Ayodhya pran pratishtha: भगवान राम जल्द ही अपने नवनिर्मित भवन में विराजने वाले है. अयोध्या धाम में इस कार्यक्रम को लेकर लगभग पूरी तैयारियां कर ली गई है. भगवान राम ने अपने जीवन में कई कष्ट भोगे पर क्यो? कई लोगों का मत होता है कि अगर वो भगवान है तो उन्होंने इतना संघर्ष क्यों किया.
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Ayodhya pran pratishtha: भगवान राम जल्द ही अपने नवनिर्मित भवन में विराजने वाले है. अयोध्या धाम में इस कार्यक्रम को लेकर लगभग पूरी तैयारियां कर ली गई है. मेहमानों के स्वागत से लेकर प्राण प्रतिष्ठा पूजन की सारी तैयारियां हो चुकी है. देश- विदेश के हर कोने में न्योता भी भिजवा दिए गए है. आप सब को रामानंद सागर वाली रामायण याद होगी. यह वह शो है जिस के टीवी पर प्रसारित होते ही मानो सड़को पर लॉकडाउन लग जाता है. इसका प्रसारण एक बार फिर से कोरोना काल में किया गया था. भगवान राम ने अपने जीवन में कई कष्ट भोगे पर क्यो? कई लोगों का मत होता है कि अगर वो भगवान है तो उन्होंने इतना संघर्ष क्यों किया.
अखिर क्या हुआ था
अगर आपने ठीक ढंग से रामानंद सागर की रामायण देखी होगी तो इसके पीछे की वजह जानते होंगे.
रामानंद सागर की 'रामायण' में बताया गया है कि भगवान विष्णु को भृगु ऋषि के श्राप के कारण ही राम के रूप में पृथ्वी पर अवतार लेना पड़ा था. श्राप के कारण ही उन्हें मानव रूप में कष्ट भी सहने पड़े और पत्नी वियोग भी इसी श्राप के कारण सहना पड़ा था.
ये है असली वजह
रामायण में दिखाया गया है कि देवासुर संग्राम के दौरान असुरों ने भृगु ऋषि की पत्नी के पास शरण ली थी. इसी के चलते देवताओं के हित के लिए नारायण ने सुदर्शन से भृगु ऋषि की पत्नी का सिर काट दिया था. तभी भगवान विष्णु को भृगु ऋषि ने श्राप दिया था कि आपको भी मृत्युलोक में अवतार लेना पड़ेगा.
मानव रुप में कई बर्षों तक वनवास भोगना पड़ेगा. माना जाता है कि ऋषि के श्राप के कारण ही श्रीराम को 14 वर्ष का वनवास और पत्नी वियोग हुआ था.
यहां है भृगु ऋषि का आश्रम
वर्तमान में मान्यता है कि भृगु ऋषि का आश्रम बलिया जिले में स्थित है. बलिया के पवित्र धरती पर भृगु मुनि के जीवन का अंतिम क्षण व्यतीत हुआ. यह इनका प्रसिद्ध समाधि स्थल है. जहां अंत में इन्होंने समाधि ले ली. बलिया की धरती भृगु मुनि के लिए सबसे सर्वोत्तम भूमि रही है. ये भृगु आश्रम में स्थापित भृगु जी की प्रतिमा है जो लाखों लोगों के आस्था का केंद्र है. कहा जाता है कि इसी बलिया के पावन धरती पर इन्होंने अपने पापों के प्रायश्चित के लिए तपस्या किया था.
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