UP schools On Rent: प्रदेश की योगी सरकार माध्यमिक विद्यालयों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में उठाने जा रही मजबूत कदम. जानें पूरा माजरा.
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UP schools On Rent: शादी का सीजन शुरू होने से पहले ही बैंक्वेट और मैरिज हॉल फुल हो जाते हैं. ऐसे में कई बार लोगों को शादी पोस्टपोन भी करनी पड़ जाती है. लोगों को शादी-विवाह के लिए बैंक्वेट और मैरिज हॉल का चक्कर नहीं काटना पड़ेगा. दरअसल, ऐसे लोगों की मदद यूपी के सरकारी स्कूल कर सकेंगे. यूपी सरकार माध्यमिक विद्यालयों को निजी आयोजनों के लिए किराये पर देने पर विचार कर रही है. माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने इसके लिए लोगों से भी सुझाव मांगा है.
आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने की पहल
यूपी सरकार सरकारी स्कूलों को इनकम के नए रास्ते बनाकर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना चाह रही है. इसी क्रम में सरकार यूपी बोर्ड से संबद्ध सभी माध्यमिक विद्यालयों को निजी आयोजनों के लिए किराये पर अपना परिसर देने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है. यूपी में माध्यमिक शिक्षा विभाग ने नीतिगत मसौदा तैयार कर जनता से सुझाव भी मांगे हैं. अगर आप इन पर कोई सुझाव देना चाहते हैं तो 27 जनवरी तक schoolincomesuggestion@gmail.com पर अपना सुझाव भेज सकते हैं.
स्कूलों की बदली जा सकेगी तस्वीर
शिक्षा निदेशक महेंद्र देव ने बताया कि प्रस्ताव उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि स्कूल की छुट्टियों के समय परिसर खाली रहते हैं. ऐसे में स्कूल परिसर को शादी-विवाह और बर्थडे आदि की पार्टी के लिए किराये पर दिया जा सकता है. साथ ही सांस्कृतिक गतिविधियों और प्रदर्शनी जैसे कार्यक्रम और अन्य समारोहों के लिए सरकारी स्कूल मेजबानी कर सकेंगे. इन कार्यक्रमों से जो इनकम आएगी उससे विद्यालय की तस्वीर बदली जा सकेगी. साथ ही प्राइमरी स्कूल भी आर्थिक रूप से मजबूत हो सकेंगे.
6 सदस्यीय कमेटी गठित
शिक्षा निदेशक महेंद्र देव ने बताया कि सरकार से अनुमति मिलने के बाद इस प्रस्ताव को लागू कर दिया जाएगा. सरकारी स्कूलों में शादी-विवाह आदि कार्यक्रमों की अनुमति प्रदान करने के लिए जिला स्तर पर एक छह सदस्यीय समिति गठित की जाएगी. यह कमेठी ही किराया आदि तय कर सकेगी.
डीएम करेंगे समिति का नेतृत्व
इन छह सदस्यीय समितियों का नेतृत्व जिला मजिस्ट्रेट करेंगे. जिलाधिकारी के अलावा मुख्य विकास अधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक, वित्त और लेखा अधिकारी, प्रबंधक और विद्यालय के प्रधानाचार्य शामिल होंगे. वहीं, स्कूलों को अपनी कमाई का ब्योरा समिति को देना होगा.
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