IIT Kanpur Ka Itihas:कैंटीन से शुरू हुआ आईआईटी कानपुर कैसे बना देश का दूसरा सबसे नंबर वन संस्थान?
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IIT Kanpur Ka Itihas:कैंटीन से शुरू हुआ आईआईटी कानपुर कैसे बना देश का दूसरा सबसे नंबर वन संस्थान?

IIT Kanpur Ka Itihas: वैसे तो 12वीं के बाद आगे की पढ़ाई के लिए कॉलेज या यूनिवर्सिटी चुनना आसान नहीं होता, लेकिन जब बात आईआईटी सेक्टर की हो तो स्टूडेंट्स की पहली पसंद आईआईटी कानपुर ही होता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर कैसे एक कैंटीन से शुरू हुआ आईआईटी कानपुर देश का दूसरा सबसे नंबर वन संस्थान बन गया?

IIT Kanpur

IIT Kanpur Ka Itihas: देश के टॉप इंजीनियरिंग संस्थानों में से एक आईआईटी कानपुर है. जहां स्टूडेंट्स को बेहतरीन एक्सपोजर मिलता है. यह संस्थान रिसर्च और अंडरग्रेजुएट यानी बीटेक डिग्री कोर्स के लिए बेस्ट माना जाता है. ऐसे में क्या आप जानते हैं कि इसकी स्थापना कैसे हुई थी और देखते ही देखते इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स के लिए देश का दूसरा सबसे पसंदीदा संस्थान बन गया. अगर नहीं तो आज हम आपको इससे जुड़े कुछ रोचक जानकारी देंगे. दरअसल, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर ( आईआईटी कानपुर ) कानपुर भारत में का एक सार्वजनिक प्रौद्योगिकी संस्थान है. इसे प्रौद्योगिकी संस्थान अधिनियम के तहत आईआईटी के रूप में भारत सरकार ने राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया था.

आईआईटी कानपुर को लगातार भारत के सर्वश्रेष्ठ शैक्षणिक संस्थानों में जगह मिला. अगस्त 2024 तक, कम से कम 15 पद्म श्री , 4 पद्म भूषण , 1 पद्म विभूषण और 33 शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार यहां से पूर्व छात्रों या संकाय सदस्यों को मिल चुका है. 

कब हुई इसकी स्थापना?
1960 में आईआईटी कानपुर की स्थापना भारत सरकार द्वारा संसद के एक अधिनियम से हुई थी.  दिसंबर 1959 में संस्थान की शुरुआत कानपुर के कृषि उद्यान में हरकोर्ट बटलर प्रौद्योगिकी संस्थान की कैंटीन बिल्डिंग के एक कमरे में हुई थी. फिर 1963 में संस्थान कानपुर के कल्याणपुर इलाके के पास ग्रांड ट्रंक रोड पर अपने मौजूदा स्थान पर चला गया. इसके परिसर को अच्युत कविंदे ने आधुनिकतावादी शैली में डिजाइन किया था. अपने अस्तित्व के पहले दस सालों में नौ अमेरिकी विश्वविद्यालयों के एक संघ ने कानपुर इंडो-अमेरिकन प्रोग्राम (केआईएपी) के तहत आईआईटी कानपुर की अनुसंधान प्रयोगशालाओं और शैक्षणिक कार्यक्रमों की स्थापना में मदद की.

संस्थान के पहले निदेशक
आईआईटी कानपुर की अनुसंधान प्रयोगशालाओं और शैक्षणिक कार्यक्रमों की स्थापना में जिन संस्थानों ने मदद की, उनमें एमआईटी , बर्कले में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय , कैलिफोर्निया प्रौद्योगिकी संस्थान , प्रिंसटन विश्वविद्यालय , कार्नेगी मेलन विश्वविद्यालय , मिशिगन विश्वविद्यालय , ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी , केस वेस्टर्न रिजर्व विश्वविद्यालय और पर्ड्यू विश्वविद्यालय शामिल थे. संस्थान के पहले निदेशक पीके केलकर थे, जिनके नाम पर 2002 में केंद्रीय पुस्तकालय का नाम बदल दिया गया.

कंप्यूटर विज्ञान की शिक्षा 
अर्थशास्त्री जॉन केनेथ गैलब्रेथ के मार्गदर्शन में , आईआईटी कानपुर भारत में कंप्यूटर विज्ञान की शिक्षा देने वाला पहला संस्थान था. संस्थान में सबसे पहला कंप्यूटर कोर्स अगस्त 1963 में आईबीएम 1620 सिस्टम पर शुरू किया गया था. कंप्यूटर शिक्षा की पहल इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग से हुई, फिर प्रो. एचके केसवन की अध्यक्षता में 1971 में संस्थान ने कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग में एक स्वतंत्र शैक्षणिक कार्यक्रम शुरू किया. जिससे एमटेक और पीएचडी की डिग्री मिली. केसवन इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के अध्यक्ष और कंप्यूटर सेंटर के प्रमुख थे. उनसे पहले कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले के प्रो. हैरी हस्की ने आईआईटी-कानपुर में कंप्यूटर गतिविधि में मदद की. 1972 में KIAP कार्यक्रम खत्म हो गया. 

क्यों खत्म हुआ था KIAP कार्यक्रम?
KIAP कार्यक्रम खत्म होने की वजह आंशिक रूप से भारत और पाकिस्तान के बीच राजनीतिक तनाव थी, क्योंकि अमेरिका ने पाकिस्तान का समर्थन किया था. रिपोर्ट्स की मानें तो आईआईटी प्रतिभा पलायन में योगदान दे रहे थे. जिससे सरकारी फंडिंग भी कम कर दी गई थी. पहली बार 1995 में संस्थान का वार्षिक तकनीकी महोत्सव, टेककृति शुरू किया गया था.

कैसी है इसकी सुविधा?
शैक्षणिक क्षेत्र में केंद्रीय पुस्तकालय, विभागीय भवन, शोध केंद्र, व्याख्यान कक्ष परिसर, ट्यूटोरियल ब्लॉक और सभागार शामिल हैं. हॉस्टल और छात्र गतिविधि केंद्र (एसएसी), खेल परिसर जैसी अन्य सुविधाएं शैक्षणिक क्षेत्र के बाहर हैं. यहां 15 हॉल ऑफ रेजीडेंस हैं जो स्नातक, स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट छात्रों को आवंटित हैं. इसके अलावा विवाहित शोध विद्वानों को परिसर में सिंगल बेडरूम अपार्टमेंट (एसबीआरए) की सुविधा आवंटित की जाती है.

जानें कहां है केंद्र और कार्यालय?
आईआईटी कानपुर का नोएडा में अपना विस्तार केंद्र है, जहां आउटरीच गतिविधियों का समर्थन करने के लिए एक छोटा सम्मेलन केंद्र है. इसकी नींव 4 दिसंबर 2012 को नोएडा शहर के सेक्टर-62 में यूपी सरकार की आवंटित 5 एकड़ भूमि पर रखी गई थी, जो नई दिल्ली और इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से एक घंटे से भी कम की यात्रा पर है. वहीं, संस्थान ने न्यूयॉर्क में एक कार्यालय स्थापित किया है, जिसमें पूर्व छात्र संजीव खोसला को संस्थान का विदेशी ब्रांड एंबेसडर नियुक्त किया गया है. यह 62 विलियम स्ट्रीट, मैनहट्टन में है.

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