Shamli Encounter News: शामली में 20 जनवरी को कग्गा के चार बदमाशों को एनकाउंटर में ढेर करने वाले STF के इंस्पेक्टर सुनील कुमार गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में इलाज के दौरान शहीद हो गए. सुनील कुमार को तीन गोली लगीं थी, गोली लगने से उनका लीवर बुरी तरह डैमेज हो गया था.
Trending Photos
Shamli Encounter/ Amit Dubey: शामली जिले के झिंझाना थाना क्षेत्र में सोमवार रात हुई मुठभेड़ ने यूपी एसटीएफ की वीरता और बलिदान की फिर नई कहानी लिख दी है. एसटीएफ ने मुठभेड़ में कग्गा गैंग के चार बदमाशों को मार गिराया गया, लेकिन इस दौरान एसटीएफ के जांबाज इंस्पेक्टर सुनील कुमार जो गंभीर रूप से घायल हो गए थे गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में इलाज के दौरान शहीद हो गए हैं.
कैसे हुआ एसटीएफ से मुकाबला
घटना की शुरुआत तब हुई जब एसटीएफ को सूचना मिली कि कग्गा गैंग के बदमाश एक कार में सफर कर रहे हैं. टीम ने कार को घेरने की कोशिश की, लेकिन बदमाशों ने फायरिंग शुरू कर दी. एसटीएफ ने जवाबी कार्रवाई करते हुए 30 राउंड फायरिंग की. मुठभेड़ में तीन बदमाश कार में ही ढेर हो गए, जबकि चौथे बदमाश को भागने के दौरान मार गिराया गया.
मुठभेड़ में मारे गए बदमाशों का ब्योरा
मारे गए बदमाशों में सहारनपुर का अरशद, सोनीपत का मंजीत और करनाल का सतीश शामिल हैं. अरशद पर लूट और हत्या के 17 मामले दर्ज थे, जबकि मंजीत पैरोल पर फरार था. चौथे बदमाश की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है.
पेट में लगी तीन गोलियां, लीवर के उड़े चिथड़े
इस मुठभेड़ में इंस्पेक्टर सुनील को तीन गोलियां लगीं थी. 25 वर्षों से एसटीएफ में अपनी सेवा दे रहे सुनील कुमार पहले भी कई बड़े ऑपरेशनों का हिस्सा रह चुके थे. ददुआ और ठोकिया जैसे खतरनाक गैंग्स के खिलाफ कार्रवाई में उनका योगदान भुलाया नहीं जा सकता है.
यूपी STF की बड़ी कार्रवाई
झिंझाना में हुई इस मुठभेड़ को यूपी की सबसे बड़ी कार्रवाई में से एक माना जा रहा है. कग्गा गैंग ने इलाके में लंबे समय से खौफ बना रखा था. इस मुठभेड़ के बाद गैंग की गतिविधियों पर बड़ा असर पड़ने की उम्मीद है.
सुनील कुमार 1990 में यूपी पुलिस की ज्वाइन
शहीद इंस्पेक्टर सुनील कुमार मेरठ के मंसूरी गांव के रहने वाले थे और वो 1990 में यूपी पुलिस में सिपाही के पद पर भर्ती हुए थे. 1997 में एसटीएफ का गठन होने के बाद उन्होंने हरियाणा के मानेसर में कमांडो की ट्रेनिंग ली थी. इसके बाद 2009 में स्पेशल टास्ट फोर्स में आए थे और करीब 16 साल से एसटीएफ में कार्य कर रहे थे. 2002 में हेड कांस्टेबल के पद पर तैनात हुए.
सुनील कुमार को मिला था आउट टाइम प्रमोशन
वहीं 13 मार्च 2008 को जनपद फतेहपुर में हुई मुठभेड़ में ओमप्रकाश उर्फ उमर केवट को मार गिराने में अपनी जान को जोखिम में डालकर अद्भुत साहस और शौर्य के लिए उनको 16 दिसंबर 2011 में आउट ऑफ टाइम प्रमोशन देकर हेड कांस्टेबल से प्लाटून कमांडर पद पर पदोन्नति किया गया था, और 22 अप्रैल 2020 को दलनायक के पद पर प्रमोशन मिला. STF में उनका कई बड़ी घटनाओं में योगदान रहा है. सुनील कुमार की छवि एसटीएफ में एक दिलेर और जांबाज की थी.
इंस्पेक्टर सुनील की वीरता को हमेशा याद किया जाएगा. उनका बलिदान हमें यह सिखाता है कि देश की सुरक्षा में जुटे हमारे जवान किस हद तक जाकर अपने कर्तव्य का पूरा करने से पीछे नहीं हटते.