हमारे पूर्वज कह गए हैं कि जैसा खाएंगे अन्न, वैसा होगा मन. वर्तमान समय को देखते हुए इसमें एक लाइन और जोड़ देनी चाहिए. जैसा खाएंगे अन्न, वैसा होगा तन. हमारे खाने का और खाना कैसे औऱ किसमे बन रहा है इसका शरीर पर बड़ा असर होता है. खाना पकाने वाले बर्तन कौन सी धातु के हैं उससे खाने के स्वाद औऱ पौष्टिता में बड़ा असर पड़ता है. आगे बताया जा रहा है कि खाना पकाने में किस तरह के बर्तनों का इस्तेमाल ना करें.
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हमारे पूर्वजों की सेहत का राज था अच्छा खान पान. खाना बनाने वाले बर्तनों से लेकर पानी पीने तक के गिलास अलग- अलग धातु के होते थे. रसोई में ताम्बे,कांसे और पीतल के बर्तन होते थे. बदलते समय के साथ रसोई में एल्युमुनियम और स्टील जैसी धातुएं आ गई. लेकिन आज जमाना और भी एडवांस हो गया है, प्लास्टिक के बर्तन भी रसोई में पहुँच चुके हैं.
इससे भी खतरनाक है नॉन स्टिक बर्तन. नॉन स्टिक बर्तनों का इस्तेमाल आपको कैंसर जैसी घातक बीमारी दे सकता है. इसलिए इनके इस्तेमाल में बेहद सावधानी बरतने की जरुरत है.
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कहते हैं नॉन स्टिक बर्तन इसलिए अच्छे हैं कि इनमें कम तेल में खाना बन जाता है और ईंधन की लागत भी कम हो जाती है. बहुत कम लोग ये बात जानते हैं कि नॉन स्टिक बर्तन पर जो पॉलिश या कोटिंग होती है वो आपके शरीर को कितना नुकसान पहुंचा रही है. ये कोटिंग जिस रसायन से बना होता है इस रसायन का नाम होता है पेरफ्लुओरूक्टेनोइक एसिड. यह रसायन शरीर में आयरन की मात्रा कम कर देता है.
नॉनस्टिक बर्तन से थायरॉइड, एनेमिया, दिमाग से जुड़ी बीमारी और कमजोर मांसपेशियों जैसी बीमारियां होने का खतरा होता है.अमेरिकन कैंसर सोसाइटी की रिपोर्ट में बताया गया है कि नॉनस्टिक बर्तन के ज्यादा इस्तेमाल से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी हो सकती हैं
कैसे करें बचाव
नॉन स्टिक बर्तनों पर खरोच न आने दें, इनको मुलायम स्पंज से ही साफ़ करें, अगर इनकी पॉलिश निकलकर खाने में मिक्स होने लगे तो इस बर्तन को तुरंत अपने किचन से दूर कर दें, नॉन स्टिक बर्तन में तेज आंच पर खाना न बनाएं. धीमी या मध्यम आंच पर ही खाना बनाएं. खाना बनाने से पहले बर्तन को ज्यादा गरम ना करें.
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