Subsidy Scam : यूपी में खाद्य प्रसंस्करण विभाग में किसानों को बीज पर सीधे सब्सिडी देने की डीबीटी योजना में भ्रष्टाचार का आरोप
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किसानों को बीज खरीद पर सब्सिडी देने में करोड़ों के घोटाले का खुलासा हुआ है. किसानों को बीज खरीद पर सीधे सब्सिडी देने की बजाय मनचाही कंपनी को मनचाहे रेट के आधार पर बीज खरीद का ठेका दिया गया. उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग में 2015 से 2020 के बीच हुए इस भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ हुआ है.ज़ी यूपी उत्तराखंड के पास इस गड़बड़झाले से जुड़े एक्सक्लूसिव दस्तावेज़ भी हैं.
जानकारी के अनुसार,घोटालेबाज़ों ने बाकायदा शासनादेश को दरकिनार करते हुए किसानों को सीधे देने वाली DBT स्कीम छह सालों तक बंद रखी. आरोप है कि इसके जरिये 45 जिलों में एकीकृत बागवानी विकास मिशन और 30 जिलों में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में घोटाला किया गया. डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम में किसानों को आज़ादी थी कि वो बीज किस संस्था से लेंगे. किसानों को इसके तहत 20 हज़ार रुपये प्रति हेक्टेयर मिलते थे. लेकिन लेकिन ये योजना विभाग के अधिकारियों की वजह से भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई.
आरोप है कि विभाग इसकी बजाय मनमाने दर से क्रय करके किसानों को क्रास सब्सिडी देने लगा. इसके जरिये दो साल के 330 करोड़ की योजना के बजट में बंदरबांट किया गया. घोटाले की जानकारी मिलते ही विभाग के महासंघ के महामंत्री की तरफ से चिट्ठी लिखी गई. मुख्यमंत्री को भ्रष्टाचार के इस मामले में कार्रवाई करने को लेकर चिट्ठी लिखी गई है.
आरोप है कि नियमों को ताक पर रखकर बिना निविदा ही नाफेड संस्था को काम दे दिया गया. विभाग की तरफ से जिस दिन योजना को लेकर जानकारी की सूचना दी गई, उसी दिन मनचाही संस्था ने मनचाहा रेट भी भेज दिया. दूसरी संस्थायों के बीज के रेट कम होने पर भी नैफेड को ठेका दिया गया. इसमें भी नैफेड में पंजीकृत कृषि बेस्ट को ये काम दिया गया. जिलों के अधिकारियों को भी एक ही कंपनी कृषि बेस्ट का रेट भेजा गया.
यूपी सरकार के मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने कहा कि डीबीटी के माध्यम से पहले जो संचालित योजनाएं थीं,अब फिर से उन्हीं के जरिये किसानों को सीधा पैसा भेजा जा रहा है. इसमें किसी कंपनी को बिचौलिये की तरह काम करने की इजाजत नहीं दी जाएगी. पहले किसी गड़बड़झाले को लेकर शिकायत आई तो उसकी जांच कराई जाएगी.