Etah News: एटा में 15 साल पहले हिंदुस्तान छोड़ कनाडा गए शख्स की परदेस में ही मौत हो गई. अब अपने पुत्र के शव को भारत लाने के लिए एक मजबूर पिता अधिकारियों के चौखट पर नाक रगड़ने को मजबूर है. ताकि वह अपने बेटे को आखरी बार देख सके और अंतिम संस्कार कर सकें.
Trending Photos
एटा: क्या हो जब एक बाप को बेटे की मौत की खबर मिले, फिर भी वो अभागा पिता अपने बेटे के शव के लिए दर-ब-दर की ठोकरें खा रहा हो. ऐसा ही मामला यूपी के एटा में सामने आया है. जहां कनाडा में बेटे की मौत के बाद एक बेबस पिता अधिकारियों के कार्यालयों के चक्कर काटने को मजबूर है. आइए आपको बताते हैं पूरा मामला.
15 साल पहले वतन छोड़ गया था बेटा
आपको बता दें कि एटा में 15 साल पहले हिंदुस्तान छोड़ कनाडा गए शख्स की परदेस में ही मौत हो गई. अब अपने पुत्र के शव को भारत लाने के लिए एक मजबूर पिता अधिकारियों के चौखट पर नाक रगड़ने को मजबूर है. ताकि वह अपने बेटे को आखरी बार देख सके और अंतिम संस्कार कर सकें. जानकारी के मुताबिक यह बेबस पिता तकरीबन 8 दिन से सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगा रहा है.
दर-दर की ठोकरें खा रहा ये बेबस पिता
आपको बता दें कि मजबूर पिता को अब तक अधिकारियों ने ठीक से रिस्पॉन्स तक नहीं किया है, जबकि बेबस पिता सुभाष चंद्र पांडे का कहना है कि अगर अधिकारी उसकी बात सनन लें तो उसके बेटे का शव जल्द ही उन लोगों को मिल जाएगा. बाप के दिल में बेटे के शव के लिए यह तड़प देख किसी की भी आंखों में आंसू आ जाए. वहीं, जिले के आला अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने सुभाष चंद्र पांडे के प्रार्थना पत्र पर संस्तुति कर विदेश मंत्रालय को भेज दिया है. जल्दी उनके पुत्र का शव भारत आ जाएगा.
ये बेबस पिता रह चुके हैं आर्मी के फौजी
आपको बता दें कि तहसील अलीगंज के बरना गांव निवासी सुभाष चंद्र पांडेय आर्मी से सेवानिवृत्त हैं. उनके बड़े पुत्र तरुण 15 साल पहले कनाडा में बस गए थे. जानकारी मिली कि 23 अगस्त को उसकी कनाडा में मौत हो गई. इसकी सूचना जब सुभाष पांडे और परिजनों को हुई तो परिवार में मातम पसर गया. जानकारी के मुताबिक कुछ दिन पहले विक्टोरिया हॉस्पिटल लंदन कनाडा में तरुण को भर्ती कराया गया था. जहां इलाज के दौरान उसकी 23 अगस्त को मौत हो गई.
क्या इस पिता को मिल पाएगा बेटे का शव?
बुढ़ापे में बेटे की मौत की खबर सुन पिता का भी कलेज फटा, फिर भी वह अपने बेटे को वतन की मिट्टी नसीब कराना चाहते हैं. इसलिए मदद के लिए संभावित सभी दरवाजों पर दस्तक दे रहे हैं, लेकिन अधिकारियों की तरफ से उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है. इसके अलावा इस मामले में अभी तक न कोई भी ठोस कार्रवाई हुई है, न कमिटमेंट किया गया है. वहीं, अधिकारी पिता की अर्जी को दोबारा विदेश मंत्रालय को भेजने के बात भी कह रहे हैं. फिलहाल, यह देखना होगा कि एक बेबस पिता को उसके बेटे के अंतिम संस्कार का हक कब तक मिल पाएगा.
WATCH LIVE TV