उत्तराखंड की वो रहस्यमयी गुफा, जहां से केदारनाथ-बद्रीनाथ से तक्षक नाग के सीधे दर्शन, उमड़ती है भीड़

Pooja Singh
Dec 04, 2024

देवभूमि उत्तराखंड

देवभूमि उत्तराखंड में घूमने के लिए कई जगहें फेमस हैं, जिनमें हिल स्टेशन से लेकर मंदिर तक शामिल हैं. दुनियाभर से पर्यटक इन जगहों को एक्सप्लोर करने आते हैं.

रहस्यमयी गुफा

ऐसे में आज हम आपको उत्तराखंड की एक ऐसी गुफा के बारे में बताएंगे, जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है. उस गुफा में कई रहस्य छिपे हुए हैं.

पाताल भुवनेश्वर

उस रहस्यमी गुफा का नाम है पाताल भुवनेश्वर. इसके अंदर ही भगवान विष्णु की शिलारूप मूर्तियां हैं. जिनमें यम-कुबेर, वरुण, लक्ष्मी, गणेश और गरूड़ अंकित हैं.

कहां है ये गुफा?

अल्मोड़ा से शेराघाट होते हुए 160KM की दूरी तय कर पहाड़ी वादियों के बीच बसे सीमान्त कस्बे गंगोलीहाट में पाताल भुवनेश्वर मंदिर है. देवदार के घने जंगलों के बीच ये कई गुफाओं का संग्रह है.

कैसी है ये गुफा?

ये गुफा प्रवेश द्वार से 160 मीटर लंबी और 90 फीट गहरी है. मान्यता है कि पाताल भुवनेश्वर गुफा की खोज आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी.

क्या है मान्यता?

कहा जाता है कि पाताल भुवनेश्वर गुफा में श्रद्धालुओं के एक साथ केदारनाथ, बद्रीनाथ और अमरनाथ के दर्शन होते हैं. तक्षक नाग की आकृति भी गुफा में बनी चट्टानों पर दिख जाती है.

किसके होते हैं दर्शन?

गुफा में भगवान शिव की बड़ी-बड़ी जटाओं वाली आकृति है. गुफा में ही कालभैरव की जीभ के दर्शन होते हैं. इस गुफा मंदिर में शेषनाग के फनों की तरह उभरी संरचना पत्थरों पर दिखाई देती हैं.

किसने पहले देखा?

पौराणिक मान्यता के मुताबिक, त्रेता युग में सबसे पहले इस गुफा को राजा ऋतूपूर्ण ने देखा था. वहीं, द्वापर युग में इस जगह पर पांडवो ने भगवान शिवजी के साथ चौपड़ खेला था.

गुफा की खोज

कलयुग में आदि जगत गुरु शंकराचार्य ने इस गुफा की खोज की और यहां ताम्बे का एक शिवलिंग स्थापित किया. बाद में चंद राजाओं ने इस गुफा को खोजा. अब ये गुफा सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र है.

शिव से कनेक्शन

ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान शिव ने क्रोध में गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया था तो उस मस्तक को पाताल भुवनेश्वर में रखा था.

ब्रह्मकमल

गुफा में भगवान गणेश के शिलारूपी मूर्ति के ठीक ऊपर 108 पंखुड़ियों वाला शवाष्टक दल ब्रह्मकमल के रूप की एक चट्टान है. ब्रह्मकमल से गणेश के मस्तक पर दिव्य बूंद टपकती है.

डिस्क्लेमर

यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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