प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ समय पहले उत्तराखंड के टीचर प्रदीप नेगी की तारीफ कर उनसे मिलने की इच्छा जाहिर की थी. प्रदीप नेगी पढ़ाने के लिए डिजिटल संसाधनों का जिस तरह उपयोग करते हैं उससे पीएम प्रभावित हैं. रविवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने प्रदीप नेगी ने उत्तराखंड में एक कार्यक्रम के दौरान प्रदीप नेगी से मिलकर उन्हें शिक्षकों के लिए रोल मॉडल बताया.
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अरविंद मिश्रा/देहरादून: रविवार को केंद्रीय शिक्षा, कौशल एवं उद्यमिता विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान उत्तराखंड के दौरे पर थे. यहां उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया. इस बीच धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) ने हरिद्वार के राजकीय इंटर कॉलेज भेल में तैनात दिव्यांग शिक्षक प्रदीप नेगी से मुलाकात की. प्रधान ने सोशल मीडिया लिखी एक पोस्ट में कहा कि "शिक्षा में नवाचार पढ़ाई को रुचिकर एवं शिक्षा के वातावरण को आनंददायी बनाने में बड़ी भूमिका निभाता है. प्रदीप नेगी जैसे सभी शिक्षकों के प्रयासों को नमन जो विद्यार्थियों को दक्ष बनाने के साथ शिक्षा को सभी के लिए सुलभ और जॉयफुल बनाने के लिए प्रयासरत हैं." शिक्षा मंत्री प्रधान ने नेगी को सम्मानित करते हुए उनकी जमकर तारीफ की. दरअसल प्रदीप नेगी द्वारा अभावग्रस्त इलाकों तक ऑनलाइन साधन से शिक्षा की अलख जगा रहे हैं. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) भी प्रदीप नेगी के कार्यों की सराहना कर चुके हैं. उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिल चुका है.
पोलियो की चुनौती को परास्त किया
राजकीय इंटर कॉलेज भेल में पदस्थ टीचर प्रदीप नेगी पौड़ी गढ़वाल के एकेश्वर ब्लॉक के भंडारी गांव से हैं. सिर्फ दो साल की उम्र में उन्हें पोलियो ने गिरफ्त में ले लिया. लेकिन उन्होंने प्रदीप ने दिव्यांगता को कभी चुनौती नहीं बनने दिया. अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए वह नए रास्ते तलाशते रहे.
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डिजिटल माध्यमों के महारथी
प्रदीप नेगी डिजिटल संसाधनों से शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए जाने जाते हैं. ऑनलाइन क्लासेस, ई-कंटेंट बनाने, ऑनलाइन क्विज तैयार करने, वर्चुअल कांफ्रेंस और टूर प्रोग्राम के जरिए वह बच्चों को पढ़ाते हैं. अपनी क्लास में वह ब्लॉग व मोबाइल एप, वेबसाइट, यूट्यूब चैनल जैसे नवाचार का भी खूब उपयोग करते हैं. खास बात यह है कि प्रदीप नेगी बच्चों के साथ ही साथी शिक्षकों को भी ऑनलाइन एजुकेशन स्कील देते हैं. कोरोनाकाल में लॉकडाउन के दौरान आधा दर्जन स्कूलों के बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाकर वह चर्चा में आए थे.