कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु 4 माह के निद्रा से जागते हैं. धर्म शास्त्रों में इस दिन को देवउठनी एकादशी कहा गया है. भक्त इस दिन भगवान विष्णु के व्रत रखते हैं.
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Dev Uthani Ekadashi 2022: आज देवउठनी एकादशी है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु 4 माह के निद्रा से जागते हैं. भक्त इस दिन भगवान विष्णु के व्रत रखते हैं. इस दिन को देवोत्थान एकादशी, देव प्रभोदिनी एकादशी जैसे अनेक नामों से जाना जाता है. मान्यता अनुसार भगवान विष्णु की पूजा-अराधना करने से होती है मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दिन से सभी मांगलिक कार्य, जैसे विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश क्रिया, उपनयन संस्कार फिर शुरू हो जाते हैं. इस दिन तुलसी विवाह भी किया जाता है.
देवउठनी एकादशी पर होता है तुलसी विवाह
इस दिन तुलसी विवाह का भी आयोजन किया जाता है. तुलसी के पौधे और शालिग्राम की शादी बहुत ही धूमधाम से की जाती है. भगवान विष्णु को तुलसी जी अति प्रिय है. ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस दिन तुलसी विवाह करने से कन्यादान जैसे पुण्य की प्राप्ति होती है.
विष्णु जी को कैसे जगाएं ?
देवउठनी एकादशी के दिन श्रीहरि की रात में शुभ मुहूर्त में पूजा की जाती है. इसके बाद आंगन में चूना और गेरू से रंगोलियां और कई आकृति बनाई जाती हैं. जिस पर गन्ने का मंडप बनाया जाता है. यहां पर भगवान विष्णु के शालीग्राम स्वरूप की पूजा की जाती है. शालीग्राम को नए कपड़े और जनेऊ अर्पित किया जाता है, ये सब करने के बाद उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये, त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत् सुप्तं भवेदिदम्॥ इस मंत्र तेज स्वर में उच्चारण करते हुए श्रीहरि को जगाया जाता है. इस दिन 11 दीपक देवी-देवताओं के निमित्त जलाएं जाते हैं.
देवउठनी एकादशी पूजा की विधि
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद स्वच्छ कपड़े पहनने के बाद भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए.घर की अच्छे से सफाई करें और आंगन में भगवान विष्णु के पैरों की आकृति बनाएं. रात के समय विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए और मीठे का भोग लगाना चाहिए. घर के अंदर बाहर दीपक जलाने चाहिए. पूजा के समय भगवान विष्णु समेत सभी देवी दावताओं का पूजन करना चाहिए. इसके बाद शंख और घंटियां बजाकर भगावन विष्णु को उठाना चाहिए.
पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार मां लक्ष्मी से भगवान विष्णु से पूछा कि हे स्वामी आप दिन-रात जागते हैं और सोते हैं, तो कई वर्षों तक सोते रहते हैं. इसलिए आप हर वर्ष एक निश्चित अवधि में विश्राम किया करिए. लक्ष्मी की बात सुनकर भगवान विष्णु बोले कि हे देवी तुम सही कह रही है.अब मैं हर वर्ष चार माह शयन करूंगा. इस दौरान, जो भी भक्त मेरी पूजा करेंगे उनका उत्थान होगा. इसलिए इसे देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है. इस कथा के अनुसार, आषाढ़ शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) के दिन भगवान विष्णु चार महीनों के लिए सोते हैं और कार्तिक मास की देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) के दिन जागते हैं. देव उठनी एकादशी के बाद सभी शुभ कार्यों की शुरुआत होती है. हिंदू धर्म में इसी दिन के बाद शादियां शुरू हो जाती हैं.
Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.