मुस्लिमों के सबसे बड़े संगठन जमीयत उलेमा ए हिंद के महाधिवेशन में शनिवार को इस्लामोफोबिया से लेकर मदरसों को लेकर प्रस्ताव पास किए गए. आइए जानते हैं क्या है प्रस्ताव में अहम बातें.
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लखनऊ : पिछले साल यूपी में मदरसों के सर्वे को लेकर काफी सियासत देखने को मिली थी. कुछ मुस्लिम संगठनों ने इस पर नाराजगी भी जताई थी. हालांकि सरकार ने इसके पीछे मदरसों को आधुनिक और सुविधाओं से लैस करने का तर्क दिया था. सर्वे के दौरान प्रदेश में कई मदरसे बिना मान्यता प्राप्त चलते हुए पाए गए वहीं बड़ी संख्या ऐसे मदरसों की थी जो तय नियमों का पालन नहीं कर रहे थे. शनिवार को जमीयत उलेमा ए हिंद के महा अधिवेशन में इस्लामोफोबिया पर रोक लगाए जाने, पिछड़े मुसलमानों के आरक्षण, समान नागरिक संहिता का विरोध के साथ ही इस्लामिक मदरसों की स्वायत्तता पर प्रस्ताव पारित किया गया. मदरसों पर केंद्रित इस प्रस्ताव में पांच अहम बातें कही गई हैं.
1.मदरसों की वास्तविक भूमिका और उपयोगिता के बारे में देश और जनता को सूचित करने और उनकी बिगाड़ी गई छवि को ठीक करने के लिए मीडिया और सभी सूचना संसाधनों का भरपूर उपयोग किया जाए.
2. सरकार और उसकी विभिन्न एजेंसियों को भरोसे में लेकर पूरी पारदर्शिता के साथ आतंकवाद, देश विरोधी गतिविधियों और कट्टरपंथी तत्वों के प्रभाव से अपने छात्रों और अपने संस्थानों को सुरक्षित रखने के लिए हर संभव उपाय किए जाएं.
3. मदरसों के प्रबंधन और रखरखाव एवं उनका लेखा-जोखा रखने में देश के सभी कानूनों का पालन अति आवश्यक है. विशेष रूप से बच्चों के अधिकारों की छूट संरक्षण और नैतिक प्रशिक्षण आदि के संबंध में सभी कानूनों का पूरी सतर्कता का पालन करने को सुनिश्चित किया जाए. छात्रावासों से संबंधित देश के कानूनों के अनुसार छात्रों के रहन-सहन की उचित व्यवस्था करना मदरसों के जिम्मेदारों का मुख्य कर्तव्य है.
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4. छात्रों को मौजूदा जरुरत के मुताबिक आधुनिक शिक्षा प्रदान करना भी अत्यंत आवश्यक है. जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने मदरसों की व्यवस्था में छेड़छाड़ किए बिना एनआईओएस के माध्यम से उच्च माध्यमिक स्तर तक की शिक्षा का जो प्रबंध किया है. इसके अच्छे परिणाम मिल रहे हैं. सभी मदरसों को आगे बढ़कर इसे अपनाने या किसी अन्य विकल्प का पालन करने के लिए तत्काल गंभीर प्रयास करने चाहिए.
5. मदरसों की व्यवस्था में हमें सरकारी दखल बिल्कुल स्वीकार नहीं है, उनकी स्वतंत्रता और स्वायत्तता संविधान में प्रदत्त हमारा मौलिक अधिकार है और हम इस पर कोई समझौता करने को तैयार नहीं है लेकिन इसी के साथ छात्रों की सुरक्षा और उनकी शिक्षा एवं प्रशिक्षण के संबंध में किए जाने वाले हर उपाय के लिए हम तैयार हैं.
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