काशी के शास्त्री घाट पर कई वीआईपी ने अपने नाम व पद के साथ पूजा के लिए जगह को पहले ही सुरक्षित कर लिया है.
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वाराणसी: पूर्वांचल का महापर्व छठ की आज से नहाए खाए के साथ शुरुआत हो गई है. छठ व्रती आज लौकी की सब्जी और भात का खाकर छठी मैया की पूजा का शुभारंभ करेंगे. वाराणसी में छठ महापर्व की तैयारी तेज हो गई है. यहां के अलग-अलग घाटों पर करीब 10 लाख श्रद्धालु सूर्य भगवान को अर्ध्य देंगे. 90 से ज्यादा गंगा घाटों, सरोवरों, कुंड और तालाबों के किनारे साफ-सफाई तेजी से चल रही है. इस दौरान घाटों पर वीआईपी कल्चर भी देखने को मिला. घाट पर पेंट से पार्टी व पद का नाम लिख घेरा बना कर जगह रिजर्व करने की होड़ मच गई है.
नहाए खाए से शुरू होने वाले इस पर्व का पारण 31 अक्टूबर की सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ होगा.काशी में छठ को लेकर तैयारियां पूरी हो चुकी है. काशी के शास्त्री घाट पर कई वीआईपी ने अपने नाम व पद के साथ पूजा के लिए जगह को पहले ही सुरक्षित कर लिया है. कईयों ने पूजा के नाम पर अपने पद और रसूख का इस्तेमाल करते हुए घाट किनारे पेंट से बड़े-बड़े घेरे बना रखे हैं.
घाटों पर दिखा वीआईपी कल्चर
काशी के शास्त्री घाट पर इस अनोखे वीआईपी कल्चर से हर कोई हैरान है.शास्त्री घाट के पूजा समिति के संयोजक लक्ष्मण सिंह ने इस पर कड़ी आपत्ति भी जताई है.लक्ष्मण सिंह ने कहा कि यह एक गलत परंपरा है जो पिछले 2 सालों से चल पड़ी है.पूजा सभी लोगों के लिए समान रूप से है ऐसे में हर किसी को एक साथ इसे निभाना चाहिए.जबकि कुछ लोग अपने आधिकारिक पद व प्रतिष्ठा का बेजा इस्तेमाल करते हुए यहां पर नाम लिखकर जगह को सुरक्षित कर ले रहे हैं जिससे कई लोगों को परेशानी होती है.
छठ पर्व पर शास्त्री घाट पर लाखों की भीड़ उमड़ती है, आसपास के कई अधिकारियों व स्थानीय नेताओं के परिवार से लोग इसी घाट पर पूजा के लिए आते हैं. यही कारण है कि उनके लिए पहले से ही जगह सुरक्षित कर लिया जा रहा है. शास्त्री घाट पर बने इस वीआईपी कल्चर की अब हर कोई चर्चा कर रहा है.
पहले दिन नहाय खाय से शुरुआत
नहाय खाय से छठ पूजा की शुरुआत होती है. इस दिन व्रती नदी में स्नान करते हैं इसके बाद सिर्फ एक समय का ही खाना खाया जाता है. इस बार नहाय खाय की शुरुआत आज 28 अक्टूबर से हो रही है.
दूसरा दिन- खरना
छठ मैया की पूजा का दूसरा दिन 'खरना' कहलाता है. इस दिन विशेष भोग तैयार किया जाता है. इसके लिए शाम को मीठा भात (चावल) या लौकी की खिचड़ी खाई जाती है. वहीं इस महाव्रत का तीसरा दिन दूसरे दिन के प्रसाद के ठीक बाद शुरू हो जाता है. आपको बताते चलें कि इस साल 2022 में खरना 29 अक्टूबर को है.
तीसरा दिन- अर्घ्य
छठ पूजा की एक-एक विधि और नियम कायदे का अपना अलग धार्मिक और पौराणिक महत्व है. इस महापूजा के तीसरे दिन की भी अपनी अलग महिमा है. पूजा के तीसरे दिन शाम के समय भगवान सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है. इस दौरान सभी व्रती श्रद्धालु अपनी-अपनी बांस की टोकरी में पूजा सामग्री के साथ फल, ठेकुआ और चावल के लड्डू भी रखते हैं. इस दौरान पूरे अर्घ्य के सूप को भी सजाया जाता है.