आमतौर पर विवाह समारोह में चढ़त के समय दूल्हों की ही घुड़चढ़ी होती है, लेकिन मुज़फ्फरनगर की खतौली कस्बे की जगत कॉलोनी निवासी पिंटू अहलावत व पूनम अहलावत की इकलौती बेटी सिमरन है, जिसकी घुड़चढ़ी उसके माता-पिता ने अपने अरमान पूरे करने के लिए की.
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मुजफ्फरनगर: बदलते दौर में पुरानी परंपरा टूटने लगी हैं. सदियों से दूल्हों की घुड़चढ़ी की परंपरा चली आ रही है लेकिन मुज़फ्फरनगर में घर की इकलौती बेटी घोड़ा-बग्गी में सवार होकर घुड़चढ़ी के लिए निकली और सदियों की परंपरा को तोड़ जमकर जश्न मनाया गया. मेहमानों और घुड़चढ़ी देख रही जनता ने बेटी को शाबाशी दी और भविष्य के लिए आशीर्वाद दिया. बेटे ना होने के कारण बेटी की शादी में सभी अरमान पूरे करने के लिए ये आयोजन किया गया. साथ ही लोगों को संदेश भी दिया गया कि बेटियां बेटों से कम नहीं होती हैं.
दरअसल आमतौर पर विवाह समारोह में चढ़त के समय दूल्हों की ही घुड़चढ़ी होती है, लेकिन मुज़फ्फरनगर की खतौली कस्बे की जगत कॉलोनी निवासी पिंटू अहलावत व पूनम अहलावत की इकलौती बेटी सिमरन है, जिसकी घुड़चढ़ी उसके माता-पिता ने अपने अरमान पूरे करने के लिए की. क्योंकि उनके कोई भी बेटा नहीं है, सिमरन बग्गी पर सवार थी और भीड़ गानों की धुन पर थिरक रहे थे. वहीं परिवार को नाचते देख दुल्हन सिमरन भी अपने आप को रोक नहीं पाई और बग्गी पर बैठे बैठे ही जमकर नाचती नजर आई.
माता-पिता ने बेटी को अच्छी शिक्षा दिलाई और उच्च शिक्षा दिलाकर उसकी दुबई में नौकरी लगवा दी गई. अब सिमरन के हाथ पीले कर बाबुल के आंगन से ससुराल की दहलीज पर पहुंचने की रस्म अदा की जा रही हैं. दुल्हन सिमरन का कहना है कि मेरे माता पिता ने मुझे लड़के की तरह पाला है और कभी भी लड़का-लड़कियों में फर्क नहीं करना चाहिए.
सिमरन के पिता पिंटू अहलावत का कहना है कि हमने कभी अपनी बेटी को बेटों से कम नहीं समझा, उसे पढ़ाया लिखाया और दुबई में नौकरी कर रही है. अब उसकी शादी है, उसकी घुड़चढ़ी की गई, सभी ने खूब जश्न मनाया. हम तो सन्देश भी दे रहे हैं कि कभी बेटा बेटी में फर्क नहीं करना चाहिए. स्वजन ने बताया कि बेटी की शादी को यादगार और बेटा व बेटी में भेदभाव रखने वालों को संदेश देने के लिए मिसाल पेश की है.