ये वो साल था जब मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और लेनिनिज्म का गठन किया गया, जिनके मुखिया दीपेन्द्र भट्टाचार्य थे। ये लोग लेनिन और मार्क्स के सिद्धांतों पर काम करने लगे, क्योंकि वो उन्हीं से ही प्रभावित थे। और यहीं से चारु माजूमदार और कानू सान्याल ने भूमि अधिग्रहण को लेकर पूरे देश में सत्ता के खिलाफ एक व्यापक लड़ाई शुरू कर दी। चारू मजूमदार वही शख्स थे जिन्होंने 1967 में नक्सलबाड़ी आंदोलन की नींव रखी थी. एक तरफ देश में कई तरह के क्रांतिकारी आंदोलन शुरू हो चुके थे