Keshari Nath Tripathi dies: कोर्ट के सख्त आदेश थे कि फ्लोर टेस्ट खत्म होने तक विधानसभा स्थगित नहीं होगी और न ही स्पीकर अपनी सीट से उठेंगे. उस समय उत्तर प्रदेश विधानसभा में केशरी नाथ त्रिपाठी ही स्पीकर थे.
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Former governor of Bengal and Bihar Keshari Nath Tripathi dies: भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पश्चिम बंगाल व बिहार के पूर्व राज्यपाल रह चुके केशरी नाथ त्रिपाठी का रविवार सुबह निधन हो गया. 88 वर्ष की उम्र में उन्होंने प्रयागराज में अपने निवास पर आखिरी सांस ली. हाल ही में घर में गिरने की वजह से उनकी कंधे की हड्डी टूट गई थी. तीन दिन पहले वो अस्पताल से घर आए थे. त्रिपाठी उत्तर प्रदेश के दिग्गज नेताओं में शुमार थे. पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के अलावा उनके पास कुछ समय तक बिहार, मेघालय और मिजोरम के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार भी था.
उनके निधन पर पीएम मोदी ने दुख व्यक्त करते हुए उन्हें यूपी में बीजेपी को मजबूती देने वाला प्रमुख नेता बताया. प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, 'श्री केशरी नाथ त्रिपाठी जी अपने सेवा और बुद्धिमता के लिए जाने जाते थे. वह संवैधानिक मामलों में दक्ष थे. उन्होंने उत्तर प्रदेश में भाजपा को मजबूत बनाने में अहम भूमिका अदा की और राज्य की प्रगति के लिए कठिन मेहनत की. उनके निधन से काफी पीड़ा हुई. उनके परिजनों और प्रशंसकों को सांत्वना. ओम शांति.'
बहुमत परीक्षण होने तक बैठे रह गए थे त्रिपाठी
केशरी नाथ त्रिपाठी से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा है जो काम के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है. उत्तर प्रदेश में वर्ष 1998 में कल्याण सिंह की सरकार थी, लेकिन राज्यपाल रोमेश भंडारी ने रातो रात कल्याण सिंह को सीएम पद से हटाकर कांग्रेस नेता जगदंबिका पाल को मुख्यमंत्री बना दिया. इसके बाद बीजेपी ने तुरंत सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और कोर्ट से बहुमत परीक्षण का आदेश आ गया.
बीजेपी के लिए ये राहत भरी खबर थी. कोर्ट के सख्त आदेश थे कि फ्लोर टेस्ट खत्म होने तक विधानसभा स्थगित नहीं होगी और न ही स्पीकर अपनी सीट से उठेंगे. उस समय उत्तर प्रदेश विधानसभा में केशरी नाथ त्रिपाठी ही स्पीकर थे. केशरी उस समय ऐसी बीमारी से ग्रसित थे कि उन्हें बार-बार टॉयलेट के लिए वॉशरूम जाना पड़ता था. लेकिन कोर्ट के आदेश के आगे वो विवश थे.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना न हो इसके लिए उन्होंने पानी से भी दूरी बना ली थी, ताकि उन्हें बार-बार टॉयलेट के लिए न जाना पड़े. कार्यवाही शुरू हुई तो सत्ता पक्ष की कुर्सी पर कौन बैठे, इसे लेकर दोनों पक्ष आपस में भिड़ गए. समय की नजाकत को देखते हुए केशरी नाथ त्रिपाठी ने अपने अगल-बगल दो कुर्सियां लगवाईं और एक तरफ जगदंबिका पाल तो दूसरी तरफ कल्याण सिंह को बैठाया.
इस दौरान बहुमत परीक्षण होने तक त्रिपाठी टॉयलेट रोककर बैठे रहे और अपनी सीट से नहीं हिले. हालांकि, बहुमतत परीक्षण में बीजेपी को 225 वोट मिले. जबकि कांग्रेस को 196 वोट ही मिल सके. बीजेपी बहुमत हासिल कर चुकी थी.
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