Majhawan By Election Result 2024 Live: ​मझवां विधानसभा सीट से बीजेपी की जीत, सुचिस्मिता मौर्य ने सपा की ज्योति बिंद को हराया
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Majhawan By Election Result 2024 Live: ​मझवां विधानसभा सीट से बीजेपी की जीत, सुचिस्मिता मौर्य ने सपा की ज्योति बिंद को हराया

Majhawan By Election Result 2024 Live Updates: मझवां विधानसभा सीट से बीजेपी की जीत हो गई है. मझवां विधानसभा उपचुनाव में बीजपी प्रत्याशी शुचिस्मिता मौर्य को जीत मिली है. 

 

 Majhawan Election Result 2024

Majhawan vidhan Sabha Chunav Parinam 2024 Live: यूपी उपचुनाव की मझवां के नतीजे आ गए हैं. बीजेपी की सुचिस्मिता मौर्य ने निकटतम सपा की डॉ. ज्योति बिंद को हराया है. सुचिस्मिता 4,936 वोटों से जीती हैं.  इस जीत से भाजपा में जश्न का माहौल है

एक नजर में आंकड़े

भाजपा 77503

सपा 72567

बसपा 34800

अपडेट्स

मझवां सीट पर काउंटिंग शुरू हो गई है. बीजेपी की सुचिस्मिता मौर्य आगे चल रही हैं.

बीजेपी आगे चल रही है. सपा पीछे है

सपा की ज्योति बिंद 1457 वोट से पीछे चल रही हैं.

मिरजापुर की मझवां सीट पर बीजेपी आगे

बीजेपी की सुचिस्मिता मौर्य 2333 वोटों से आगे निकलीं, सपा की ज्योति बिंद पीछे

मझवां सीट पर बीजेपी की बढ़त लगातार बढ़ती जा रही है

बीजेपी की सुचिस्मिता मौर्य 4429 वोटों से आगे चल रही हैं, सपा की ज्योति बिंद काफी पीछे है.

छठे राउंड की काउंटिंग चल रही है.

मझवां सीट पर बीजेपी ने लगातार बड़ी बढ़त बनाई हुई है. यहां बीजेपी प्रत्याशी अब 5172 वोटों से आगे चल रही है. बीजेपी प्रत्याशी सुचिस्मिता मौर्य को अब तक कुल 16423 वोट मिले हैं

मझवां में  14 टेबलों पर मतगणना
राजकीय पालीटेक्निक कालेज परिसर में मतगणना सुबह आठ बजे से आरंभ होगी. जिला निर्वाचन अधिकारी प्रियंका निरंजन के अनुसार परिसर में 14 टेबलों पर मतगणना होगी. इसके साथ ही एक टेबल को रिजर्व रखा गया है. मतगणना के दौरान किसी प्रकार की तकनीकी खराबी आने पर सुरक्षित टेबल पर गिनती कराई जाएगी.मतगणना की शुरुआत पोस्टल बैलेट पेपर की गणना से होगी, इसके लिए ईटीपीबीएमएस टेबल बनाया गया है।

कौन है सुचिस्मिता मौर्य?
2017 में बीजेपी की लहर में मिर्जापुर जिले की पांचों विधानसभा सीटों पर कब्जा जमाया था. इसी चुनाव में बीजेपी के सिंबल पर पहली बार सुचिस्मिता मौर्य चुनाव लड़ी थीं, और उनको जिताकर जनता ने विधानसभा पहुंचाया था. सुचिस्मिता मौर्य राजनीति परिवार से आती हैं. उनके ससुर रामचंद्र मौर्य बीजेपी ने पुराने नेता रहे हैं. सात ही मझवां से भाजपा के टिकट पर विधायक भी रह चुके हैं.

कौन है ज्योति बिंद?
मझवां से पूर्व विधायक और भदोही से पूर्व सांसद रमेश बिंद की बेटी डॉ. ज्योति बिंद को सपा ने उपचुनाव में मझवां से प्रत्याशी घोषित किया. रमेश बिंद लगातार मझवां विधानसभा सीट से तीन बार विधायक रहे. फिर इसके बाद वह लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी के टिकट पर भदोही से सांसद चुने गए.

कौन हैं दीपू तिवारी
दीपू तिवारी ब्राहम्ण समुदाय से आते हैं.  मझवां सीट से बसपा ने दीपू तिवारी को मैदान में  उतारा है. बिन्नानी डिग्री कालेज के पूर्व अध्यक्ष दीपू तिवारी  पूर्व में समाजवादी पार्टी के महासचिव रह चुके हैं.

8 बार कांग्रेस जबकि 5 बार जीत चुकी है बसपा
मझवां सीट से कांग्रेस, जनसंघ, जनता दल, बसपा और बीजेपी जीत दर्ज करती चली आ रहा है. 1952 से 1969 तक यह सीट सुरक्षित थी. साल 1974 में यह सामान्य सीट हो गई.इस दौरान कांग्रेस नेता रुद्र प्रसाद और इसके बाद लोकपति त्रिपाठी विधायक बने थे. इस सीट से 8 बार कांग्रेस जबकि 5 बार बीएसपी जीत चुकी है. साल 2017 में बीजेपी से सुचिष्मिता मौर्य जबकि साल 2022 में बीजेपी-निषाद पार्टी के डॉ. विनोद बिंद विधायक बने थे. सपा इस सीट से अभी तक खाता नहीं खोल पाई है.

पिछड़े वर्ग का दबदबा
मझवां सीट पर पिछड़ा वर्ग ही जीत तय करता है. यहां पर इनका दबदबा है. जातीय समीकरण की बात करें तो इस सीट पर दलित, ब्राह्मण, बिंद वोटरों की संख्या करीब 60-60 हजार है.  कुशवाहा वोटर 30 हजार, पाल 22 हजार, राजपूत 20 हजार, मुस्लिम 22 हजार, पटेल 16 हजार हैं.  1960 में अस्तित्व में आई इस सीट पर ब्राह्मण, दलित और बिंद बिरादरी का बर्चस्व है.

आसान नहीं सीट पर जीत हासिल करना, जानिए वजह
मझवां सीट पर असल लड़ाई दो महिलाओं के बीच मानी जा रही है. सुचिस्मिता मौर्य ने रमेश बिंद को साल 2017 के विधानसभा में हराया था. इस चुनाव में सपा प्रत्याशी ज्योति बिंद अपने पिता की हार का बदला लेने की पूरी कोशिश करेंगी. वहीं बीजेपी प्रत्याशी सुचिस्मिता फिर से जीत दर्ज करने की पूरी कोशिश कर रही हैं. मझवां सीट पर 72 हजार बिंद, ⁠68 हजार दलित, ⁠65 हजार ब्राह्मण, ⁠38 हजार मौर्य, ⁠28 हजार मुस्लिम, 26 हजार पाल, ⁠25 हजार यादव, ⁠20 हजार राजपूत, 16 हजार पटेल मतदाता हैं. बिंद, ब्राह्मण और दलित वोटर अहम भूमिका में होते हैं. इन तीनों को साधने वाली की जीत आसान हो जाती है लेकिन इनके बीच पैंठ बनाना भी कम मुश्किल नहीं माना जाता है

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