TV D-1 Mission: इसरो (ISRO) क्रू एस्केप सिस्टम की टेस्टिंग करने जा रहा है, जिसकी कामयाबी मानवरहित मिशनों (Unmanned Missions) के लिए एक मंच तैयार करेगी. इस मिशन की लॉन्चिंग की उल्टी गिनती शुरू हो गई है.
Trending Photos
Crew Escape System: स्पेस (Space) सेक्टर में भारत इतिहास रचने जा रहा है. भारत की स्पेस एजेंसी इसरो (ISRO) अपने पहले मानव मिशन गगनयान (Gaganyaan) के लिए क्रू एस्केप सिस्टम (Crew Escape System) की टेस्टिंग करने जा रहा है. इसके लिए 21 अक्टूबर को फ्लाइट टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन-1 (TV D-1) लॉन्च किया जाएगा. इसरो के मुताबिक, भारत 2025 में पहली बार अपने खुद के रॉकेट से स्पेस में एस्ट्रोनॉट्स को भेजने की प्लानिंग कर रहा है. ये क्रू एस्केप सिस्टम की टेस्टिंग उसी का हिस्सा है. आइए जानते हैं कि TV D-1 मिशन में VIKAS का क्या काम है और टेस्टिंग के दौरान नेवी क्यों अलर्ट पर रहेगी.
TV D-1 क्या है और उसमें में VIKAS का क्या है काम?
इसरो के अनुसार, शनिवार को होने वाली टेस्टिंग का मकसद उड़ान की परफार्मेंस और टेस्ट व्हीकल सब-सिस्टम का परीक्षण करना है. जान लें कि करीब 35 मीटर लंबा और लगभग 44 टन वजन वाला ये टेस्ट व्हीकल एक मोडिफाइड विकास इंजन का इस्तेमाल करता है. ये तरल ईंधन से ऑपरेट होता है. इसके इंजन VIKAS का नाम वैज्ञानिक विक्रम अंबालाल साराभाई के नाम पर रखा गया. विक्रम साराभाई ने भारत को एटमी ताकत बनने में मदद की. स्पेस सेक्टर में उनके योगदान के लिए विक्रम साराभाई को 1966 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था.
इसरो कैसे करेगा टेस्टिंग?
बता दें कि परीक्षण रॉकेट की लॉन्चिंग से लेकर क्रू मॉड्यूल के पैराशूट की मदद से समुद्र में उतरने तक करीब 531.8 सेकंड या लगभग 9 मिनट लगेंगे. इसरो के मुताबिक, क्रू मॉड्यूल का द्रव्यमान 4,520 किलोग्राम है और यह सिंगल वॉल वाली बिना दबाव वाला एल्यूमीनियम स्ट्रक्चर है. लॉन्चिंग के लगभग 61 सेकंड बाद 11.9 किमी की ऊंचाई पर क्रू एस्केप सिस्टम, टेस्ट व्हीकल से अलग हो जाएगा. फिर लिफ्ट ऑफ के 91 सेकंड बाद 16.9 किलोमीटर की ऊंचाई पर क्रू मॉड्यूल, क्रू एस्केप सिस्टम से अलग हो जाएगा.
परीक्षण के दौरान नेवी क्यों रहेगी अलर्ट?
इसरो ने बताया कि पैराशूट के साथ क्रू मॉड्यूल श्रीहरिकोटा के तट से करीब 10 किलोमीटर दूर समुद्र में सुरक्षित लैंडिंग करेगा. इस दौरान इंडियन नेवी भी अलर्ट रहेगी. बता दें कि TV-D1 क्रू मॉड्यूल की समुद्र से रिकवरी का काम नेवी को ही दिया गया है. रॉकेट के उड़ान भरने के 531.8 सेकंड बाद क्रू मॉड्यूल श्रीहरिकोटा के लॉन्च पैड से करीब 10 किलोमीटर दूर समुद्र में गिर जाएगा और इंडियन नेवी की तरफ इसे रिकवर किए जाने तक ये तैरता रहेगा. रिकवरी जहाज क्रू मॉड्यूल के पास पहुंचेंगे और गोताखोरों की एक टीम उसे रिकवर करेगी और किनारे तक लाएगी.
तैयार होगा मानवरहित मिशनों का मंच
वहीं, क्रू एस्केप सिस्टम श्रीहरिकोटा से करीब 14 किलोमीटर दूर समंदर में गिरेगा. क्रू मॉड्यूल के साथ ये टेस्ट व्हीकल मिशन गगनयान मिशन के लिए एक मील का पत्थर है. इसरो ने कहा कि इस टेस्ट व्हीकल की कामयाबी बाकी परीक्षणों और मानवरहित मिशनों (Unmanned Missions) के लिए मंच तैयार करेगी.