International museum day: देश विदेश की प्राचीन और महत्त्वपूर्ण चीजों को संरक्षित करने के लिए संग्रहालयों में रखा जाता है. इन म्यूजियम में मामूली शुल्क देकर आप कई हैरतअंगेज चीजें देख सकते हैं, उत्तर प्रदेश में भी कई संग्रहालय हैं. अगर मौका मिले तो लखनऊ में स्थित राज्य संग्रहालय जरूर घूमने जाएँ. इस लेख में जानें राज्य संग्रहालय लखनऊ में क्या है खास.
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International Museum Day: 18 मई को पूरी दुनिया में संग्रहालय दिवस मनाया जा रहा है. म्यूजियम का मकसद है हमारी विरासत से जुडी महत्त्वपूर्ण चीजों को संरक्षित करके अगली पीढ़ी के लिए बचाकर रखना, ताकि हम अपने इतिहास से जुड़े रह सकें. उत्तर प्रदेश में कई संग्रहालय है. अगर बात करें लखनऊ स्थित राज्य संग्रहालय की तो यह राज्य का सबसे पहला म्यूजियम है. यह देश का पांचवां सबसे बड़ा म्यूजियम है. यहाँ पर लगभग डेढ़ लाख अनोखी चीजों का संग्रह हैं. अगर आप लखनऊ जाते हैं तो मामूली शुल्क देकर आप इस संग्रहालय में हजारों साल पुरानी वस्तुएं देख सकते हैं.
लखनऊ राज्य संग्रहालय का इतिहास
कर्नल एबट सन् 1862 में लखनऊ के मंडलायुक्त थे. उनका सोचना था कि प्रदेश की प्राचीन परम्पराओं व जन जीवन से ताल्लुक रखने वाली वस्तुओं को इकट्ठा किया जाए. सन् 1863 ई० को छोटी छतर मंजिल में राज्य संग्रहालय लखनऊ की स्थापना हुई. 1880 ई० में इलाहाबाद से कुछ पुरातात्विक महत्व की चीजें लाकर इस संग्रहालय में रखी गयीं. आजादी के बाद 1948 में प्रदेश सरकार ने संग्रहालय पुनर्गठन समिति बनाई और 15 अगस्त सन् 1956 को संग्रहालय के नए भवन का शिलान्यास उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री सम्पूर्णानन्द द्वारा किया गया. इसके बाद 1963 ई० को प्रधानमन्त्री स्वर्गीय पं जवाहरलाल नेहरू ने इसका उद्घाटन किया.
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क्या खास है लखनऊ म्यूजियम में
लखनऊ म्यूजियम में कदम रखते ही इतिहास में पहुँच जाने का अहसास होता है. यहाँ मिश्र देश की 3000 वर्ष पुरानी ‘ममी’ भी है. ममी यानि केमिकल लगाकर सुरक्षित रखा गया कोई मृत शरीर. लखनऊ संग्रहालय में मिस्र देश की 13 साल की लड़की की ममी सुरक्षित है, यह हजारों साल पुरानी है, इसके साथ ही यहाँ आठवीं शताब्दी के सिक्के, अस्त्र-शस्त्र, पुराने तन्त्र, मूर्तियां, वाद्य-यन्त्र, वस्त्र, सिक्के देख सकते हैं. इसके अलावा राजा हर्षवर्धन के हस्ताक्षर किये हुए ताम्रपत्र भी यहाँ मौजूद हैं. श्रावस्ती, बहल, चन्दौसी, पूसानगर, हड़प्पा व मोहन जोदड़ो, भीतरगाँव, काली बगान नेदासा जैसी जगहों जो प्राचीन मृर्तियाँ मिली हैं वह सभी यहाँ सुरक्षित रखी गयी हैं. इसके अलावा यहाँ पर शहीद चन्द्रशेखर आजाद का अस्थि कलश भी रखा गया है.
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