Barabanki News: डिप्टी डायरेक्टर (डीडी) ने अपने बाबुओं के सहारे ऐसा जाल बुना कि योजना के तहत सरकार की तरफ से मिलने वाला करोंड़ों का अनुदान असल हकदार युवाओं के खाते में न भेजकर विभाग के कर्मचारियों के ड्राइवरों और दूसरों के खाते में ट्रांसफर करवा दिया, फिर बाद में यह रकम उनसे वापस लेकर उस उप निदेशक कृषि ने अपने बाबुओं के साथ डकार ली.
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नितिन श्रीवास्तव/बाराबंकी: यूपी सरकार के कृषि विभाग में स्नातक की पढ़ाई करने वाले 45 वर्ष तक के युवाओं के लिये एग्री जंक्शन योजना है.इस योजना में बड़ा घोटाला सामने आया है. इसका आरोप बाराबंकी जिले में पूर्व उप निदेशक कृषि अनिल सागर लगा है, जोकि अभी कृषि भवन लखनऊ मुख्यालय में उप निदेशक कृषि रक्षा के पद पर तैनात हैं. अनिल सागर पर अपने कार्यालय के दूसरे कर्मचारियों के साथ मिलकर इस योजना में करोड़ों का घोटाला करने का आरोप लगा है.
पूरा मामला बाराबंकी जिले के उप निदेशक कृषि कार्यालय से जुड़ा हुआ है.अनिल सागर नाम के एक अधिकारी पर उप निदेशक कृषि के पद पर रहते हुए सरकार की कई योजनाओं का पैसा हजम करने काआरोप लगा है. इस उप निदेशक कृषि कार्यालय में तैनात प्रबल प्रताप सिंह नाम का एक बाबू जो 10 साल से एक ही पटल पर तैनात है. वह इस पूरे गड़बड़झाले का असल खिलाड़ी बताया जा रहा है, जो कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश की भी खुलेआम अवहेलना है. क्योंकि मुख्यमंत्री का साफ आदेश है कि किसी भी विभाग का कोई भी बाबू तीन साल से ज्यादा एक पटल पर तैनात नहीं रह सकता. हालांकि लगभग पांच सालों तक बाराबंकी में उप निदेशक कृषि के पद पर रहने वाले अनिल सागर का इस खुलासे से कुछ महीनों पहले ही ट्रांसफर हो गया है. वह इस समय कृषि भवन लखनऊ मुख्यालय में उप निदेशक कृषि रक्षा के पद पर तैनात हैं, लेकिन सरकारी योजनाओं में घोटाला करने वाले इस अधिकारी के कारनामे के खुलासे ने पूरे जिले में हड़कंप मचा दिया है.
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ड्राइवर समेत दूसरों के खाते में ट्रांसफर करवाने का आरोप
विभाग की योजनाओं के घोटाले का खुलासा बाराबंकी जिले के एक किसान सुनील कुमार पूरे सबूतों के साथ किया है. इतना ही नहीं सुनील कुमार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक भी आईजीआरएस के माध्यम यह पूरा मामला पहुंचाया है. सुनील कुमार की तरफ से पेश किए गए सबूतों के मुताबिक उप निदेशक कृषि बाराबंकी कार्यालय में तैनात रहने वाले बाबू प्रबल प्रताप सिंह ने अनिल सागर के इशारे पर एग्री जंक्शन और आत्मा योजना के तहत संचालित फार्म स्कूल और सहयोगी कृषक जैसी तमाम योजनाओं के अनुदान का पैसा अपने प्राइवेट ड्राइवर संजय जायसवाल समेत दूसरे दर्जनों लोगों के खाते में ट्रांसफर करवाया. यानी इन योजनाओं के अंतर्गत मिलने वाली अनुदान की रकम जो पात्र युवाओं के खाते में जानी चाहिये थी. उसने अपने ड्राइवर समेत दूसरों के खाते में ट्रांसफर करवाई.
क्या है एग्री जंक्शन योजना?
