Mulayam Singh Yadav: पहलवानी करते-करते मुलायम बन गए राजनेता, मास्टरी भी कर चुके हैं
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand1380335

Mulayam Singh Yadav: पहलवानी करते-करते मुलायम बन गए राजनेता, मास्टरी भी कर चुके हैं

मुलायम सिंह यादव इन दिनों गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती हैं. लोग उनके बेहतर स्वास्थ्य के लिए दुआएं कर रहे हैं. नेताजी के नाम से मशहूर मुलायम सिंह यादव के बारे में उनके करीबी कुंवर रेवती रमण सिंह कहते हैं कि नेताजी ने हमेसा गांव, गरीब और किसानों की राजनीति की. आइए हम आपको बताते हैं कि कैसे मुलायम सिंह कुश्ती के मैदान से राजनीतिक की पिच में दांवपेंच खेलने पहुंच गए.

Mulayam Singh Yadav: पहलवानी करते-करते मुलायम बन गए राजनेता, मास्टरी भी कर चुके हैं

लखनऊ: समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव इन अस्पताल में भर्ती हैं. उन्हें आईसीयू में रखा गया है. अपने समर्थकों के बीच नेताजी के नाम से लोकप्रिय मुलायम सिंह यादव का राजनीतिक जीवन काफी उतार चढ़ाव भरा रहा. बचपन और युवा अवस्था में कुश्ती के दंगल में जोर-अजमाइश करने वाले मुलायम सिंह यादव ने शायद कभी सोचा नहीं रहा होगा कि वह सियासी दंगल में उतरेंगे. हालांकि उन्होंने न सिर्फ सियासी दंगल में एंट्री की बल्कि जनता की नब्ज को कुछ इस तरह पकड़ा कि प्रदेश के तीन बार उत्तर प्रदेश जैसे देश के सबसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री भी बने.

ऐसे राजनीति के मैदान में किया प्रवेश
मुलायम के राजनीति के मैदान में प्रवेश की कहानी बेहद दिलचस्प है. बताया जाता है कि 1962 में विधानसभा चुनाव के दौरान जसवंत नगर क्षेत्र में सभी दलों के प्रत्याशी अपनी ताकत झोंक रहे थे. विधानसभा क्षेत्र में ही कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था. दंगल देखने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर किस्मत आजमा रहे नत्थू सिंह भी पहुंचे थे. प्रतियोगिता में मुलायम सिंह ने कई धुरंधर पहलवानों अपने दांव से पस्त कर दिया. नत्थू सिंह मुलायम के दांवपेंच से काफी प्रभावित हुए. बस यहीं से दोनों के बीच जान-पहचान बढ़ गई. हालांकि मुलायम सिंह यादव कुश्ती के मैदान में जितना एक्टिव रहते थे, उतना ही वह अपने करियर को लेकर भी संजीदा थे. 
शिक्षक भी बने
इसी बीच वह मास्टरी की परीक्षा पास कर शिक्षक बन गए. उधर 1967 तक सोशलिस्ट पार्टी में नत्थू सिंह का कद काफी बढ़ चुका था. उन्होंने ही अपने शिष्य मुलामय सिंह यादव को संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़वाया है. सियासी पंडितों को चौकाते हुए मुलायम सिंह यादव ने जसवंत नगर सीट से कांग्रेस उम्मीदवार लाखन सिंह यादव को पराजित कर दिया. बस फिर क्या था, यहां से मुलायम सिंह यादव की राजनीतिक के शीर्ष की ओर बढ़ते गए. 

यह भी पढ़ें: नैनीताल में डेंगू डंक, 52 मरीज सामने आए, ऐसे करें बचाव

संपर्क बनाने में माहिर
मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) जनता और कार्यकर्ताओं से संपर्क बनाने में काफी माहिर थे. 80 के दशक में साइकिल में उनकी सवारी काफी लोकप्रिय थी. पार्टी की बैठकों में जाना हो या कार्यकर्ताओं से संपर्क में निकलना हो, वह साइकिल की ही सवारी करते थे. इसका असर यह हुआ कि उनकी छवि एक जमीनी नेता की बनती गई. जमीन से जुड़ी राजनीति की बदौलत ही जो मुलायम सिंह यादव 80 के दशक तक सिर्फ यादवों के नेता माने जाते थे, वह अल्पसंख्यकों समेत हर समाज के पसंदीदा नेता बन गए. 1992 में उन्होंने समाजवादी पार्टी बनाई. पार्टी को साइकिल निशान भी मिल गया. मुलायम सिंह यादव की राजनीतिक विरासत को अब उनके बेटे और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव आगे बढ़ा रहे हैं. वह भी एक बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं.

Trending news