Kaushambi: पिता की शहादत पर मिली जमीन अफसरों ने छिनी, खतरे में पड़ा स्मारक स्थल
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Kaushambi: पिता की शहादत पर मिली जमीन अफसरों ने छिनी, खतरे में पड़ा स्मारक स्थल

Kaushambi: जलालपुर शाना के रहने वाले बच्चूलाल फौज में लांस नायक के पद पर तैनात थे. वर्ष 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान के युद्ध में वह शहीद हो गए थे. बच्चूलाल को श्रद्धांजलि के रूप में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 10 बीघा जमीन जिला प्रबंधन समिति से प्रस्ताव कराकर दी थी.

Kaushambi: पिता की शहादत पर मिली जमीन अफसरों ने छिनी, खतरे में पड़ा स्मारक स्थल

कौशांबीः 'शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का बाकी यही निशां होगा' 

ये लाइनें देश के शहीदों के लिए स्वतंत्रता दिवस पर बच्चा बच्चा गुनगुनाता है, लेकिन कौशांबी में अफसर शहीद बच्चूलाल की शहादत का मजाक उड़ाने पर तुले हैं. शहीद स्मारक गेट बनवाना तो दूर जिले का कोई भी अधिकारी उनके स्मारक स्थल नहीं जाता. दरअसल, 1971 के भारत-पाकिस्तान की जंग में शहीद लांस नायक बच्चूलाल को श्रद्धांजलि के रूप में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 10 बीघा जमीन जिला प्रबंधन समिति से प्रस्ताव कराकर दी थी.

तहसील और जिला प्रशासन ने शहीद की शहादत का मजाक बनाते हुए, उनके बेटों से जमीन छीन ली है. बता दें कि उनके दो बेटे फौज में हैं और सबसे छोटे बेटे खेती किसानी करते थे, लेकिन जमीन छिन जाने के बाद राजकुमार शहर दर शहर भटक कर परिवार का भरण पोषण करते हैं. इस दौरान उन्होंने जिला प्रशासन से जमीन लौटने की गुहार लगाई, लेकिन उनकी किसी ने नहीं सुनी.

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यह है पूरा मामला
चायल तहसील के महाराज का पुरवा मजरा जलालपुर शाना के रहने वाले बच्चूलाल फौज में लांस नायक के पद पर तैनात थे. वर्ष 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान के युद्ध में वह शहीद हो गए थे. बच्चूलाल जब शहीद हुए थे तो उनके तीनों बेटे की उम्र बेहद कम थी. सबसे छोटा बेटा राजकुमार तो महज एक साल का था. बच्चूलाल युद्ध में बहुत ही बहादुरी से लड़े थे. वर्ष 1972 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने शहीद की पत्नी केलापति को पत्र भेजा था.

पत्र जारी करने के बाद जलालपुर शाना में 10 बीघा जमीन का पट्टा शहीद के आश्रितों को इलाहाबाद के तत्कालीन डीएम एमएस संत ने दिया था. शहीद के बेटे राजेंद्र कुमार और कृष्ण कुमार फौज में भर्ती हो गए. उसके बाद पट्टे पर मिली भूमि पर छोटा बेटा खेती करता था. इतने साल बाद प्रशासन ने पट्टे पर मिली भूमि को श्मशान व तालाब की बताकर जमीन छीन ली. अब आश्रित जमीन मांग रहे हैं. डीएम ने मामले में एसडीएम से रिपोर्ट मांगी तो आश्रितों को अपात्र बता दिया गया.

जमीन छिनने के बाद परिवार को हो रही ये आशंका
सम्मान के तौर पर मिली 10 बीघा जमीन के कुछ अंश पर स्मारक बना हुआ है, जिसको शहीद बच्चूलाल के भाइयों ने बनवाया था. जमीन छिनने के बाद अब परिवार को आशंका है कि स्मारक को भी हटा दिया जाएगा. जिसे लेकर परिवार आशंकित है. हालांकि, कैमरे पर आए बिना जिला अधिकारी ने कहा कि शहीद के सम्मान को किसी भी कीमत पर ठेस नहीं पहुंचने दिया जाएगा.

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शहीद बच्चूलाल को भूलते जा रहे लोग
आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए अफसर शहीदों के स्मारक पर पहुंच कर पुष्प अर्पित कर रहे हैं, लेकिन शहीद बच्चूलाल को अफसर भूल गए हैं. जिले के अधिकारी क्या अब तो धीरे-धीरे गांव के लोग भी शहीद बच्चूलाल को भूलते जा रहे हैं. गांव के लोगों का कहना है कि यहां पर किसी भी प्रकार का कोई भी आयोजन नहीं होता और न ही शहीद गेट बनाया गया है, कि जिसे पढ़ कर लोग शहीद बच्चूलाल को याद रख  सके.

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