मेरठ के जीवन के जुनून का कमाल, घर को बनाया म्यूजियम, आजादी से पहले के सिक्के और डाक टिकट का है खजाना
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मेरठ के जीवन के जुनून का कमाल, घर को बनाया म्यूजियम, आजादी से पहले के सिक्के और डाक टिकट का है खजाना

Meerut News: जीवन सिंह आयकर विभाग में 1983 में नियुक्त हुए. वर्ष 1991 से उन्होंने यह काम शुरू किया. उन्होंने दिल्ली, मेरठ, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों में जाकर प्रदर्शनी, मेलों और अन्य जगहों से ऐसी चीजों को इकट्ठा किया.

मेरठ के जीवन के जुनून का कमाल, घर को बनाया म्यूजियम, आजादी से पहले के सिक्के और डाक टिकट का है खजाना

मेरठ: उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के जीवन सिंह बिष्ट ने अपने घर को ही संग्रहालय का रूप दे दिया है. जीवन ने तीस वर्षों में तेरह हजार डाक टिकट और हजारों क्वाइन्स इकट्ठा कर लिया है. उसपर तीस वर्ष पहले ऐसा जुनून सवार हुआ जो 62 वर्ष की आयु में भी जारी है. इस शख्स को पुरानी चीजे इकट्ठी करने का शौक है. ये शौक कब जुनून में तब्दील हो गया वो खुद नहीं जानते, लेकिन उनके इस जुनून ने उन्हें रिकॉर्डधारी बना दिया है.

इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड से मिलेगा सर्टिफिकेट 
तीस साल से  दुलर्भ चीजें संजो रहे मेरठ के शताब्दीनगर में रहने वाले 62 वर्षीय जीवन सिंह बिष्ट ने अपने जुनून से घर को अनूठा संग्रहालय बना लिया है. उन्होंने पुराने से लेकर अब तक के 13000 डाक टिकट, एक से 100 पैसे तक के सिक्के, 310 तरह की ताश की गड्डियां, 825 फाउंटेन पेन जैसी सामग्रियों को जुटाया है. उनके पास एक से 250 रुपये और इससे भी महंगे पेन हैं. उन्होंने घर की दीवारों पर सिक्कों को चिपकाया है तो अन्य संकलित चीजों को भी संग्रहालय के रूप में सजाया है.

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जीवन सिंह आयकर विभाग से सेवानिवृत्त हैं. उनके मुताबिक इस घर में 1804 के दुर्लभ सिक्कों से लेकर भारत सरकार के कई वर्षों में छापे गए कलेंडरों के अलावा 100 वर्ष तक जीवित रहने वाले लोगों और क्रांतिकारियों के जीवन से जुड़े कई दस्तावेज भी मौजूद हैं. अब इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड की तरफ से उन्हें ई मेल मिला है कि उनका चयन बेमिसाल कार्य के लिए हो गया है. जीवन बताते हैं कि बीते दिनों जून में इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड की टीम उनके घर आई थी. कई महीनों की प्रक्रिया के बाद अब उनका चयन इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड के लिए हो गया है. बहुत जल्द उन्हें सर्टिफिकेट भी मिल जाएगा.

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नायाब किस्म की चीजों को जुटाने का है शौक
जीवन सिंह आयकर विभाग में 1983 में नियुक्त हुए.  वर्ष 1991 से उन्होंने यह काम शुरू किया. उन्होंने दिल्ली, मेरठ, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों में जाकर प्रदर्शनी, मेलों और अन्य जगहों से ऐसी चीजों को इकट्ठा किया. वह लगातार 30 वर्ष से नायाब किस्म की चीजों को जुटाने का प्रयास कर रहे हैं. उनका दावा है कि उनके पास 13 हजार अलग-अलग तरह के डाक टिकट हैं. वहीं, 1940 के बाद के ज्यादातर सभी डाक टिकट उपलब्ध हैं. सरकारी कामकाज में प्रयोग होने वाले टिकटों को तो अलग दीवार पर सजाया है. रसीदी टिकट, पोस्ट कार्ड और अलग-अलग लिफाफों का भी संग्रह है.

आजादी से पहले से अभी तक के सिक्के हैं उपलब्ध
उन्होंने  10 इंच की सबसे बड़ी सीपी भी संग्रहित की है. एक मिमी से 10 इंच तक की डेढ़ लाख सीपी उपलब्ध हैं.1938 से अब तक के नोटों का भी संग्रह उन्होंने कर रखा है. जीवन सिंह ने वर्ष 1938 से अब तक पांच और 10 रुपये वाले नोटों का संग्रह किया है. वर्ष 2016 तक छापे गए हर नोट भी यहां मौजूद है. मुस्लिम 786 वाले अंक को शुभ मानते हैं.इन अंकों वाले नोटों का भी संग्रह उन्होंने कर रखा है. वहीं, वर्ष 1804 में राजा-महाराजा वाले चांदी, तांबा, कांसा, पीतल के सिक्कों का भी संग्रह किया गया है. जीवन ने अपने घर में विलुप्त हो रही गोरैया का भी बसेरा बना रखा है. जीवन सिंह का कहना है कि उन्हें सरकार से कोई मदद नहीं चाहिए बस प्रोत्साहन चाहिए. वाकई में जो भी उनके संग्रहालय जैसे घर को देखता है वो वाह कहे बिना नहीं रह सकता.

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