Mulayam Singh: कभी साइकिल से गली-गली घूमते थे मुलायम सिंह यादव, शिक्षक से ऐसे बने सियासत के सूरमा
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Mulayam Singh: कभी साइकिल से गली-गली घूमते थे मुलायम सिंह यादव, शिक्षक से ऐसे बने सियासत के सूरमा

UP Politics: जानिए कैसे इटावा के छोटे से गांव में जन्मे मुलायम सिंह यादव ने शिक्षक से सियासत तक का सफर तय किया. 

मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) फोटो साभार गूगल

अतुल सक्सेना/इटावा: मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) आज भले किसी पहचान के मोहताज नहीं है. लेकिन सियासत का नामी चेहरा बनने से पहले एक वो दौर भी था, जब वह बतौर शिक्षक स्कूल में पढ़ाया करते थे. उन्होंने करहल के जिस जैन इंटर कॉलेज से पढ़ाई की. उसी में बतौर टीचर वह बच्चों को पढ़ाते भी नजर आए. सादगी पसंद नेताजी उस दौर में गली-गली साइकिल से घूमते दिखाई देते थे. जानिए कैसे इटावा के छोटे से गांव में जन्मे मुलायम सिंह यादव ने शिक्षक से सियासत तक का सफर तय किया. 

गांव की गलियों से दिल्ली तक का सफर तय करने वाले मुलायम सिंह जहां उत्तर प्रदेश के 3 बार मुख्यमंत्री रहे तो वहीं देश के रक्षामंत्री भी रहे. 'नेताजी' का स्वास्थ्य इन दिनों खराब चल रहा है. लोग उनके जल्द स्वस्थ्य होने की प्रार्थनाएं कर रहे हैं. छोटे से गांव सैफई में जन्मे मुलायम 5 भाई और एक बहन में सबसे बड़े भाई रतन सिंह से छोटे थे. पिता सुघर सिंह यादव उनको पहलवान बनाना चाहते थे. मुलायम को भी बचपन से पहलवानी का शौक रहा. पहलवानी के साथ साथ सन 1955 में उन्होंने करहल के जैन इंटर कॉलेज 9वीं कक्षा में एडमिशन लिया.

करहल के जैन इंटर कॉलेज के शुरू हुआ मुलायम का सफर 
सन 1955 से 1959 तक मुलायम सिंह ने जैन इंटर कॉलेज करहल में पढ़ाई की. साथ में पहलवानी का शौक भी जारी रखा. 1963 में करहल के जैन इंटर कॉलेज में ही सहायक अध्यापक के पद पर तैनात हो गए. यहां लगातार 10 वर्षों तक उन्होंने सहायक अध्यापक के पद पर सेवाएं दीं और सन 1974 में उनका प्रवक्ता के तौर पर अनुमोदन हो गया. 1974 से उन्होंने जैन इंटर कॉलेज में राजनीति शास्त्र के प्रवक्ता रहने हुए सेवाएं देनी शुरू कर दीं.

मुख्यमंत्री बनने के बाद भी नहीं टूटा जैन इंटर कॉलेज से नाता
मुलायम सिंह यादव के सर्विस काल के एक-एक रिकॉर्ड को जैन इंटर कॉलेज में विरासत में रूप में रखा है. ज़ी मीडिया की टीम को स्कूल के मौजूदा प्राचार्य यदुवीर नारायण दुबे ने 'नेताजी' की शिक्षा-दीक्षा से लेकर सहायक अध्यापक पद पर चयन और फिर प्रवक्ता पद पर अनुमोदन के दस्तावेज के अलावा लेजर और सर्विस बुक भी दिखाई. सन 1984 में उन्होंने समय के अभाव में जैन इंटर कॉलेज से रिजाइन दे दिया और पूरी तरह राजनीति में सक्रिय हो गए. लेकिन जैन इंटर कॉलेज से मुलायम ने नाता नही तोड़ा, मुख्यमंत्री रहते हुए बिना बताए कई बार उनका हेलीकॉप्टर जैन इंटर कॉलेज में उतरा और अपने मित्रों और शिक्षकों से मुलाकात करने आते जाते रहे.

जैन इंटर कॉलेज में सेवाएं देने के साथ मुलायम सिंह पहलवानी में भी अपना हाथ आजमाते रहे और इटावा जनपद के नगला अमर में हुई कुश्ती के दौरान मुलायम जसवंतनगर से मौजूदा विधायक नत्थू सिंह यादव के संपर्क में आये. नत्थूसिंह यादव मुलायम सिंह से इतना प्रभावित हुए की अपने अपनी जसवंतनगर सीट से मुलायम को चुनाव भी लड़ा दिया और मुलायम पहले चुनाव में ही भारी जीत दर्ज कराकर विधायक चुन लिए गए. सैफई से लखनऊ और लखनऊ से दिल्ली तक का सफर मुलायम ने तय किया. राजनीति में तेजी से उभरते मुलायम का बॉलीवुड के बड़े बड़े लोगों से संबंध बन गए और अमिताभ बच्चन से नजदीकियां बढ़ने के बाद मुलायम ने सैफई में अमिताभ बच्चन के नाम से इंटर कॉलेज भी खुलवाया जिसका उद्घाटन भी खुद अमिताभ बच्चन ने किया. 

पहले चुनाव में व्यवस्थाओं का था अभाव, साइकिल पर दोस्तों के साथ मांगे वोट 
1967 के पहले विधानसभा चुनाव में मुलायम सिंह के पास व्यवस्थाओं का बेहद अभाव था. उन्होंने पहले चुनाव में अपने मित्रों के साथ साइकिल पर बैठकर वोट मांगे, यहां तक की राम मनोहर लोहिया द्वारा दिए गए नारे एक नोट और एक वोट पर काम किया और लोगों ने उन्हें हाथों हाथ भी लिया और लोगों से प्राप्त चंदे से मुलायम ने चुनाव लड़ा. सैफई से पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा था इसलिए उनको महिलाओं का भी बड़ा समर्थन मिला और सैफई के लोगों ने अपना एक वक्त का खाना बचाकर मुलायम को चंदा दिया. इसी चंदे को मुलायम ने चुनाव में खर्च किया और एक एंबेसडर कार की खरीदी. 

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