अपने उपदेशों के लिए पहचाने जाने वाले श्रीहित प्रेमानंद जी महाराज वृंदावन में रहते हैं व राधावल्लभी संप्रदाय से हैं.
वृंदावन से पहले वो बनारस में ज्ञान मार्ग के संन्यासी हुआ करते थे पर रास लीला देखने के बाद ह्रदय परिवर्तन हुआ वो वृंदावन आ गए.
कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रेमानंद जी महाराज के गुरु का नाम श्री हित मोहित मराल जी है.
प्रेमानंद जी के गुरु वृंदावन के राधावल्ल्भ मंदिर के तिलकायत अधिकारी हैं. प्रेमानंद महाराज हमेशा उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं.
महाराज जी ने अपने गुरु की बताई सत्य की राह पर चलकर भक्ति के रास्ते को अपनाया.
जब वाराणसी से वृंदावन प्रेमानंद महाराज आए थे तो वो सबसे पहले वृंदावन की परिक्रमा किया करते फिर बिहारी जी के दर्शन करें.
इसी तरह परिक्रमा के दौरान ही उन्हें एक महिला दिखी जो संस्कृत के श्लोक का गान करते हुए परिक्रमा की लेकिन संस्कृत का ज्ञान होने पर भी महाराज जी को उसका अर्थ नहीं पता चला.
महाराज जी ने महिला से श्लोक का अर्थ पूछा जिस पर मुस्कुराते हुए महिला ने कहा कि श्लोक को समझना है तो उन्हें राधावल्लभी बनना होगा.
प्रेमानंद महाराज इसके बाद राधावल्लभ मंदिर चले गए जहां पर मोहित मराल महाराज जी से उनकी मुलाकात हुई.
प्रेमानंद महाराज के आश्रम से जानकारी ये भी दी जाती है कि प्रेमानंद महाराज जी को संत श्रीहित गौरांगी शरण महाराज ने ज्ञानमार्गी से प्रेममार्गी बनाया.
मोहित मराल महाराज ने वहां प्रेमानंद महाराज का बहुत आदर सत्कार ग्रहण किया और एक शरणागत मंत्र के साथ उन्हें दीक्षा दी. तब से ही अपने गुरु की बताई राह पर प्रेमानंद महाराज चल पड़े.
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