Karwa Chauth 2022: इस गांव की महिलाएं पति की सलामती के लिए नहीं मनातीं करवा चौथ, व्रत रखने पर उजड़ जाता है सुहाग!
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Karwa Chauth 2022: इस गांव की महिलाएं पति की सलामती के लिए नहीं मनातीं करवा चौथ, व्रत रखने पर उजड़ जाता है सुहाग!

Karwa Chauth 2022: आज करवा चौथ का व्रत है. इस व्रत का सुहागिनें बेसब्री से इंतजार करती हैं, लेकिन मथुरा का एक ऐसा गांव है जहां महिलाएं इस व्रत का नाम लेने से भी डरती हैं. 

 

Karwa Chauth 2022

Karwa Chauth 2022: आज करवा चौथ का व्रत है. हिंदी पंचांग के मुताबिक, हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ व्रत रखा जाता है. करवा चौथ पर सुहागिनें अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाल दामपत्य जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. लेकिन उत्तर प्रदेश में एक ऐसी जगह भी है जहां इसका ठीक उल्टा होता है. करवा चौथ का पर्व आते ही इस गांव में सन्नाटा पसर जाता है. यहां महिलाएं अपने पति की सलामति के लिए करवा चौथ का व्रत नहीं रखती हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं मथुरा जिले (Mathura) के कस्बा सुरीर (Surir) की. यहां महिलाएं करवा चौथ का व्रत नहीं रखती हैं. इस गांव की महिलाएं सुहाग के लिए व्रत रखने में डरती हैं कि कहीं कोई अनहोनी ना हो जाए. 

महिलाएं क्यों नहीं रखती हैं व्रत 
सुरीर में करवाचौथ न मनाने के पीछे एक कहानी है. स्थानीय लोगों के मुताबिक, करीब डेढ़ सौ साल पहले गांव रामनगला (नौहझील) का ब्राम्हण युवक अपनी पत्‍‌नी को ससुराल से विदा कराकर सुरीर के रास्ते भैंसा-बुग्गी से गांव लौट रहा था. तभी सुरीर में क्षत्रिय समाज के लोगों ने उन्हें रोक लिया. बुग्गी में लगा भैंसा अपना बताते हुए विवाद खड़ा कर दिया. इस विवाद में युवक की हत्या कर दी गई. उस दिन करवाचौथ था. अपने सामने पति की मौत से गुस्साई नव विवाहिता ने मोहल्ले के लोगों को श्राप दिया कि अगर यहां किसी सुहागिन ने करवा चौथ का व्रत रखा तो उसकी तरह ही विधवा हो जाएगी. इसके बाद वह सती हो गई. 

करवाचौथ पर शृंगार भी नहीं करती हैं सुहागिनें
इस घटना के बाद मोहल्ले में अनहोनी शुरू होने लगी. कई नव विवाहिताएं विधवा हो गईं. इसे देखकर बुजुर्गों ने इसे सती का श्राप मान लिया और गलती के लिए क्षमा मांगी. तब से ही यहां की कोई महिला करवा चौथ मनाना तो दूर, इस दिन पूरा शृंगार भी नहीं करती है. इसके अलावा यहां की सुहागिनें अहोई अष्टमी का व्रत भी नहीं रखती हैं. 

आज तक बना है गांव में डर का माहौल 
सुरीर में क्षत्रिय समाज की महिलाएं खासतौर पर व्रत नहीं रखती. यहां करीब 200 से ढाई सौ परिवार क्षत्रिय समाज के हैं. क्षत्रिय महिलाओं में आज तक भय का माहौल बना हुआ है. व्रत ना रखने की परंपरा काफी समय से चली आ रही है. कहा जाता है इस समाज की कई महिलाएं करवा चौथ मनाने का श्राप झेल चुकी हैं. व्रत रखने पर उनके सुहाग उजड़ गए. यही वजह है कि गांव में आज तक डर का माहौल बना हुआ है.

"परंपरा को तोड़ने कि हिम्मत किसी में नहीं" 
एक स्थानीय महिला ने बताया कि वह करवा चौथ के दिन व्रत नहीं रखतीं, बल्कि अपने परिवार की सलामती पर विश्वास रखती हैं. उन्होंने बताया कि करवा चौथ और अहोई अष्टमी न मनाने की इस परंपरा को तोड़ने की हिम्मत किसी में नहीं है. यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है. 

सुरीर और रामनगला में रोटी-बेटी के संबंध खत्म
रामनगला में रहने वाली महिला ने बताया कि सती वाली घटना के बाद आज भी किसी भी जाति या धर्म के लोगों के सुरीर गांव से रोटी-बेटी के संबंध खत्म होते चले जा रहे हैं. आज भी राम नगला की महिलाएं सुरीर में कहीं खाना तो दूर, पानी तक नहीं पीती हैं. 

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