Bindeshwar Pathak Died : देश में सुलभ शौचालय के जरिए स्वच्छता की क्रांति लाने वाले बिंदेश्वर पाठक का मंगलवार को निधन हो गया. आइए जानते हैं उनके जीवन और सामाजिक योगदान के बारे में..
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Bindeshwar Pathak Passes Away : देश को सुलभ शौचालय की सौगात देने वाले बिंदेश्वर पाठक नहीं रहे. सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक पद्मभूषण बिंदेश्वर पाठक का मंगलवार को दिल्ली AIIMS में निधन हो गया है. वह 80 साल के थे. सुबह सुलभ इंटरनेशनल के केंद्रीय कार्यालय में ध्वजारोहण के बाद अचानक उनकी तबीयत खराब हो गई. इसके बाद उन्हें AIIMS ले जाया गया,जहां उनका निधन हो गया. बिंदेश्वर पाठक को उनके सामाजिक योगदान के लिए 2003 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था.राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है. बुधवार सुबह 7 बजे दिल्ली के महावीर इनक्लेव स्थित सुलभ ग्राम में उनके शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा. इसके बाद दिल्ली में ही अंतिम संस्कार होगा. बिंदेश्वर पाठक बिहार के वैशाली के रहने वाले थे.
स्वच्छता की अलख जगाई
बिंदेश्वर पाठक का जन्म 2 अप्रैल 1943 को बिहार के वैशाली जिले के एक गांव में हुआ था. उन्होंने 1970 में सुलभ इंटरनेशनल सर्विस ऑर्गनाइजेशन की स्थापना की. देशभर में 8,500 सुलभ के शौचालय और स्नानघर हैं. उन्होंने 1968-69 में गांधी जन्म शताब्दी समारोह समिति के साथ काम किया. समिति ने सस्ती शौचालय तकनीक के लिए उन्हें प्रेरित किया.
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डॉ. पाठक को 2003 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था. बिंदेश्वर पाठक के प्रयास से हर साल वर्ल्ड टॉयलेट डे मनाया जाता है. 19 नवंबर 2013 को बिंदेश्वर पाठक के प्रयास से संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ल्ड टॉयलेट डे को मान्यता दी. कहते हैं एक वक्त ऐसा भी था जब शौचालय और स्वच्छता को लेकर उनकी मुहिम की वजह से उनके पिता और ससुर भी नाराज हो गए थे. लेकिन बाद में लोगों को उनके अभियान की अहमियत पता चली. वह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को अपना आदर्श मानते थे. उनके बताए मार्ग पर जीवन भर चलते रहे.
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