West Bengal Train Accident: सुबह 5.50 पर सिग्नल खराब... 3 घंटे बाद कंचनजंगा एक्सप्रेस से टकरा गई मालगाड़ी, रेलवे की गलती या चालक जिम्मेदार?
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West Bengal Train Accident: सुबह 5.50 पर सिग्नल खराब... 3 घंटे बाद कंचनजंगा एक्सप्रेस से टकरा गई मालगाड़ी, रेलवे की गलती या चालक जिम्मेदार?

West Bengal Train Accident Updates: हादसे का शिकार हुई कंचनजंगा एक्सप्रेस ने कई सवालों को जन्म दे दिया है. सबसे बड़ा सवाल यह है कि हादसा तकनीकी खराबी के कारण हुआ या फिर मालगाड़ी के लोकोपायलट ने नियमों की अनदेखी की?

West Bengal Train Accident: सुबह 5.50 पर सिग्नल खराब... 3 घंटे बाद कंचनजंगा एक्सप्रेस से टकरा गई मालगाड़ी, रेलवे की गलती या चालक जिम्मेदार?

West Bengal Train Accident Updates: हादसे का शिकार हुई कंचनजंगा एक्सप्रेस ने कई सवालों को जन्म दे दिया है. सबसे बड़ा सवाल यह है कि हादसा तकनीकी खराबी के कारण हुआ या फिर मालगाड़ी के लोकोपायलट ने नियमों की अनदेखी की? इन सवालों का उठना इसलिए भी लाजमी है क्योंकि रेलवे के सूत्र ने सुबह 5.50 बजे से सिग्नल खराब होने की जानकारी दी है. अगर यह जानकारी सही है तो हादसे के पीछे बड़ी लापरवाही सामने आ सकती है. रेलवे सिग्नल से जुड़े कई ऐसे नियम हैं जिनकी अनदेखी हादसे को न्योता देती है. आइये इन नियमों के बारे में भी जानते हैं..

सुबह 5:50 बजे से स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली थी खराब

पश्चिम बंगाल में रानीपतरा रेलवे स्टेशन और चत्तर हाट जंक्शन के बीच स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली सुबह 5.50 बजे से ही खराब थी. इसी जगह पर एक मालगाड़ी ने सियालदह कंचनजंगा एक्सप्रेस को पीछे से टक्कर मारी थी. सूत्र के मुताबिक ट्रेन संख्या 13174 (सियालदह कंचनजंगा एक्सप्रेस) सुबह 8:27 बजे रंगापानी स्टेशन से रवाना हुई थी और सुबह 5:50 बजे से स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली के खराब होने के कारण रानीपतरा रेलवे स्टेशन और चत्तर हाट के बीच रुक गई.

'टीए 912'

रेलवे का नियम यह कहता है कि जब स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली विफल हो जाती है, तो स्टेशन मास्टर 'टीए 912' नाम का एक लिखित आधिकार-पत्र जारी करता है. जो चालक को खराबी के कारण उस सेक्शन के सभी रेड सिग्नलों को पार करने का अधिकार देता है. सूत्र की मानें तो रानीपतरा के स्टेशन मास्टर ने ट्रेन संख्या 13174 (सियालदह कंचनजंगा एक्सप्रेस) को ‘टीए 912’ जारी किया था.

हादसे में कई लोगों की मौत

उन्होंने कहा, 'जीएफसीजे नामक एक मालगाड़ी लगभग उसी समय सुबह 8:42 बजे रंगापानी से रवाना हुई और 13174 नंबर ट्रेन के पिछले हिस्से से टकरा गई. जिसके परिणामस्वरूप गार्ड का डिब्बा, दो पार्सल डिब्बे और एक सामान्य डिब्बा पटरी से पटरी से उतर गये.' रेलवे बोर्ड ने अपने शुरुआती बयान में कहा कि मालगाड़ी के चालक ने सिग्नल का उल्लंघन किया था. उसने हादसे में मरने वालों की संख्या पांच बताई. हालांकि, कुछ स्थानीय अधिकारियों ने कहा कि मरने वालों की संख्या 15 तक हो सकती है.

'टीए 912' या फिर लोको पायलट की अनदेखी?

सूत्रों ने कहा कि जांच से ही पता चल सकेगा कि क्या मालगाड़ी को खराब सिग्नल को तेज गति से पार करने के लिए 'टीए 912' दिया गया था या फिर लोको पायलट ने खराब सिग्नल के नियम का उल्लंघन किया था. अगर मालगाड़ी को ‘टीए 912’ नहीं दिया गया था तो चालक को प्रत्येक खराब सिग्नल पर ट्रेन को एक मिनट के लिए रोकना था तथा 10 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से आगे बढ़ना था.

रेलवे के बयान पर उठ रहे सवाल

लोको पायलट संगठन ने रेलवे के इस बयान पर सवाल उठाया है कि चालक ने रेल सिग्नल का उल्लंघन किया. भारतीय रेलवे लोको रनिंगमैन संगठन (आईआरएलआरओ) के कार्यकारी अध्यक्ष संजय पांधी ने कहा, 'लोको पायलट की मृत्यु हो जाने और सीआरएस जांच लंबित होने के बाद लोको पायलट को ही जिम्मेदार घोषित करना अत्यंत आपत्तिजनक है.' रेलवे बोर्ड की अध्यक्ष जया वर्मा सिन्हा के अनुसार, टक्कर इसलिए हुई क्योंकि एक मालगाड़ी ने सिग्नल की अनदेखी की और सियालदह जा रही कंचनजंगा एक्सप्रेस को टक्कर मार दी.

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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