फोन-लैपटॉप ज्यादा यूज करने वाले 80% लोग इस खतरनाक बीमारी का हो रहे शिकार! रिसर्च में खुलासा
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फोन-लैपटॉप ज्यादा यूज करने वाले 80% लोग इस खतरनाक बीमारी का हो रहे शिकार! रिसर्च में खुलासा

Neuralgia Disorder: डॉक्टर्स का कहना है कि लैपटॉप और कंप्यूटर के सामने ज्यादा देर तक बैठने से इस भयानक दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. डॉक्टर्स के क्लीनिक में ऐसे पेशंट्स की संख्या बढ़ गई है, जिनके हाथ, कोहनी और गर्दन की नसों में दर्द होने लगा है. 

फोन-लैपटॉप ज्यादा यूज करने वाले 80% लोग इस खतरनाक बीमारी का हो रहे शिकार! रिसर्च में खुलासा
Overuse of Phones causing Nuralgia: कानपुर के मेडिकल कॉलेज, GSVMMC की एक रिसर्च में बड़ा खुलासा हुआ है. बताया जा रहा है कि मोबाइल और लैपटॉप का ज्यादा इस्तेमाल करने वाले 'न्यूरॉलजिया' बीमारी के शिकार हो रहे हैं. मेडिकल कॉलेज के ऑर्थोपेडिक और एनेस्थीसिया विभाग की तरफ से यह स्टडी की गई है. इसमें रिसर्च के लिए 170 मरीजों को शामिल किया गया था. इनमें से 13 से 17 साल के किशोर और 22 से 49 साल के युवाओं ने वॉलंटियर किया. पता लगा है कि मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल करने वाले लोगों के कंधों और कोहनी में दर्द का ग्राफ बढ़ रहा है. 
 
ज्यादा फोन यूज करने से गर्दन पर आता है 5 किलो का भार
वहीं, लैपटॉप और कंप्यूटर पर बैठने वाले भी दर्द से पीड़ित हो रहे हैं. मोबाइल और लैपटॉप का अत्यधिक उपयोग करने के कारण सीधे बैठने पर गर्दन के ऊपर 5 किलो का वजन पड़ता है. यह वजन सिर के वजन के बराबर होता है. वहीं, जैसे-जैसे गर्दन को आगे की तरफ झुकाया जाता है, यह वजन भी बढ़ता जाता है. जीएसवीएम के सहायक हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रग्नेश कुमार का कहना है कि हड्डियों पर अप्राकृतिक दबाव होने की वजह से आसपास की मांसपेशियां थकान महसूस करती हैं. इससे गर्दन के पीछे की तरफ उभार होने लगता है.
 
ज्यादातर गर्दन के दर्द से परेशान हैं लोग
वहीं, लोग सिर दर्द, कंधे के दर्द या सर्वाइकल जैसी बीमारियों से पीड़ित हो जाते हैं. एनेस्थीसिया एंड हेड पेन फ्री के प्रोफेसर डॉ. चंद्रशेखर का कहना है कि न्यूरॉलजिया के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. फिलहाल, पेन क्लीनिक में ऐसे पेशेंट बढ़ते जा रहे हैं, जिनकी अधिकांश की समस्या गर्दन की होती है. 
 
लगातार डॉक्टरों के पास आ रहे हैं ऐसे पेशंट्स
गौरतलब है कि कोरोना काल के दौरान मोबाइल और लैपटॉप पर काम का प्रयोग लगभग 10 गुना बढ़ गया है. वर्क फ्रॉम होम का कल्चर बढ़ने की वजह से मोबाइल और लैपटॉप पर काम करने वालों की संख्या बढ़ी है. इसके चलते ज्यादा लोग न्यूरॉलजिया के शिकार हो रहे हैं. बड़ी संख्या में ऐसी दिक्कतों को लेकर लोग डॉक्टरों के पास पहुंच रहे हैं, जिसके बाद जीएसवीएम में इस तरह की रिसर्च शुरू की गई.
 
घातक है ऐसे काम करना
इस रिसर्च के चौकाने वाले परिणाम सामने आए हैं. रिपोर्ट से स्पष्ट है कि लगातार मोबाइल और लैपटॉप पर काम करना लोगों के लिए घातक साबित हो रहा है.

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