शरद यादव कैसे इंजीनियरिंग छोड़ इमरजेंसी के दौर में राजनीति के मास्टर बन गए
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शरद यादव कैसे इंजीनियरिंग छोड़ इमरजेंसी के दौर में राजनीति के मास्टर बन गए

Sharad Yadav Biography: मध्‍य प्रदेश के होशंगाबाद के बंदाई गांव में 1 जुलाई 1947 को हुआ था जन्‍म. 

शरद यादव कैसे इंजीनियरिंग छोड़ इमरजेंसी के दौर में राजनीति के मास्टर बन गए

Sharad Yadav dies aged 75: पूर्व केंद्रीय मंत्री और JDU के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव का 75 साल की उम्र में निधन हो गया. शरद यादव मूलरूप से मध्‍य प्रदेश के रहने वाले थे, लेकिन उन्‍होंने अपनी पहचान बिहार और उत्तर प्रदेश से बनाई.  

छात्र संघ अध्‍यक्ष से शुरू किया राजनीतिक सफर 
1 जुलाई 1947 को मध्‍य प्रदेश के होशंगाबाद के बंदाई गांव में किसान परिवार में जन्‍में शरद यादव पढ़ने-लिखने में काफी तेज थे. प्रारंभिक शिक्षा के बाद उन्‍होंने जबलपुर से इंजीनियरिंग में स्‍नातक की डिग्री ली. शरद यादव पढ़ाई के दौरान ही राजनीति से प्रभावित हुए थे. यही कारण था कि पढ़ाई के दौरान वह जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में छात्र संघ के अध्यक्ष बने. 

7 बार सासंद रहे 
केंद्रीय मंत्री शरद यादव 7 बार सांसद रह चुके थे. किसी जमाने में वह नीतीश कुमार के बेहद करीबी माने जाते थे. उसके बाद दोनों के राजनीतिक रास्‍ते अलग हो गए थे. शरद यादव के राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1971 से हुई. कहा जाता है कि पढ़ाई के दौरान ही वह लोकनायक जेपी के साथ-साथ डॉ. राम मनोहर लोहिया के विचारों से खासे प्रभावित थे. 27 साल की उम्र में शरद पहली बार 1974 में मध्यप्रदेश की जबलपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए. साल 1977 में वह दोबारा भी इसी लोकसभा सीट से चुनाव जीते और लोकसभा पहुंचे थे. 

1989 में पकड़ी यूपी की राह
इसके बाद शरद यादव 1986 में राज्यसभा से सांसद चुने गए. शरद ने साल 1989 में यूपी का रास्ता पकड़ा. तब वह यूपी की बदायूं लोकसभा सीट से चुनाव लड़े और जीतकर तीसरी बार संसद पहुंचे. इसके बाद साल 1989-1990 में वह केंद्र में टेक्सटाइल और फूड प्रोसेसिंग मंत्रालय में केंद्रीय मंत्री बन गए. 

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