यूपी पुलिस लिखित परीक्षा पास कर चुके अभ्यर्थियों के लिए शारीरिक दक्ष होना सबसे अहम और जरूरी होता है. फिजिकल टेस्ट पास होने के बाद ही अंतिम चयन तक पहुंच सकते हैं.
ध्यान रहे कि अंतिम चयन के बाद भी कठिन फिजिकल ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है. यह ट्रेनिंग उनके अंदर ताकत, स्टैमिना और थकावट में भी मजबूती लाने का काम करती है. इसका लाभ उन्हें ड्यूटी में तैनाती के दौरान भी दिखती है.
यूपी पुलिस परीक्षा में चयनित हुए प्रशिक्षुओं को क्लासरूम इंस्ट्रक्शन के तौर पर विभिन्न विषयों की जानकारी दी जाती है. इनमें कानून व्यवस्था, मानवाधिकार, क्रिमिनल लॉ, फॉरेंसिक साइंस और जांच से जुड़ी तकनीक शामिल है.
इन सभी इंस्ट्रक्शंस का इस्तेमाल ड्यूटी के दौरान करते हैं और बेहतर पुलिसिंग कर समाज को सुरक्षित रखने का काम करते हैं.
प्रशिक्षुओं को विभिन्न तरह की स्थितियों और परिस्थितियों के संबंध में फील्ड ट्रेनिंग दी जाती है. इसमें भीड़ नियंत्रण, आपदा प्रबंधन और उत्तेजित या हथियारों से लैस हमलावरों से निपटने के गुर शामिल हैं. ट्रेनिंग के दौरान उन्हें मानसिक रूप से फिट होने का भी प्रशिक्षण दिया जाता है.
पुलिस ट्रेनिंग में हथियारों का प्रशिक्षण एक अहम कड़ी और पड़ाव होता है. सभी रिक्रूटों को सभी तरह के फायर आर्म्स या असलहों को संभालने और चलने की ट्रेनिंग दी जाती है.
इनमें एक सामान्य रिवाल्वर से लेकर एके-47, लाइट मशीन गन जैसे हथियार शामिल है. इसके अलावा उन्हें ग्रेनेड व आंसू गैस के गोले दागने वाली गन का भी प्रशिक्षण दिया जाता है.
यूपी पुलिस भर्ती में चयनित अभ्यर्थियों को प्रशिक्षण के दौरान मॉक ड्रिल की भी ट्रेनिंग दी जाती है. इसमें बैंक लूट या आतंकी हमले जैसी स्थितियों में उनके द्वारा की जाने वाली प्रतिक्रियाओं और गतिविधियों को नोट कर उनके प्रशिक्षण को बेहतर बनाते हुए उनकी कमियों को दूर कर बेहतर पुलिसकर्मी के तौर पर तैयार किया जाता है.
यूपी पुलिस में अंतिम चयन के बाद 6 महीने की ट्रेनिंग दी जाती है. यह ट्रेनिंग मुरादाबाद, सीतापुर में कराई जाती है. वहीं, फायर सर्विस की ट्रेनिंग उन्नाव में दी जाती है.
ट्रेनिंग के दौरान उन्हें रस्सा, बीम खिंचवाते, बैक फ्लिप, पुशअप, कड़ी फिजिकल ट्रेनिंग करवाई जाती है. ट्रेनिंग के दौरान परीक्षाएं भी होती हैं. इस दौरान अगर गड़बड़ी हुई तो दोबारा ट्रेनिंग करनी पड़ती है.
लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि स्वयं करें. एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.