Chhatrapati Shivaji Jayanti: आज आगरा किले में होने वाले कार्यक्रम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ भी शामिल होंगे.
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Chhatrapati Shivaji Jayanti: यूपी समेत पूरे देश में आज यानी 19 फरवरी को छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती मनाई जा रही है. हम सबने एक कहावत जरूर सुनी होगी कि इतिहास एक बार फिर खुद को दोहराता है. आगरा के जिस किले में औरंगजेब ने शिवाजी महाराज को बंदी बनाया था, अब वहीं पर छत्रपति शिवाजी की शौर्यगाथा गूंजेगी. इसके पीछे का कारण शिवाजी की वीरता और नेतृत्व क्षमता है. तो आइये जानते हैं आगरा के किले में शिवाजी को बंदी बनाने का इतिहास. आज आगरा किले में होने वाले कार्यक्रम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ भी शामिल होंगे.
औरंगजेब ने जान से मारने की कोशिश की थी
दरअसल, आगरा के किले का मुगल और मराठा राजाओं के इतिहास में एक विशेष महत्व है. यहां लंबे समय तक दोनों में आपस में जंग होती रही. बात 1666 की है उस समय आगरा में औरंगजेब का शासन था. इसी समय शिवाजी महाराज अपने बेटे संभाजी के साथ आगरा किला पहुंचे. उचिस सम्मान नहीं मिलने पर शिवाजी ने विरोध किया तो औरंगजेब ने उन्हें बंदी बना लिया. कई दिनों बाद वह अपने अपने चातुर्य कौशल का इस्तेमाल करते बेटे के साथ औरंगजेब की गिरफ्त से बाहर निकल आए. शिवाजी के इस वीरता को मराठा इतिहास में बड़े गर्व के साथ याद किया जाता है.
शिवाजी के जीवन पर एक नजर
छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 1630 में महाराष्ट्र के शिवनेरी किले में हुआ था. उनके पिता का नाम शाहजी भोंसले और माता का नाम जीजाबाई था. शिवाजी एक योद्धा और मराठा राजा थे, जिन्होंने मुगलों के खिलाफ कई जंग लड़ी. उनकी वीरता, रणनीति और नेतृत्व के चलते ही उन्हें 'छत्रपति' की उपाधि मिली.
क्या है किले का इतिहास
जिस आगरे के किले में आज यह ऐतिहासिक कार्यक्रम होने जा रहा है, वह ताजमहल से ढाई किमी की दूरी पर है. लाल बलुआ पत्थर से बने इस किले का निर्माण वर्ष 1573 ईस्वी में मुगल बादशाह अकबर ने करवाया था. इस किले में पर्ल मस्जिद, दीवान-ए-खास, दीवान-ए-आम, मोती मस्जिद और जहांगीरी महल बने हुए हैं. यूनेस्को ने इस किले को वर्ल्ड हेरिटेज घोषित कर रखा है.
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