Uttarakhand News: उत्तराखंड में देश है का सबसे पुराना इंजीनियरिंग कॉलेज, 175 साल के इतिहास में कामयाबी की चोटी पर
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Uttarakhand News: उत्तराखंड में देश है का सबसे पुराना इंजीनियरिंग कॉलेज, 175 साल के इतिहास में कामयाबी की चोटी पर

Uttarakhand News: उत्तराखंड में देश सबसे पुराना इंजीनियरिंग कॉलेज है, जिसे कभी जेम्स थॉमसन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के नाम से जाना जाता था.  175 सालों में यह सफलता की चोटियों पर पहुंचा है.

IIT Roorkee Uttaakhand

क्या आप जानते हैं कि देश का सबसे पुराना इंजीनियरिंग कॉलेज कहां है और किसने इसकी स्थापना की थी. आइए हम आपको बताते हैं कि आईआईटी रुड़की भारत का सबसे पुराना इंजीनियरिंग कॉलेज है, जिसकी स्थापना के 175 साल पूरे हो चुके हैं. 

भारत का सबसे पुराना इंजीनियरिंग कॉलेज के तौर पर इसकी स्थापना 1847 में हुई थी. तब इसे जेम्स थॉमसन कॉलेज ऑफ सिविल इंजीनियरिंग के तौर पर जाना जाता था. मगर आजादी के बाद कॉलेज को साल 1948 में रुड़की विश्वविद्यालय का दर्जा मिला था. फिर 2001 में इसे आईआईटी (Indian Institute of Technology - Roorkee) के तौर पर बदल दिया गया. 

जेम्स थॉमसन नार्थ वेस्टर्न प्रोविंसेज के लेफ्टिनेंट गवर्नर थे और गंगा और उसकी नहरों की सफाई के लिए इंजीनियर और सर्वेयर तैयार करने के मकसद से इसकी स्थापना की गई थी. शुरुआती दौर में यहां बहुत कम संख्या में ही भारतीय थे. 

सरकार ने 21 सितंबर 2001 को अध्यादेश लाकर इसे आईआईटी का दर्जा दिया था. तब यह देश का सातवां इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (Indian Institute of Technology) के तौर पर मान्यता मिली थी. साथ ही राष्ट्रीय महत्व के संस्थान (Institution of National Importance) का दर्जा भी मिला था. आईआईटी रुड़की इंजीनियरिंग, आर्किटेक्चर समेत 10 क्षेत्रों में बैचलर की डिग्री देता है. साथ ही इंजीनियरिंग, एप्लाइड साइंस, आर्किटेक्चर और प्लानिंग जैसे 55 विषयों में पोस्ट ग्रेजुएशन कराता है. बीटेक और बी आर्किटेक्चर जैसे कोर्स में एडमिशन जेईई एंट्रेस एग्जाम के जरिये होता है.

आईआईटी रुड़की का दीक्षांत समारोह
आईआईटी रुड़की का दीक्षांत समारोह शुक्रवार को हुआ. इसमें 1916 डिग्रियां बांटी गईं. इनमें 1077 अंडरग्रेजुएट, 685 मास्टर्स औऱ 154 पीएचडी शामिल हैं. इसमें इंस्टीट्यूट के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के चेयरमैन वीआर मोहन रेड्डी और आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर केके पंत ने इस अवसर पर अपनी बात रखी. इसमें 46 छात्रों को गोल्ड मेडल दिया गया.

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