8 Avtars of Ganpati: श्रीगणेश को हम कई नाम से जानते हैं. लंबोदर, दुखहर्ता, सुखकर्ता, विघ्नहर्ता, आदि... आज बात करते हैं कि गणेश जी के उन आठ अवतारों के बारे में, जिन्होंने हमारे विघ्न हरने के लिए कई असुरों का वध किया था. गणेश जी के कई अवतार ऐसे हैं, जिनका वाहन मूषक नहीं था. जानें यहां-
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Ganpati 8 Avtars: देशभर में आज गणपति बप्पा की धूम है. हर घर, हर मंदिर में आज गणेश जी की स्थापना हुई और घर में मानो एक मेहमान आ गया, जिसने घर को जगमग कर दिया. चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक गणेश जी हमारे घर पर रहेंगे और सभी दुखों को दूर कर देंगे. माना जाता है कि आज के दिन दुखहर्ता के 108 नामों का जाप करने से हर मनोकामना पूरी होती है. आज बात करते हैं उनके 8 प्रमुख अवतार हैं और हर अवतार एक विशेष महत्व रखता है.
दरअसल, शास्त्रों के अनुसार, श्रीगणेश ने 8 प्रमुख अवतार लिए हैं. सभी अवतारों के अपने अलग-अलग महत्व हैं. जानते हैं इन नामों के बारे में...
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एकदंत: गणपति को एकदंत भी कहा जाता है, क्योंकि उनका एक दांत परशुराम जी से युद्ध में टूट गया था. हालांकि, यह भी कहा जाता है कि उन्होंने एकदंत अवतार इसलिए लिया था, ताकि मदासुर का वध कर सकें. उनके साथ उनका वाहन मूषक भी था.
वक्रतुंड: वक्रतुंड का अर्थ है, जिसकी सूंड टेढ़ी हो. श्रीगणेश ने मत्सरासुर नाम के राक्षस को मारने के लिए वक्रतुंड का अवतार लिया था. इस अवतार में श्रीगणेश का वाहन सिंह है.
विकट: गणपति को विकट इसलिए कहते हैं, क्योंकि वह विकट परिस्थिति में भी सफल होने की प्रेरणा देते हैं. उन्होंने विकट अवतार भी लिया था, ताकि कामासुर को परास्त कर सकें. विकट अवतार का वाहन मोर है.
लंबोदर: लंबोदर यानी बड़े पेट वाला. बताया जाता है कि गणेश दी ने अजेय क्रोधासुर को हराने के लिए लंबोदर का अवतार लिया था.
महोदर: मोहासुर का संघार करने के लिए गणपति ने महोदार का अवतार लिया था. इस दौरान भी उन्होंने अपने मूषक पर धारण किया था. इसमें भी उनका वाहन मूषक था.
विघ्नराज: कथाओं के अनुसार, श्रीगणेश ने देवताओं पर आई बाधाओं को दूर करने के लिए विघ्नराज का अवतार लिया था. इस अवतार में उन्होंने ममतासुर को हराया था.
गजानन: गणपति जी का नाम गजानन भी पड़ा, क्योंकि उनका मुख गज का है. कहा जाता है कि उन्होंने यह अवतार लोगों को लोभासुर के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए लिया था. इस अवतार में भी उनका वाहन मूषक ही रहा.
धूम्रवर्ण: गणेश जी का धूम्रवर्ण अवतार, जिसमें उनका अवतार मूषक रहा है, इस अवतार में उनका वाहन था. बताया जाता है कि उन्होंने अहंतासुर का वध करने के लिए धूम्रवर्ण का अवतार ग्रहण किया था. इस अवतार में गणेश जी का रंग धुंए के समान था, इसलिए यह नाम पड़ा.
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