Holi 2023 : यूपी की ऐसी जगह जहां होली पर हुड़दंग, गाली-गलौज के बाद बख्‍शीश में मिलती थी 2 बीघे जमीन
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand1595216

Holi 2023 : यूपी की ऐसी जगह जहां होली पर हुड़दंग, गाली-गलौज के बाद बख्‍शीश में मिलती थी 2 बीघे जमीन

Unique Holi of Banda : पहले दिन होलिका दहन होते ही हुड़दंग शुरू हो जाता था. इस दिन गांव के लंबरदार (काश्तकार) मरे मवेशियों की हड्डी, मल मूत्र और गंदा पानी लेकर चोरी से अपने यहां (चौहाई) मजदूरी करने वाले मजदूर के घर में फेक आते थे. 

Holi 2023 : यूपी की ऐसी जगह जहां होली पर हुड़दंग, गाली-गलौज के बाद बख्‍शीश में मिलती थी 2 बीघे जमीन

Unique Holi of Banda : होली रंगों का त्‍योहार है. जगह-जगह होली का खुमार भी चढ़ने लगा है. यूपी में काशी और मथुरा की होली दुनियाभर में प्रसिद्ध है. वहीं, बांदा की अनोखी होली किसी से कम नहीं होती थी. यहां जमकर हुड़दंग मचाया जाता था. इससे नाराज लोगों को खुश करने के लिए मुंह मांगी बख्‍शीश देते थे. तो आइये जानते हैं बांदा की अनोखी होली की कहानी. 

जमकर मचाते थे हुड़दंग 
बांदा में होली का 5 दिनों तक मनाई जाती थी. पहले दिन होलिका दहन होते ही हुड़दंग शुरू हो जाता था. इस दिन गांव के लंबरदार (काश्तकार) मरे मवेशियों की हड्डी, मल मूत्र और गंदा पानी लेकर चोरी से अपने यहां (चौहाई) मजदूरी करने वाले मजदूर के घर में फेक आते थे. सुबह मजदूर अपने घर में गंदगी देखकर उसे समेट कर डलिया में भरकर उसी लंबरदार के घर में फेंक देते थे और भद्दी भद्दी गालियां भी देते थे. 

यह है खास बात 
इसके बाद मजदूर गंदगी को तभी साफ करते थे जब लंबरदार द्वारा उन्हें मुंह मांगी बख्शीश देते थे. इसी को होली का हुड़दंग कहा जाता है. लोगों ने बताया कि कई बार लंबरदार हुड़दंग की बख्‍शीश के रूप में जमीन तक दान में दे देते थे. खास बात यह है कि यह जमीन कभी वापस नहीं मांगते थे. इस पर मजदूर के परिवार का ही कब्‍जा रहता था.  

विरोध के दौरान कई घटनाएं सामने आईं 
पहले इस गैर सामाजिक परंपरा को लोग बुरा ना मानो होली कहकर बुरा नहीं मानते थे, लेकिन धीरे-धीरे यह परंपरा झगड़े का रूप लेने लगी. इससे लोगों ने इस परंपरा का विरोध करना शुरू कर दिया. विरोध के दौरान कई खतरनाक घटनाएं भी हो चुकी हैं. 

झगड़े का रूप ले लेता था 
इस बारे में पदमश्री उमा शंकर पांडे का कहना है कि यह गैर सामाजिक परंपरा थी. इससे समाज में विरोध शुरू हो गया था. इस परंपरा की आड़ में लोग अनुसूचित जाति के लोगों की इज्जत आबरू के साथ खिलवाड़ करते थे. इससे जगह-जगह झगड़े के कारण रंगो का त्योहार खूनी बनता जा रहा था. बाद में इस परंपरा के खिलाफ पुलिस ने भी एक्शन लेना शुरू किया. धीरे-धीरे इस तरह के मामले कानून की जद में आने से यह परंपरा लुप्त होने लगी. 

WATCH: ब्रज की होली में रंगीं हेमा मालिनी, जनता में बांटे फल और मिठाई

Trending news