Ghaziabad Air Pollution: प्रदूषित हवा में सांस लेना मानो सिगरेट पीने के बराबर है. यदि कोई व्यक्ति दिनभर प्रदूषित हवा में रहता है तो इसका मतलब है कि उसने 20 सिगरेट जितना धुआं इन्हेल किया है.
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पीयूष गौड़/गाजियाबाद: दिवाली के बाद दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण का दौर शुरू हो गया है. दिल्ली एनसीआर के अधिकतर इलाकों का एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 पार कर चुका है. कई इलाके ऐसे भी हैं जहां पर प्रदूषण स्तर 400 के पार है. एनसीआर की हवा में लगातार घुल रहे प्रदूषण के चलते लोगों को सांस लेने में परेशानी, आंखों में जलन समेत कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, गाजियाबाद के कुछ इलाकों में देर शाम धुंध सी छा गई.
प्रदूषण से क्या कुछ नुकसान होते हैं, प्रदूषण से कैसे एतिहात रखनी है आदि को लेकर वरिष्ठ चिकित्सक प्रोफेसर डॉक्टर बीपी त्यागी ने बताया कि मौजूदा समय में प्रदूषण के कई कारक हैं. दिल्ली एनसीआर में वाहनों, आसपास के राज्यों में जलाई जा रही पराली, औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला प्रदूषण और कंस्ट्रक्शन वर्क आदि प्रदूषण के मुख्य कारक है. आतिशबाजी से प्रदूषण बढ़ गया है. यह कहना ठीक नहीं होगा क्योंकि प्रदूषण बढ़ने के पीछे कई मुख्य कारण है. मौजूदा समय में हवा की सुस्त रफ्तार के चलते प्रदूषण छठ नहीं रहा है.
प्रदूषित हवा में सांस लेना सिगरेट पीने के बराबर
प्रोफेसर डॉ बीपी त्यागी बताते हैं कि हवा में पीएम 2.5 और पीएम 10 के बढ़ने के कारण प्रदूषण बढ़ने लगता है. प्रदूषण के चलते लोगों को साइनोसाइटिस और ब्रोंकिओल्स से संबंधित बीमारियों के बारे का सामना करना पड़ता है. लंबे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेने पर अस्थमा का खतरा भी मंडराने लगता है. एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 से अधिक होने पर लोगों के लिए खतनाक साबित हो सकता है. प्रदूषित हवा में सांस लेना मानो सिगरेट पीने के बराबर है. यदि कोई व्यक्ति दिनभर प्रदूषित हवा में रहता है तो इसका मतलब है कि उसने 20 सिगरेट जितना धुआं इन्हेल किया है.
डॉ त्यागी बताते हैं प्रदूषण के इस दौर में मास्क लगाना काफी कारगर साबित हो सकता है. यदि मल्टी लेयर मास्क लगाया जाए तो प्रदूषण से काफी हद तक खुद को सुरक्षित रखा जा सकता है. घर के अंदर प्रदूशन मौजूद रहता है. ऐसे में एयर फिल्टर का प्रयोग कर प्रदूषण को कम किया जा सकता है. जो लोग पहले से स्वास्थ संबंधित समस्याओं से जूझ रहे हैं उन्हें प्रदूषण के इस दौर में विशेष तौर पर सतर्क रहने की जरूरत है.
छोटे बच्चों और बुजुर्गों के लिए बेहद खतरनाक
प्रोफेसर त्यागी बताते हैं कि प्रदूषण छोटे बच्चों और बुजुर्गों के लिए बेहद खतरनाक है. छोटे बच्चों को स्कूल जाते समय और बुजुर्गों को घर से बाहर निकलते वक्त काफी एहतियात बरतने की जरूरत है. जरूरत होने पर घर से निकले. यदि ज्यादा जरूरी नहीं तो घर पर ही रहे. प्रदूषण के असर को कम करने के लिए दूध में हल्दी मिलाकर पी सकते हैं. पानी में नींबू, पुदीना, अदरक आदि डालकर पी सकते हैं.कीवी, अनार आदि भी खा सकते हैं. कीवी और अनार में अधिक मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं.
गाजियाबाद नोएडा की तरह ही यूपी के अन्य प्रमुख शहरों आगरा, कानपुर, मेरठ, गोरखपुर, प्रयागराज, बरेली, वाराणसी में भी वायु प्रदूषण खराब स्थिति में पाया गया है.
यूपी के दस शहरों का AQI
गाजियाबाद-424
लखनऊ- 160
आगरा-210
कानपुर-261
मेरठ-254
गोरखपुर-122
प्रयागराज-229
बरेली- 220
वाराणसी-143
नोएडा- 374
मथुरा- 145