एग्री जंक्शन योजना में सरकार युवाओं की चार लाख रुपये की मदद करती है. इसमें 50 हजार रुपये उसे खुद लगाना होता है, जबकि साढ़े तीन लाख रुपये का बैंक से ऋण दिलाया जाता है. साढ़े तीन लाख रुपये ऋण पर लगने वाले ब्याज पर सरकार 42 हजार रुपये का अनुदान भी देती है. साथ ही एक साल तक उनकी दुकान के प्रति महीने 1000 रुपये किराये के हिसाब से 12000 रुपये का भी भुगतान सरकार करती है. योजना में चयनितों को खाद, बीज और दवा के लिए मुफ्त में लाइसेंस भी दिलाया जाता है. यानी बैंक से मिले साढ़े तीन लाख रुपये के ऋण के अलावा बाकी लगभग 50 से 60 हजार रुपये के अनुदान की रकम को इस बाबू ने अपने ड्राइवर समेत दूसरों के खाते में ट्रांसफर करवाया.
खुद के खातों में भी पैसे ट्रांसफर करने का आरोप
ऐसे ही आत्मा योजना के तहत संचालित फार्म स्कूल योजना से मिलने वाले 36 हजार और सहयोगी कृषि में मिलने वाले 12 हजार रुपये के अलावा दूसरी कई योजनाओं के अनुदान को भी अपनों के बीच ही बांटकर अपने आका यानी अनिल सागर तक पहुंचाया. इतना ही नहीं प्रबल प्रताप सिंह ने अपने खुद के खातों को कृषि विभाग के पोर्टल पर रजिस्टर कराकर उसमें भी लाखों रुपये ट्रांसफर किए. इसी तरह से सरकारी रकम की बंदर बांट करके साधारण सी सैलरी पाने वाला यह बाबू भी काली कमाई का धन कुबेर बन बैठा और इस समय जिले में करोड़ों की संपत्ति बना ली है. इसके अलावा अनिल सागर ने भी जिले में अपनी पत्नी अर्चना सागर के नाम अरबों की संपत्ति बनाई. जिसपर लाखों का सरकारी अनुदान भी हासिल कर लिया. इतना ही नहीं अनिल सागर के संरक्षण में कार्यालय के दूसरे बाबुओं के खाते में भी करोड़ों करोड़ों रुपये डलवाये गए. जो जांच का विषय है.
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की किश्त भी किया हासिल
आरोप है कि सरकारी धन को हजम करने वाले अधिकारी अनिल सागर ने अपनी पत्नी अर्चना सागर के नाम बाराबंकी जिले की रामनगर तहसील क्षेत्र के मलौली गांव में करीब 36 बीघे का शानदार फार्मं हाउस बनवाया है, जिसमें मत्स्य विभाग से करीब 30 लाख का अनुदान लेकर मछली पालन करवा रहे हैं. साथ ही कृषि विभाग से अनुदान लेकर सोलर पंप भी लगवाया है. साथ ही अनिल सागर ने अपनी पत्नी के नाम प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की भी तीन किश्तें हासिल की हैं, जो कि सरासर नियम विरुद्ध है.
वहीं, इन तमाम खुलासों पर बाराबंकी में वर्तमान उप निदेशक कृषि श्रवण कुमार ने बताया कि उन्हें शिकायत मिली है और संबंधित कर्मचारी से स्पष्टीकरण मांगा गया है.अनिल सागर को लेकर उन्होंने कहा कि वह उनके समकक्षीय अधिकारी हैं. इसलिए सुनील कुमार ने जो शिकायती पत्र मुख्यमंत्री के पास भेजा है. शासन उसपर जांच कराएगा. उसके बाद जो भी उस जांच में निकलकर सामने आएगा. उसके मुताबिक कार्रवाई की जाएगी. मत्स्य विभाग के अधिकारी रमेश चंद्र ने बताया कि जिसके पास अपनी जमीन है वह उनसे विभाग से अनुदान ले सकता है. इसी क्रम में अनिल सागर की पत्नी अर्चना सागर ने भी ऑनलाइन अप्लाई करके 30 लाख का अनुदान मछली पालन करने के लिया है.
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