Guru arjan singh death anniversary: ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन, संवत् 1663 अगर अंग्रेजी कैलेंडर से देखा जाए तो 30 मई 1606 को मुगल बादशाह जहांगीर के आदेश के अनुसार उन्हें लाहौर में गर्मी में गर्म तवे पर बैठा दिया इसके बाद उनके ऊपर गर्म रेत और गर्म तेल डाला गया. ये यातनाएं तब तक दी गई जब तक गुरु देव मूर्छित न हो गए. मूर्छित होने के बाद उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए जिसके बाद उनके शव को रावी नदी में बहा दिया गया.. कुछ ऐसी ही कथा कही जाती है सिख धर्म गुरू अर्जन देव की. कथा कार्नर के आज के इस अंक में हम आपको गुरु अर्जन देव के जीवन की इसी अंतिम लीला की कहानी सुनाएंगे जिसे सुनकर आप स्तब्ध रह जाएंगे..