कुशीनगर : 2 साल पहले प्रेम विवाह करने वाली नाजमा अब दर-दर ठोकर खाने का मजबूर, पति ने दिया तीन तलाक
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कुशीनगर : 2 साल पहले प्रेम विवाह करने वाली नाजमा अब दर-दर ठोकर खाने का मजबूर, पति ने दिया तीन तलाक

कुशीनगर जिले के नेबुआ नौरंगिया थाना क्षेत्र के चितहा गांव की घटना. न्‍याय के लिए पुलिस से लेकर अधिकारियों का लगा रही चक्‍कर. 

कुशीनगर : 2 साल पहले प्रेम विवाह करने वाली नाजमा अब दर-दर ठोकर खाने का मजबूर, पति ने दिया तीन तलाक

प्रमोद कुमार/कुशीनगर : तीन तलाक के खिलाफ मोदी सरकार द्वारा लाए गए कानून को तीन साल से ऊपर हो गए हैं, लेकिन आए दिन इस तरह के मामले प्रकाश में आते रहे हैं. ताजा मामला कुशीनगर में सामने आया है. यहां दहेज की मांग पूरी न हो पाने पर पति ने फोन पर तीन तलाक दे दिया. पीड़ित महिला तीन तलाक दिए जाने के बाद 4 दिन से न्याय की उम्‍मीद में थाने से लेकर उच्‍च अधिकारियों के चक्‍कर लगा रही है. 

दहेज पूरी न होने पर दिया तीन तलाक 
यूपी के कुशीनगर जिले के नेबुआ नौरंगिया थाना क्षेत्र के चितहा गांव में तीन तलाक का मामला सामने आया है. यहां नाजमा नाम की एक महिला का दो वर्ष पहले प्रेम विवाह हुआ था. नाजमा के घर वालों का आरोप है कि शादी के बाद से ही ससुराल वाले दहेज की मांग करने लगे. आए दिन उसका पति भी ताने मारता था. इसको लेकर कई बार लड़ाई भी हो चुकी है. आरोप है कि बीते दिनों पति ने फोन किया. पति ने फोन पर तीन तलाक दे दिया. इतना ही नहीं नाजमा का पति तलाक देने के बाद से फरार हो गया है. 

न्‍याय नहीं मिलने पर अन्‍न का त्‍याग 
नाजमा के घर वालों का कहना है कि घटना को 4 दिन हो गए हैं. नाजमा संबंधित थाने से लेकर उच्‍च अधिकारियों के दफ्तर का चक्‍कर लगा रही है. लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है. इतना ही नहीं नाजमा न्‍याय की उम्‍मीद में सीओ खड्डा से भी मिली लेकिन कुछ भी कार्रवाई नहीं हो सकी. नाजमा के घर वालों का कहना है कि वह न्‍याय न मिलने की वजह से अन्‍न त्‍याग दी है. नाजमा का कहना है कि न्‍याय मिलने के बाद ही वह भोजन करेगी. 

80 फीसदी मामलों में कमी आई  
गौरतलब है कि भारत में तीन तलाक कानून लागू हुए लगभग 3 सालों से ऊपर हो चुका है. प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज एक्ट लागू होने के बाद भी तीन तलाक के मामले सामने आ रहे हैं. वहीं, सरकार दावे कर रही है कि तीन तलाक के 80 फीसदी मामलों में कमी आई है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, तीन तलाक कानून लागू होने से पहले यूपी में 63 हजार से ज्यादा मामले दर्ज किए गए थे, जो कानून लागू होने के बाद 221 रह गए. 

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