Navratri 2022:महाराजगंज के जंगल में बसा है मां लेहड़ा देवी का मंदिर, किन्नर नृत्य से होती है मनोकामना पूरी
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Navratri 2022:महाराजगंज के जंगल में बसा है मां लेहड़ा देवी का मंदिर, किन्नर नृत्य से होती है मनोकामना पूरी

Navratri 2022: शारदीय नवरात्र में चारों ओर जगमग हो चला है मां का दरबार भक्तों की हर मुराद पूरी करने वाली मां लेहड़ा देवी के मंदिर में हर रोज हजारों भक्तों का मेला लगा रहता हैं . भारत नेपाल सीमा से सटे होने के कारण यहां नवरात्र पर्व में भारी संख्या में नेपाल के भी श्रद्धालु यहां मां का दर्शन करने आते है . 

Navratri 2022:महाराजगंज के जंगल में बसा है मां लेहड़ा देवी का मंदिर, किन्नर नृत्य से होती है मनोकामना पूरी

अमित त्रिपाठी/महाराजगंज: शारदीय नवरात्र की धूम आज हर तरफ है. मां दुर्गा के मंदिरों में भक्तों का हुजूम उमड़ा हुआ है. मंदिर चाहे जहां का भी हो सब का एक अलग ही महत्व होता है .महाराजगंज जिले के फरेंदा में स्थित मां लेहड़ा देवी के मंदिर में जो भी कोई सच्चे दिल से मन्नत मांगता है उसकी हर मुरादे पूरी होती है .

 शक्तिपीठ के रूप में श्रद्धालुओं के लिए आद्रवन लेहड़ा देवी मंदिर आस्था का केंद्र है. मां के दरबार में श्रद्धालु दूर-दूर से पहुंचते हैं. वैसे तो यहां पूरे साल ही भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन नवरात्र के दिनों में श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ता है.मां के प्रति एक नाविक के कुचक्र और पांडव काल की कहानियों से जुड़े इस मंदिर में हर साल लाखों लोगों की भीड़ होती है.

भक्त जंगल के बीच लगाते हैं अपनी अरदास
फरेंदा में स्थित मां लेहड़ा देवी के मंदिर में भक्त अपनी अरदास लगाते हैं. ये मंदिर जंगल में बना हुआ है. ऐसा कहा जाता है कि जो भी भक्त सच्चे दिल से मन्नत मांगता है तो उसकी मुराद पूरी होती है. मां के दरबार में भारत के अनेक राज्यों के साथ-साथ नेपाल से भी काफी संख्या में मां के भक्त आते हैं और जंगल के बीच में स्थित दरबार में अपनी अरदास लगाते हैं

क्या है लेहड़ा मां का मंदिर की कहानी
लेहड़ा माता का भव्य मंदिर के बारे में कहा जाता है कि कई हजार साल पहले यहां पर एक नदी बहती थी, जहां एक दिन माता एक किशोरी का रूप रखकर गईं और नाविक से नदी पार कराने को कहा. मां की सुंदरता पर आसक्त हो नाविक ने उनसे छेड़खानी करनी चाही तो उस पर कुपित होकर मां ने नाविक और नाव के साथ उसी पल जल समाधि ले ली. आज भी वह नदी बहती है.

जो भी अपने आंचल में हिजड़ों से नृत्य कराता है उसकी होती है हर मुरादे पूरी 
ऐसा कहा जाता है कि महाभारत काल में यहीं पर अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने मां की आराधना की थी. द्रौपदी के आंचल फैलाकर आशीर्वाद मांगने पर मां ने पांडवों को विजय श्री का आशीर्वाद दिया था.इस मंदिर में एक प्रथा है कि जो भी अपने आंचल में हिजड़ों से नृत्य करवाता है. उसकी हर मुराद पूरी होती है. जिसके चलते यहां पर हर समय नृत्य का आयोजन होता रहता है. यहां पर शादी  विवाह मुंडन,जनेऊ के कार्यक्रम भी होते रहते हैं.

नेपाल से भी आते है नवरात्र में श्रद्धालु
शारदीय नवरात्र में चारों ओर जगमग हो चला है मां का दरबार भक्तों की हर मुराद पूरी करने वाली मां लेहड़ा देवी के मंदिर में हर रोज हजारों भक्तों का मेला लगा रहता हैं . भारत नेपाल सीमा से सटे होने के कारण यहां नवरात्र पर्व में भारी संख्या में नेपाल के भी श्रद्धालु यहां मां का दर्शन करने आते है . ऐसी मान्यता है कि अपने दुखों को लेकर मां के दरबार मे आते है और यहां से जाते हैं मुरादी पूरी करके.भारत नेपाल सीमा पर स्थित इस मंदिर पर जिस तरह भक्तों का हुजूम रहा है उसे देखकर तो यही कहा जा सकता है कि मां के दरबार में हाजिरी लगाने से सारे पाप कट जाते हैं वही भक्तों की मुराद भी पूरी करने का काम करती है मां लेहड़ा देवी.

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