरोना वायरस के पुराने वेरिएंट से पीड़ित मरीजों में जो लक्षण देखे जाते थे, कुछ-कुछ वैसे ही लक्षण इस नए वेरिएंट से पीड़ित मरीजों में देखे जा रहे हैं. जैसे JN.1 से पीड़ित मरीजों में
तेज़ बुखार, सिरदर्द, खांसी, नाक बहना और गले में खराश जैसे लक्षण देखने मिल रहे हैं.

राज्यों ने शुरू की तैयारियां

नए वेरिएंट से कैसे बचना है, और कैसे निपटना है, इसको लेकर देशभर के राज्यों में तैयारियां भी की जा रही हैं. स्वास्थ्य विभाग फिलहाल ये मानकर चल रहा है कि नए वेरिएंट से पीड़ित मरीज, केरल के पड़ोसी राज्यों में भी हो सकते हैं.

कोरोना वायरस के नए वेरिएंट के मरीज मिलने के बाद केंद्र सरकार भी एक्टिव हो गई है. केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को अलर्ट रहने के लिए कहा है. इसके अलावा सरकार ने राज्यों को RT-PCR टेस्टिंग बढ़ाने के निर्देश भी दिए हैं. केंद्र सरकार ने राज्यों के लिए एडवायजरी भी जारी की, जिसके तहत सभी तरह के बुखार की मॉनिटरिंग करने के लिए कहा गया है.

जीनोम सीक्वेंसिंग करवाने के निर्देश

यही नहीं Covid Positive मरीजों के Sample को Genome Sequencing के लिए INSACOG यानी Indian Sars-Cov-2 Genomics Consortium LAB में भेजने के लिए कहा गया है. इसका मकसद ये पता करना है कि कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज, किस वेरिएंट की चपेट में आए हैं. ताकि इस वेरिएंट के फैलने की गति पहचानी जा सके और खतरे का आंकलन किया जा सके.

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