अक्सर आपने महिलाओं के 16 श्रृंगार के बारे में तो सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि नागा साधु महिलाओं से भी ज्यादा श्रृंगार करते हैं?
नागा साधु 16 नहीं बल्कि 17 श्रृंगार करते हैं. कहा जाता है कि शाही स्नान से पहले नागा साधु पूरी तरह सज-धज कर तैयार होते हैं.
आइए जानते हैं कि नागा साधु महिला से बिल्कुल विपरित कैसे सज-धज कर तैयार होते हैं. फिर अपने ईष्ट की प्रार्थना करते हैं.
नागा साधु अपने पूरे शरीर पर भभूत का लेप लगाते हैं. साथ ही माथे और बाजुओं पर चंदन का लेप भी लगाते हैं. लंगोट भी उनके श्रृंगार में आती है.
नागा साधु पैरों में लोहे या फिर चांदी का कड़ा पहनते हैं. कानों में चांदी या सोने के कुंडल पहनते हैं. हाथों में कई तरह की अंगूठी पहनते हैं.
नागा साधु अपने बालों को पांच बार घुमाकर लपेटते हैं, ये पंच तत्व की निशानी होती है. वो अपने माथे पर रोली का लेप लगाते हैं.
नागा साधु कमर में फूलों की माला पहनते हैं और हाथों में डमरू पकड़ते हैं. इसके अलावा उनके हाथों में चिमटा भी होता है. कमंडल भी श्रृंगार की निशानी है.
गुथी हुई जटाएं, शैव और वैष्णव तिलक, आंखों में काजल, हाथों में कड़ा और बाहों पर रूद्राक्ष की माला भी नागा साधु के 17 श्रृंगार में शामिल हैं.
नागा संन्यासी शुद्घीकरण के बाद ही शाही स्नान के लिए निकलते हैं. महाकुंभ पहुंचे नागा सन्यासियों का मन बच्चों की तरह निर्मल होता है.
महाकुंभ पहुंचे नागा सन्यासी अपने अखाड़ों में हमेशा धमा-चौकड़ी मचाते रहते हैं. इनका मठ इनकी अठखेलियों से गूंजता रहता है.
अखाड़ों की बात करें तो महानिर्वाणी, जूना और निरंजनी अखाड़ों में सबसे अधिक नागा साधुओं की तादाद है.
यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.