Sambhal Shiv Mandir: संभल में एक ऐसा ऐतिहासिक शिव मंदिर है, जहां चार साल का छोटा बच्चा भी शिवलिंग को आलिंगन कर उसे गले लगा सकता है, लेकिन यदि किसी व्यक्ति में जरा भी अहंकार है तो वह शिवलिंग को गले नहीं लगा सकता है. उसे शिवजी आलिंगन नहीं करने देते. आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी मान्यताएं.
Trending Photos
Sambhal Shiv Mandir: सावन महीने में महादेव की आराधना का अलग ही महत्व है. कहा जाता है कि ये महीना भगवान शिव को बेहद पसंद है. जिसकी वजह से सावन में भक्त उन्हें खुश करने के लिए तरह-तरह के उपाय करते हैं. शिव मंदिरों में तो भयंकर भीड़ लगती है. वैसे तो हर शिव मंदिर की अपनी मान्यता और कहानियां हैं, लेकिन क्या आप संभल के एक शिव मंदिर के बारे में जानते हैं, जो आपके मन में अहंकार होने पर आप शिवलिंग को गले नहीं लगा सकते. ये अनोखा मंदिर संभल जिले की चंदौसी तहसील के बेरनी गांव में है. जहां शिवलिंग अहंकारी लोगों को पहचान लेता है और घमंडी व्यक्ति शिवलिंग को छू भी नहीं सकते.
राजा बेन ने कराया था निर्माण
सावन महीने में इस अलौकिक शिवलिंग के दर्शन और पूजा अर्चना करने के लिए बड़ी संख्या शिव भक्त यहां पहुंचते हैं. इस मंदिर की स्थापना 1700 साल पहले हुई थी. 5 वीं सदी में राजा बेन ने इस शिव मंदिर की स्थापना कराई थी. इस मंदिर की ख्याति इतनी अधिक है कि यहां साल भर भक्त दर्शन के लिए आते हैं. इस साल भी सावन के सोमवार के दिन अनोखे शिवलिंग की पूजा के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचेंगे. जिसकी वजह से जोरो शोरों से तैयारियां होती है.
भक्तों के लिए प्रशासन की व्यवस्थाएं
सावन महीने में बड़ी संख्या में कांवड़ यात्री संभल से होकर गुजरेंगे. इस दौरान शिव मंदिरों और मार्ग पर सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता कर दी गई है. नगर पालिका, नगर पंचायत, बिजली विभाग समेत सभी विभाग को जरूरी निर्देश दिये गये हैं. कावड़ यात्रियों के मार्ग पर मांस और मदिरा की दुकानों को बंद रखने का आदेश भी दिया गया है.
पुरातात्विक अहमियत
इसी मंदिर से चंदौसी तहसील के इस क्षेत्र को राजा बेन की नगरी बताया जाता है. राजा बेन के नाम पर ही इस गांव का नाम बेरनी पड़ा. विशाल टीले पर बसे इस गांव में टीलों की खुदाई के दौरान आज भी 5वीं सदी की मूर्तियां और सिक्के मिलते हैं. 2010 में एक टीले की खुदाई के दौरान एक किसान को महादेव के चतुर्भुज रूप की एक मूर्ति मिली थी. ग्रामीणों ने कौतूहलवश 150 फिट गहराई तक खुदाई कर दी, लेकिन उन्हें शिवलिंग की थाह नहीं मिली.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. Zeeupuk इसकी किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है.