रंगों का त्योहार होली हिन्दू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना जाता है. इसे फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को भारत भर बड़े ही उल्लास के साथ मनाया जाता है. रंगों की होली से पहले होलिका दहन किया जाता है.
वैदिक पंचांग और ज्योतिष के विद्वानों के मतानुसार होलिका दहन का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त रात्रि 11 बजकर 14 मिनट से लेकर 12 बजकर 20 मिनट तक रहेगा. यानी इस दौरान होलिका करना शुभ रहेगा.
होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत के पर्व के रूप में हर साल मनाया जाता है. आइए जानते हैं होलिका दहन की विधि.
पौराणिक कथाओं के अनुसार, होलिका दहन की तैयारी त्योहार से 40 दिन पहले शुरू हो जाती हैं. लोग सूखी टहनियां, पत्ते जुटाने लगते हैं. फिर फाल्गुन की पूर्णिमा तिथि के दिन शाम के समय अग्नि जलाई जाती है.
सबसे पहले होलिका दहन वाले स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें और वहां पर सूखे उपले, लकड़ी, सूखी घास एकत्रित करे. फिर इसके बाद पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठा जाता है.
पूजा में एक लोटा जल, माला, रोली, चावल, गंध, पुष्प, कच्चा सूत, मूंग, बतासे, गुड़, साबुत हल्दी, गुलाल व नारियल के साथ-साथ नई फसल के धान्य लें.
होलिका दहन के समय परिवार के सभी सदस्यों को एक साथ नया अन्न यानि गेहूं, जौ और चना की हरी बालियों को लेकर पवित्र अग्नि में समर्पित करें.
कच्चे सूत को होलिका के चारों ओर तीन या सात परिक्रमा करते हुए लपेटें और शुद्ध जल व अन्य सामग्री को समर्पित करें.
इन बालियों को होलिका की अग्नि में सेंककर परिवार के सभी सदस्यों को उसे प्रसाद स्वरूप ग्रहण करना चाहिए ऐसा करने से घर में शुभता का आगमन होता है।
पूजा के बाद अर्घ्य जरूर दें. इस प्रकार होलिका पूजन से घर में दुःख-दारिद्रय का प्रवेश नहीं होता है और घर में जीवन भर सुख-समृद्धि बनी रहती है.
होलिका दहन करने से पहले घर के उत्तर दिशा में शुद्ध घी के 7 दिए जलाएं. ऐसा करने से घर में धन, वैभव आता है और बाधाएं दूर होती हैं.
यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.