Dussehra 2022: देश के कई हिस्सों में रावण को नहीं जलाया जाता, लोग करते हैं पूजा
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Dussehra 2022: देश के कई हिस्सों में रावण को नहीं जलाया जाता, लोग करते हैं पूजा

दशहरा के दिन जगह-जगह रावण दहन होता है. लेकिन देश कुछ जगह ऐसी भी हैं,जहां रावण की बकायदा पूजा की जाती है.

Dussehra 2022: देश के कई हिस्सों में रावण को नहीं जलाया जाता, लोग करते हैं पूजा

लखनऊ: दशहरा का त्योहार आने वाला है. नवरात्र के 9 दिन पूरे होने के बाद दशहरा मनाया जाता है. बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाए जाने वाला यह पर्व इस बार 5 अक्टूबर 2022 को है. इस मौके पर भगवान राम बुराई के प्रतीक रावण का वध करते हैं. प्रतीकात्मक रूप से इस अवसर पर हर साल भारत में लोग रावण का पुतला बनाकर उसका दहन करते हैं. 

यूपी के कई हिस्सों रावण आस्था का केंद्र
हालांकि देश में कई ऐसी जगह हैं, जहां रावण को जलाने के बजाय पूजा जाता है. देश के कई हिस्सों में रावण आस्था का केंद्र भी है. कानपुर में दशानन मंदिर है. यहां रावण की पूजा पूरे विधि से की जाती है. बताया जाता है कि दशहरे के दिन इस मंदिर में रावण को दूध से नहलाया जाता है. इसके  बाद उसका श्रृंगार किया जाता है. यूपी के बिसरख गांव में भी रावण की पूजा की जाती है. सूबे के जसवंतनगर में रावण पूजनीय हैं. इसके बाद उसे मारकर उसके टूकड़े किए जाते हैं. इन टूकड़ों को लोग अपने घर ले जाते हैं. बकायदा रावण की तेरहवीं भी की जाती है.
दक्षिण में होती है विशेष पूजा
रावण का पुतला कर्नाटक के कोलार या मालवल्ली में भी नहीं जलाया जाता. रावण की जिन स्थानों में पूजा होती है उनमें राजस्थान का जोधपुर शहर भी शामिल है. प्राचीन कथाओं के अनुसार रावण की शादी मंदोदरी के साथ इसी जगह पर हुई थी. मंदोदरी जोधपुर की रहने वाली थीं. मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में भी कई कई जगह हैं, जहां लंकापति रावण का पुतला नहीं जलाया जाता. 

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आदिवासी समुदाय में भी पूजा का चलन
महाराष्ट्र के अमरावती में कुछ आदिवासी समुदायों के बीच रावण की पूजा होती है. दक्षिण भारत में विशेष रूप से रावण की पूजा की जाती है. कई स्थानों पर तो रावण के पूजन की परंपरा सैकड़ों साल से चली आ रही है.

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