High Court: भर व‌ राजभर को अनुसूचित जाति में शामिल करने की संस्तुति मामले में प्रमुख सचिव समाज कल्याण से मांगा स्पष्टीकरण
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High Court: भर व‌ राजभर को अनुसूचित जाति में शामिल करने की संस्तुति मामले में प्रमुख सचिव समाज कल्याण से मांगा स्पष्टीकरण

Allahabad High Court: जस्टिस जेजे मुनीर की एकलपीठ ने जागो राजभर जागो समिति की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रमुख सचिव समाज कल्याण से व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने को कहा है. हाईकोर्ट ने आदेश का पालन न करने पर प्रमुख सचिव से स्पष्टीकरण मांगा.

High Court: भर व‌ राजभर को अनुसूचित जाति में शामिल करने की संस्तुति मामले में प्रमुख सचिव समाज कल्याण से मांगा स्पष्टीकरण

Allahabad High Court News: मोहम्मद गुफरान/प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने राजभर व भर जातियों को अनुसूचित जनजाति (Scheduled Castes) का दर्जा दिए जाने के मामले में प्रमुख सचिव समाज कल्याण विभाग (Social Welfare Department) को अवमानना नोटिस जारी किया है. हाईकोर्ट ने उनसे व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने के कहा गया है. इस हलफनामे में यह स्पष्ट करने के लिए कहा है कि हाईकोर्ट (High Court) के 11 मार्च 2022 के आदेश का पालन क्यों नहीं किया गया.

प्रमुख सचिव समाज कल्याण से मांगा स्पष्टीकरण 
आपको बता दें कि जस्टिस जेजे मुनीर की एकलपीठ ने जागो राजभर जागो समिति की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है. कोर्ट ने उनसे इस मामले में व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने को कहा है. हाईकोर्ट ने आदेश का पालन न करने पर प्रमुख सचिव समाज कल्याण से स्पष्टीकरण मांगा.

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हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया गया
इस मामले की सुनवाई के दौरान एडवोकेट अग्निहोत्री त्रिपाठी ने कोर्ट को बताया कि हाईकोर्ट ने 11 मार्च 2022 को प्रमुख सचिव समाज कल्याण को आदेश दिया था कि राजभर जाति को जनजाति का दर्जा दिए जाने के संबंध में उनका प्रत्यावेदन दो माह के भीतर केंद्र सरकार को अग्रसारित करें. आरोप है कि आदेश की प्रति तामील कराने के बावजूद दो माह से अधिक का समय बीत गया, लेकिन हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया गया.

प्रमुख सचिव को व्यक्तिगत हलफनामा करना होगा दाखिल 
इस पर कोर्ट ने प्रमुख सचिव समाज कल्याण को नोटिस जारी करते हुए कहा कि प्रथमदृष्टया मामला जानबूझकर आदेश की अवमानना का है. इसलिए प्रमुख सचिव 9 सितंबर 2022 तक व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर बताएं कि किन कारणों से उक्त आदेश का अब तक पालन नहीं किया जा सका.

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