भर्ती घोटाले पर सियासत, अब विधानसभा में हुई नियुक्तियों पर उठे सवाल
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भर्ती घोटाले पर सियासत, अब विधानसभा में हुई नियुक्तियों पर उठे सवाल

उत्तराखंड में UKSSSC घोटाले को लेकर सियासत अभी थमी नहीं कि सत्ता पक्ष और विपक्ष अब एक दूसरे के कार्यकाल में हुई नियुक्तियों में भ्रष्टाचार के राग अलापने लगी हैं. कांग्रेस जहां हालही में हुई भर्तियों पर सवाल खड़े कर रही है वहीं बीजेपी कांग्रेस को उसके शासन काल की याद दिला रही है.

भर्ती घोटाले पर सियासत, अब विधानसभा में हुई नियुक्तियों पर उठे सवाल

कुलदीप नेगी/देहरादून: उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग भर्ती घोटाले की जांच पूरी भी नहीं हुई कि अब विधानसभा में हुई भर्तियों को लेकर सवाल उठने लगे हैं. विपक्ष ने हाल फिलहाल में हुई भर्तियों को लेकर सवाल खड़े किये हैं तो वहीं सत्तापक्ष ने भी विपक्ष को बीते दौर की याद दिला दी है. इस तरह सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच घोटाले पर सियासत शुरू हो गयी है. उत्तराखंड ने इन दिनों भर्ती घोटाले के जिन्न बंद बोतल से बाहर निकल आये हैं. अभी तक अधीनस्थ सेवा चयन आयोग भर्ती घोटाले में दो दर्जन के करीब गिरफ्तारियां हो चुकी हैं और आगे भी जांच जारी है. अब विपक्ष ने विधानसभा में हाल में हुई भर्तियों पर सवालिया निशान लगा दिए हैं. विपक्ष का कहना है इन भर्तियों में लेनदेन और भाई भतीजावाद जमकर चला है. 

कांग्रेस कह रही बेरोजगारों के साथ हुआ खिलवाड़
कांग्रेस नेत्री गरिमा दसौनी का कहना है कि इस तरह की खबरें हैं कि इन नियुक्तियों में लेनदेन हुआ है. यह बेरोजगारों के भविष्य के साथ एक बड़ा खिलवाड़ है. खास बात तो ये है कि भाजपा कार्यकाल में विधानसभा में हुई भर्तियों में घपले का आरोप लगा रही कांग्रेस के खुद के कार्यकाल के दौरान विधानसभा में हुई भर्तियों में घपले के आरोप लगे थे. पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल के कार्यकाल के दौरान बीजेपी ने भी आरोप लगाए थे कि उनके कार्यकाल के दौरान विधानसभा में बैकडोर एंट्री हुई. 

भाजपा ने कांग्रेस कार्यकाल की याद दिलाई
बीजेपी प्रवक्ता रविंद्र जुगराण का कहना है कि अगर कांग्रेस वाकई में जांच की पक्षधर है तो फिर लोकतांत्रिक तरीके से तमाम दरवाजे खुले हैं, कांग्रेस उन्हें चुने. लेकिन कांग्रेस ये भी जांच करवाए की यशपाल आर्य से लेकर गोविंद कुंजवाल तक के कार्यकाल की पूरी जांच हो. हालांकि कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह भी कहीं न कहीं इस बात को मानते हैं कि अगर विधानसभा में हुई भर्तियों की जांच करने की बात है तो शुरुआत से लेकर और अभी तक जितनी भी नियुक्तियां हुई है सभी की जांच होनी चाहिए.

 

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