अंडमान के द्वीप को मिला गाजीपुर के सपूत अब्दुल हमीद का नाम, पीएम मोदी ने किया नामकरण
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अंडमान के द्वीप को मिला गाजीपुर के सपूत अब्दुल हमीद का नाम, पीएम मोदी ने किया नामकरण

अंडमान निकोबार द्वीप समूह के 21 द्वीपों के नाम अलग-अलग परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर रखे गए हैं. पीएम मोदी ने सुभाष चंद्र बोस की जयंती के मौके पर यह नामकरण किया है.इसमें गाजीपुर के वीर सपूत अब्दुल हमीद के नाम पर भी एक द्वीप का नामकरण हमीद द्वीप किया गया है.

अंडमान के द्वीप को मिला गाजीपुर के सपूत अब्दुल हमीद का नाम, पीएम मोदी ने किया नामकरण

गाजीपुर: अंडमान निकोबार द्वीप समूह के 21 द्वीपों के नाम अलग-अलग परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर रखे गए हैं. पीएम मोदी ने सुभाष चंद्र बोस की जयंती के मौके पर यह नामकरण किया है.इसमें गाजीपुर के वीर सपूत अब्दुल हमीद के नाम पर भी एक द्वीप का नामकरण हमीद द्वीप किया गया है. परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद को मिले इस सम्मान से पूरे गाजीपुर का गौरव बढ़ा है. उनके परिजनों ने इस पर खुशी जाहिर की है. अब्दुल हमीद के पोते जमील ने पीएम का आभार जताते हुए कहा कि पमोदी ऐसे पहले पीएम जिन्होंने ये सम्मान दिया है.

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126 वी जयंती पराक्रम दिवस के रूप में देशभर में मनाई जाती है. 23 जनवरी को पीएम मोदी ने कार्यक्रम के दौरान जब इसकी घोषणा की तो इस अवसर अब्दुल हमीद के पोते जमील अब्दुल हमीद खुद वहां मौजूद रहे. उन्होंने अपना वीडियो संदेश भेजा है. वहीं अब्दुल हमीद के बड़े बेटे जैनुल हसन ने कहा कि हमलोग मुम्बई एक शादी में जा रहे हैं लेकिन प्रधानमंत्री के इस निर्णय से हम सभी गौरवान्वित हैं. नरेन्द्र मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने पाकिस्तान के साथ 1965 के युद्ध में देश के लिए अपने प्राणों को बलिदान करने वाले अब्दुल हमीद के पंजाब के फिरोजपुर के खेमकरण सेक्टर में बने शहीद स्तंभ पर जाकर श्रद्धांजलि दी थी. वीर अब्दुल हमीद गाजीपुर के दुल्लहपुर क्षेत्र के धामूपुर गांव के निवासी थे और उनके 5 पुत्र और 1 पुत्री हैं.

हर भारतीय को किया था गौरवान्वित
1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान अब्दुल हमीद खेम करन सेक्टर में चौथी ग्रेनेडियर्स में तैनात थे. 10 सितंबर 1965 को पाकिस्तानी सेना ने पैटन टैंकों के साथ खेम करन सेक्टर पर अचनाक हमला कर दिया. इस दौरान दुश्मनों की भीषण गोलाबारी और टैंकों की बमबारी के बीच उन्होंने दुश्मन के फ्रंट टैंक को ध्वस्त कर परास्त कर दिया. भीषण गोलीबारी के बीच बी अब्दुल हमीद बिना किसी डर के अपने स्थान पर डटे रहे. वह लगातार गोलाबारी करते रहे. इससे उनकी टुकड़ी को आगे बढ़ने का हौसला मिला. गंभीर रूप से जख्मी होने से पहले उन्होंने सात पाकिस्तानी टैंकों को तहस-नहस कर दिया. मरणोपरांत उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था.

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