Tungnath Mandir: हजारों साल पुराना तुंगनाथ मंदिर क्या झुक रहा! ASI के नए फरमान से शिव मंदिर प्रशासन में हड़कंप
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Tungnath Mandir: हजारों साल पुराना तुंगनाथ मंदिर क्या झुक रहा! ASI के नए फरमान से शिव मंदिर प्रशासन में हड़कंप

उत्तराखंड की प्राचीन धार्मिक सांस्कृतिक विरासत का अटूट हिस्सा तुंगनाथ मंदिर क्या एक ओर झुक रहा है. मंदिर के अस्तित्व के खतरे को लेकर ऐसी खबरों से हड़कंप मच गया है. तुंगनाथ मंदिर को लेकर मंदिर समिति अध्यक्ष का ये बयान बुधवार को आया.

Tungnath Mandir Uttarakhand

Tungnath Mandir Uttarakhand : उत्तराखंड की प्राचीन धार्मिक सांस्कृतिक विरासत का अटूट हिस्सा तुंगनाथ मंदिर क्या एक ओर झुक रहा है. मंदिर (Tungnath mandir) के अस्तित्व के खतरे को लेकर ऐसी खबरों से हड़कंप मच गया है. तुंगनाथ मंदिर को लेकर मंदिर समिति अध्यक्ष का ये बयान बुधवार को आया. बद्री-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेन्द्र अजय ने कहा कि एएसआई की ओर से तुंगनाथ मंदिर को अपने संरक्षण में लेने के लिये नोटिफिकेशन जारी किया गया है और आपत्तियां भी मांगी गई हैं. बोर्ड बैठक में मंदिर (से जुड़े इस प्रस्ताव पर अधिकारियों और नियंत्रण संबंधी अन्य मुद्दों को लेकर चर्चा की गई है.

सभी मंदिर को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) को सौंपने पर आपत्ति जता रहे हैं तो मंदिर समिति भी आपत्ति दर्ज करेगी. बद्री-केदार मंदिर समिति (Badrinath Kedarnath Samiti) के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि पूर्व में जब पत्राचार किया गया था तो हमने बोर्ड बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की थी. हमने इस मुद्दे पर पुरोहित, पुजारियों और धर्म संस्थान से जुड़े अन्य लोगों से भी राय ली थी. इस पर सभी ने असहमति दर्ज कराई थी और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को अपनी रिपोर्ट सौंप दी गई थी. दोबारा इस संबंध में मंदिर प्रबंधन प्रशासन अपनी बात रख देगा. 

प्राचीन कालिका मंदिर का अस्तित्व खतरे में 
बागेश्वर के कांडा क्षेत्र में एक 10 वी सदी का प्राचीन कालिका मंदिर है, जिसका अस्तित्व अब खतरे में पड़ गया है. मंदिर में आस्था का केंद्र शक्ति पीठ लगातार धंस रही है और मंदिर में कई जगह दरारें आई हुई हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार मंदिर लगातार एक ओर झुक रहा है. एक महीने पहले कालिका मंदिर (Kalika Mandir) झुकने की बात सामने आई थी. लोगों का कहना है कि इसके बाद भू वैज्ञानिकों से इसकी जांच कराई गई, लेकिन प्रशासन ने ना ये रिपोर्ट सार्वजनिक की और ना ही इस पौराणिक मंदिर को बचाने के लिए कोई कदम उठाया.

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